आजकल ईयरफोन और हेडफोन का उपयोग बढ़ता जा रहा है, लेकिन यह हमारी सुनने की क्षमता के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि लंबे समय तक इन उपकरणों का इस्तेमाल करने से सुनने की समस्या हो सकती है और यह स्थायी बहरापन का कारण बन सकता है। मंत्रालय ने सभी राज्यों को इस बारे में जागरूकता फैलाने के लिए पत्र भेजा है और विशेष रूप से युवाओं को इसके बारे में सचेत किया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय की चेतावनी
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में सभी राज्यों को एक पत्र जारी किया है, जिसमें ईयरफोन और हेडफोन के अत्यधिक इस्तेमाल से संबंधित खतरों के बारे में चेतावनी दी गई है। मंत्रालय ने कहा है कि इन उपकरणों का लगातार उपयोग सुनने की क्षमता को धीरे-धीरे कम कर सकता है और एक समय ऐसा आ सकता है जब इसे ठीक नहीं किया जा सकता। मंत्रालय ने विशेष रूप से युवाओं को निशाना बनाते हुए कहा है कि इस आयु वर्ग में इस आदत का असर ज्यादा देखा जा रहा है।
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सुनने की समस्या का स्थायी असर
स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि लंबे समय तक ईयरफोन और हेडफोन के इस्तेमाल से सुनने की अपरिवर्तनीय क्षति हो सकती है। एक बार जब सुनने की समस्या हो जाती है, तो इसे ठीक करना मुश्किल हो सकता है। डॉ. अतुल गोयल ने कहा कि 50 डेसिबल से ज्यादा ध्वनि वाले ऑडियो उपकरणों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और यदि करना ही हो, तो 2 घंटे से ज्यादा इनका उपयोग न करें।
बच्चों और सोशल मीडिया पर भी ध्यान
स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने बच्चों के लिए स्क्रीन समय सीमित करने और सोशल मीडिया के इस्तेमाल को कम करने की भी सलाह दी है। इसके अलावा, बच्चों को ऑनलाइन गेमिंग से दूर रखने की भी सिफारिश की गई है, क्योंकि इन गतिविधियों से बच्चों के मस्तिष्क का संज्ञानात्मक विकास प्रभावित हो सकता है।
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पब्लिक प्लेसेज पर भी निर्देश
स्वास्थ्य मंत्रालय ने सार्वजनिक कार्यक्रमों में ध्वनि स्तर को नियंत्रित करने के लिए भी निर्देश जारी किए हैं। सभी राज्यों से कहा गया है कि सार्वजनिक स्थानों पर ध्वनि स्तर 100 डेसिबल से ज्यादा नहीं होना चाहिए। यह कदम सुनने की क्षति को रोकने के लिए उठाया गया है।