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Photograph: (THESOOTR)
भारत ने अंतरिक्ष में अपनी ताकत और प्रौद्योगिकी को एक नई दिशा देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। ISRO (Indian Space Research Organisation) ने गगनयान मिशन (Gaganyaan Mission) के लिए पहला एयर ड्रॉप टेस्ट सफलतापूर्वक पूरा किया। यह टेस्ट भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित करने के लिए था, ताकि वे अंतरिक्ष से लौटने के बाद सुरक्षित रूप से धरती पर लौट सकें।
एयर ड्रॉप टेस्ट (IADT-01) की सफलता
यह टेस्ट आंध्र प्रदेश के एक एयरबेस से किया गया था, जिसमें भारतीय वायुसेना, DRDO (Defence Research and Development Organisation), भारतीय नौसेना और कोस्ट गार्ड के सहयोग से यह परीक्षण किया गया।
इस परीक्षण के दौरान, गगनयान मिशन के पैराशूट आधारित डीस्लेरेशन सिस्टम को वास्तविक परिस्थितियों में परखा गया। ISRO ने इसे एक बड़ी उपलब्धि के रूप में स्वीकार किया और इसे सभी सहयोगी संस्थाओं की संयुक्त मेहनत का नतीजा बताया।
ISRO successfully accomplishes the 1st Integrated Air Drop Test (#IADT01) for an end-to-end demonstration of a parachute-based deceleration system for #Gaganyaan missions. This test is a joint effort of @isro, @IAF_MCC, @DRDO_India, @indiannavy and @IndiaCoastGuard. pic.twitter.com/1JwtF8W752
— All India Radio News (@airnewsalerts) August 24, 2025
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गगनयान मिशन का महत्व
गगनयान मिशन भारत को उन देशों की कतार में खड़ा करेगा, जिन्होंने इंसान को अंतरिक्ष में भेजा है। इस मिशन के जरिए भारत न केवल वैज्ञानिक क्षेत्र में एक बड़ी छलांग लगाएगा, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों के अंतरिक्ष यात्रा के सपने को साकार भी करेगा।
दिसंबर में पहली बिना मानव उड़ान (G1 मिशन)
गगनयान मिशन की दिशा में अगला कदम दिसंबर में उठाया जाएगा, जब पहली बिना मानव वाली उड़ान (G1 मिशन) होगी। इस मिशन में हाफ-ह्यूमनॉइड रोबोट ‘व्योममित्रा’ अंतरिक्ष की यात्रा करेगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के प्रमुख वी. नारायणन के अनुसार, गगनयान मिशन का लगभग 80% काम पूरा हो चुका है, और शेष 20% कार्य अगले कुछ महीनों में पूरा कर लिया जाएगा।
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मानव रेटेड रॉकेट और क्रू एस्केप सिस्टम
भारत के पहले मानव रेटेड लॉन्च व्हीकल (HLVM3) का सफल परीक्षण हो चुका है, जो गगनयान मिशन के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर जाएगा। इसके अलावा, गगनयान मिशन के लिए क्रू एस्केप सिस्टम (CES) के पांच अलग-अलग मोटर विकसित किए गए हैं, जिनका परीक्षण सफल रहा है।
गगनयान के बाद भविष्य की बड़ी योजनाएं
गगनयान-1 के बाद भारत 2027 में पहला मानवयुक्त गगनयान मिशन करेगा। इसके बाद 2028 में चंद्रयान-4, फिर शुक्र ग्रह मिशन, और 2035 तक भारत का अपना ‘भारत अंतरिक्ष स्टेशन’ लॉन्च करने का लक्ष्य है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत 2040 तक अपने पहले अंतरिक्ष यात्री को चंद्रमा पर भेजने की तैयारी कर रहा है।
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भारत के लिए गर्व का पल
गगनयान मिशन भारत को उन चुनिंदा देशों की कतार में खड़ा करेगा, जिन्होंने इंसानों को अंतरिक्ष में भेजा है। यह सिर्फ एक वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं बल्कि 140 करोड़ भारतीयों के सपनों को पंख देने वाला कदम है। इसरो का कहना है कि दिसंबर की उड़ान सिर्फ शुरुआत है। आने वाले दशक में भारत अंतरिक्ष अनुसंधान में दुनिया की अग्रणी ताकतों में गिना जाएगा।
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