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दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण फिर गंभीर हो गया। हवा में जहरीले कणों के कारण सांस लेने में परेशानी हो रही है। एयर क्वालिटी इंडेक्स लगातार खतरनाक श्रेणी में है।
डॉक्टर ने दी सीधी चेतावनी
एम्स के पूर्व निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा, जिनके फेफड़े कमजोर हैं वे दिल्ली छोड़ दें। बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को खास सतर्क रहना चाहिए।
दिल्ली का प्रदूषण कोविड से खतरनाक
डॉ. गुलेरिया ने बताया कि अब दिल्ली का प्रदूषण, COVID-19 से भी ज्यादा मौतें कर रहा है। इसे साइलेंट किलर कहा गया है क्योंकि यह धीरे-धीरे शरीर में गंभीर बीमारियां बढ़ाता है।
जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्या सख्ती दिखाई?
सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) से पूछा- अब तक क्या कदम उठाए? कोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि गंभीर हालात का इंतजार मत करो। पहले ही ठोस कदम उठाओ।
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5 प्वाइंट में समझें क्या है पूरा मामला
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बच्चों की सेहत पर क्यों मंडरा रहा सबसे ज्यादा खतरा?
रिपोर्टों के मुताबिक बच्चों के फेफड़ों पर प्रदूषण का असर सबसे अधिक और गहरा होता है। डॉक्टरों ने सलाह दी है कि जरूरी न हो तो बच्चे बाहर न निकलें।
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प्रदूषण से कौन-कौन सी बीमारियां बढ़ रही हैं?
हवा में जहरीले कण सांस, खांसी, अस्थमा और सीओपीडी जैसी बीमारियां बढ़ा रहे हैं। दिल, दिमाग और बांझपन पर भी असर पड़ रहा है। अस्पतालों में ऐसे मरीज 20% से ज्यादा बढ़ गए हैं।
N95 मास्क, एयर फिल्टर जरूरी क्यों?
डॉक्टरों ने कहा, दिल्ली छोड़ना मुमकिन नहीं तो N95 मास्क का इस्तेमाल करें। घरों में एयर प्यूरीफायर लगाएं और बाहर कम निकलें। यह फिलहाल एक स्वास्थ्य आपातकाल है।
प्रशासन को कोर्ट ने क्या आदेश दिए?
सुप्रीम कोर्ट ने हर एजेंसी को निर्देश दिए हैं- प्रदूषण रोकने की प्लानिंग बताओ और असरदार कदम उठाओ। सिर्फ इंतजार से कुछ नहीं होगा, सफाई और रोकथाम पर फोकस करो।
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निगरानी केंद्रों की लापरवाही पर कोर्ट नाखुश
दिवाली के दौरान 37 में से सिर्फ 9 निगरानी केंद्र काम कर रहे थे। कोर्ट ने कहा, जब सेंटर सही से नहीं चलेंगे तो प्लान भी सही लागू नहीं हो पाएगा।
वायु प्रदूषण पर अब आगे क्या होगा?
अब सारी निगाहें सुप्रीम कोर्ट के फैसले और प्रशासन की सख्ती पर हैं। लोगों को खुद भी सतर्क रहना जरूरी है, क्योंकि हवा की जंग लंबे वक्त तक चल सकती है।
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