दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि मामले की जांच एक आंतरिक समिति द्वारा की जा रही है, और रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद ही संबंधित कदम उठाए जाएंगे। इस प्रकार, इस समय पर एफआईआर दर्ज करना उचित नहीं माना गया।
आंतरिक जांच प्रक्रिया
सुप्रीम कोर्ट ने यह सुनिश्चित किया कि इस मामले की पूरी जांच एक आंतरिक समिति के माध्यम से की जा रही है, जिसकी अध्यक्षता पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू कर रहे हैं। यह समिति मामले के हर पहलू की बारीकी से जांच करेगी और फिर निर्णय लिया जाएगा कि क्या कार्रवाई की जानी चाहिए।
ये खबरें भी पढ़ें...
दो दर्जन आईएफएस के खिलाफ 31 शिकायतें, अफसरों ने किया जंगल में मंगल
इंदौर मेडिकल कॉलेज के एमवाय, मेंटल, सुपर स्पेशलिटी, केंसर, एमटीएच अस्पताल में चादर धुलाई घोटाला
जस्टिस वर्मा का बयान
जस्टिस यशवंत वर्मा ने सभी आरोपों को सिरे से नकारते हुए कहा है कि न तो उन्होंने और न ही उनके परिवार ने कभी अपने स्टोर रूम में नकदी रखी। उन्होंने इसे अपनी छवि को धूमिल करने की एक साजिश बताया है। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि घटना से संबंधित सभी जानकारियों का पर्दाफाश समय रहते किया जाएगा।
जस्टिस वर्मा के खिलाफ विरोध
इलाहाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस वर्मा के ट्रांसफर का विरोध जारी है। वकीलों ने प्रदर्शन करते हुए मांग की है कि पहले CBI जांच हो और फिर उनके ट्रांसफर पर विचार किया जाए।
ये खबरें भी पढ़ें...
महिला रेप नहीं कर सकती, लेकिन उकसा सकती है: एमपी हाईकोर्ट
अब सागर में महिलाओं ने किया पुलिस पर हमला, कई घायल, 1 महीने में 5वीं घटना
जांच समिति की कार्यवाही
समिति ने जस्टिस वर्मा के निवास का मुआयना किया और दिल्ली फायर सर्विस के निदेशक से भी पूछताछ की। फिलहाल, दिल्ली पुलिस ने उस इलाके को सील कर दिया है, जहां अधजले नोट पाए गए थे और इसकी वीडियोग्राफी भी की गई है।