बच्चों में बढ़ता मधुमेह : CBSE ने जारी किए शुगर बोर्ड लगाने के सख्त निर्देश

CBSE ने बच्चों में बढ़ती मधुमेह और स्वास्थ्य समस्याओं को देखते हुए स्कूलों में शुगर बोर्ड लगाने के निर्देश दिए हैं। जानिए शुगर बोर्ड का महत्व और पूरा मामला।

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Jitendra Shrivastava
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Photograph: (THESOOTR)

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केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने हाल ही में अपने संबद्ध स्कूलों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने परिसर में ‘शुगर बोर्ड’ (Sugar Board) लगाएं। इसका उद्देश्य बच्चों में चीनी के अधिक सेवन से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति जागरूकता बढ़ाना है।

क्यों लिया गया यह फैसला?

वर्तमान में बच्चों में टाइप 2 मधुमेह (Type 2 Diabetes) की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। यह बीमारी पहले अधिकतर वयस्कों में देखी जाती थी, लेकिन आज 4 से 18 वर्ष की उम्र के बच्चे भी इससे प्रभावित हो रहे हैं। CBSE के आंकड़ों के अनुसार, बच्चों द्वारा खाई जाने वाली दैनिक कैलोरी में चीनी की मात्रा सुरक्षित सीमा से तीन गुना अधिक है।

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CBSE की चेतावनी और NCPCR की सलाह

  • 4-10 वर्ष के बच्चे: लगभग 13% कैलोरी चीनी से प्राप्त होती है
  • 11-18 वर्ष के बच्चे: लगभग 15% कैलोरी चीनी से मिलती है
  • सुरक्षित सीमा: केवल 5%

इस समस्या को देखते हुए, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की सलाह पर CBSE ने शुगर बोर्ड लगाने का निर्देश दिया है।

क्या-क्या होगा शुगर बोर्ड पर... 

  • दैनिक चीनी की अधिकतम सुरक्षित सीमा
  • जंक फूड, सॉफ्ट ड्रिंक और अन्य खाद्य पदार्थों में चीनी का स्तर
  • अधिक चीनी सेवन से होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं, जैसे मोटापा, दांतों की समस्या, मधुमेह
  • चीनी के स्वस्थ विकल्प और पोषण संबंधी सुझाव

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जानकारी का बॉक्स:

  • शुगर बोर्ड (Sugar Board): स्कूल परिसर में लगा पोस्टर या बोर्ड, जो बच्चों और अभिभावकों को चीनी सेवन के नुकसान और बचाव के तरीकों के बारे में जागरूक करता है।
  • NCPCR: भारत सरकार का आयोग जो बच्चों के अधिकारों की रक्षा करता है।

स्कूलों में जागरूकता अभियान और कार्यशालाएं

CBSE ने स्कूलों को निर्देश दिए हैं कि वे बच्चों, अभिभावकों और शिक्षकों के लिए सेमिनार और वर्कशॉप आयोजित करें। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य है:

  • बच्चों को जंक फूड और मीठे पेय पदार्थों के नुकसान समझाना
  • स्वास्थ्यवर्धक विकल्प अपनाने के लिए प्रेरित करना
  • परिवारों में स्वस्थ खान-पान की आदतें विकसित करना

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15 जुलाई तक भेजनी होगी रिपोर्ट

स्कूलों को 15 जुलाई तक अपने प्रयासों की तस्वीरों के साथ रिपोर्ट CBSE को भेजनी होगी, ताकि बोर्ड इस पहल की प्रगति का आकलन कर सके।

चीनी के अधिक सेवन के दुष्प्रभाव...

  • मधुमेह (Diabetes): शरीर में शुगर नियंत्रण में गड़बड़ी
  • मोटापा (Obesity): वजन का असामान्य बढ़ना
  • दांतों की समस्या (Dental Problems): कैविटी, दांतों का सड़ना
  • हार्ट डिजीज: हार्ट अटैक का खतरा बढ़ना
  • शारीरिक थकावट और मानसिक तनाव

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क्यों बढ़ी बच्चों में मधुमेह की समस्या?

स्कूलों के आसपास और कैंटीन में चीनी युक्त स्नैक्स, पैकेज्ड फूड और मीठे पेय पदार्थ आसानी से उपलब्ध हैं। ये बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहे हैं।

बदलते खान-पान के तरीके

घर और स्कूल दोनों जगह बढ़ता जंक फूड का क्रेज और शारीरिक गतिविधि में कमी बच्चों को बीमार कर रही है।

जागरूकता से होगा बदलाव

शुगर बोर्ड लगाने का उद्देश्य केवल सूचना देना नहीं, बल्कि बच्चों और उनके परिवारों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना है। इससे भविष्य में मधुमेह जैसी गंभीर बीमारियों की रोकथाम हो सकेगी।

सीबीएसई स्कूल

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