पत्रकारों की सुरक्षा में भारत कौन से नंबर पर, बाकी दुनिया में क्या हाल
छत्तीसगढ़ के पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या के बाद पत्रकारों की सुरक्षा पर सवाल उठने लगे हैं। रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के मुताबिक पत्रकारों के लिए सुरक्षा की स्थिति बेहद खराब है।
New Delhi. छ्त्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या के बाद देश की पत्रकार बिरादरी में गुस्सा है। सुरक्षा के मुद्दे पर बहस छिड़ गई है। भारतीय जर्नलिस्ट कितने सुरक्षित हैं? जान जोखिम में डालकर जनता तक सच पहुंचाने के लिए दिन-रात एक कर देने वाले खबरनवीसों के लिए सरकारें क्या कोई कदम उठाती हैं?
'द सूत्र एक्सप्लेनर' में जानिए भारत की क्या है स्थिति? पाकिस्तान समेत बाकी दुनिया का क्या है हाल?
रिपोर्ट की शुरुआत छत्तीसगढ़ के पत्रकार मुकेश चंद्राकर से ही। वे अब हमारे बीच नहीं हैं। हत्याकांड का मास्टरमाइंड सुरेश चंद्राकर पुलिस की गिरफ्त में है। उससे पूछताछ की जा रही है। इस बीच अब सामने आया है कि आरोपी सुरेश चंद्राकर और पत्रकार मुकेश चंद्राकर आपस में रिश्तेदार थे। इस केस में सुरेश के तीन सगे भाइयों समेत चार आरोपियों को पहले पकड़ा जा चुका है।
मुकेश की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सिर पर चोट के एक दर्जन से ज्यादा निशान मिले हैं। उन्हें कितनी बेरहमी से मारा गया, इसका अंदाजा सिर्फ इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि लिवर के चार टुकड़े हो गए थे। गर्दन टूट गई। हार्ट फट गया। पांच पसलियां भी टूटी मिलीं। मुकेश की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी गई, क्योंकि उन्होंने ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के सड़क निर्माण के भ्रष्टाचार को उजागर किया था। आरोपियों ने मुकेश को खाने के बहाने बैडमिंटन कोर्ट में बुलाया और जान ले ली।
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर की वेबसाइट के अनुसार, भारत में हर साल औसतन तीन से चार पत्रकारों की हत्या होती है। कई बार पत्रकारों को ऑनलाइन उत्पीड़न, धमकी, डर और हमलों के साथ आपराधिक मुकदमों और गिरफ्तारी का सामना करना पड़ता है। ऑब्जर्वेटरी ऑफ किल्ड जर्नलिस्ट्स, यूनेस्को की रिपोर्ट कहती है कि वर्ष 1993 से अब तक दुनियाभर में 1 हजार 728 पत्रकारों की हत्या हुई है, इसमें एशिया में 457 और भारत में 60 पत्रकारों को मार दिया गया। पाकिस्तान की स्थिति और भी खराब है। 1993 से लेकर अब तक पाकिस्तान में 101 पत्रकारों की हत्या की गई है।
ऑब्जर्वेटरी ऑफ किल्ड जर्नलिस्ट्स, यूनेस्को के मुताबिक, पिछले पांच वर्षों में भारत में 17 पत्रकारों की हत्या कर दी गई। रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर की वेबसाइट का दावा है कि पत्रकारों की सुरक्षा के लिहाज से बनाई गई 180 देशों की सूची में भारत का 162वां नंबर पर है, यानी स्थिति नाजुक है। पत्रकारों के लिए सबसे सुरक्षित देश लग्ज़मबर्ग को माना गया है। यह पहले स्थान पर है। वहीं, सीरिया सबसे असुरक्षित देश है। वह सबसे अंतिम यानी 180वें पायदान पर है। इसी लिस्ट में ब्रिटेन 50वें नंबर पर है। वहीं, अमेरिका 118वें पायदान पर खड़ा हुआ है। पाकिस्तान का 169वां नंबर है।
पत्रकारों की सुरक्षा में कौन सा देश, किस नंबर पर
देश
नंबर
ब्रिटेन
50
मालदीव
80
भूटान
97
नेपाल
109
अमेरिका
118
श्रीलंका
140
भारत
162
बांग्लादेश
167
रूस
168
पाकिस्तान
169
चीन
172
म्यांमार
177
अफगानिस्तान
179
(सोर्स: रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर, सुरक्षा के लिहाज से)