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इन पांच प्वाइंट में समझें पूरा मामला
- भारत 152 मिलियन मीट्रिक टन उत्पादन के साथ दुनिया का नंबर-1 चावल उत्पादक बना।
- विश्व के कुल चावल उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 28 फीसदी से अधिक हुई।
- 2024-25 में चावल निर्यात से भारत ने 1.05 लाख करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा कमाई।
- ताइवान की टीएन-1 और आईआर-8 किस्मों ने भारत में हरित क्रांति की नींव रखी।
- भारत के पास दुनिया के सबसे लंबे चावल (PB 1121) का रिकॉर्ड मौजूद है।
कृषि के क्षेत्र में भारत ने एक ऐसी ऐतिहासिक दीवार ढहा दी है, जो दशकों से अभेद्य मानी जा रही थी। चावल के उत्पादन में सालों से चली आ रही चीन की बादशाहत अब खत्म हो गई है। भारत अब दुनिया का सबसे बड़ा चावल उत्पादक देश बन गया है।
अमेरिका के कृषि विभाग (USDA) की दिसंबर 2025 की रिपोर्ट ने इस कामयाबी पर मुहर लगा दी है। आंकड़ों के अनुसार, भारत का चावल उत्पादन 152 मिलियन मीट्रिक टन तक पहुंच गया है, जबकि चीन 146 मिलियन मीट्रिक टन के साथ दूसरे नंबर पर खिसक गया है।
विश्व बाजार पर भारत का कब्जा
आज दुनिया के कुल चावल उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 28 फीसदी से भी ज्यादा हो गई है। भारत का चावल दुनिया के 172 देशों की थाली तक पहुंच रहा है। इंटरनेशनल राइस इंस्टीट्यूट के डॉ. सुधांशु सिंह के मुताबिक, यह न केवल एक आर्थिक रिकॉर्ड है, बल्कि भारत की विदेश नीति का भी एक मजबूत हिस्सा बन चुका है।
साल 2024-25 में भारत ने 4.50 लाख करोड़ रुपए से अधिक की कृषि उपज निर्यात की, जिसमें अकेले चावल का योगदान लगभग 1.05 लाख करोड़ रुपए रहा है।
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ताइवान और 'मिरेकल राइस' का जादू
भारत की इस सफलता की कहानी 60 के दशक से शुरू होती है। उस वक्त भारत खाद्यान्न संकट से जूझ रहा था। तब ताइवान ने भारत की मदद की और अपनी अर्ध-बौनी किस्म ताइचुंग नेटिव-1 (TN1) भारत को दी। इसके बाद 1968 में IR-8 किस्म आई, जिसे मिरेकल राइस कहा गया है। हमारे वैज्ञानिकों ने इन्हीं किस्मों की मदद से भारत की पहली बौनी किस्म जया तैयार की, जिसने उत्पादन की तस्वीर बदल दी।
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बासमती की खुशबू और जीआई टैग का दम
भारत न केवल उत्पादन, बल्कि गुणवत्ता में भी अव्वल है। हम दुनिया के सबसे बड़े बासमती चावल उत्पादक हैं। भारत के पास 'पूसा बासमती 1121' के रूप में दुनिया के सबसे लंबे चावल का रिकॉर्ड है। इसके अलावा, भारत की 15 से अधिक चावल की किस्मों को जीआई टैग हासिल है। आज बासमती का निर्यात ही 50 हजार करोड़ रुपए के आंकड़े को पार कर चुका है, जो वैश्विक बाजार में भारत की मजबूत पकड़ दर्शाता है। भारतीय बासमती चावल
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रिकॉर्ड तोड़ सफलता के बीच बड़ी चुनौती
इतनी बड़ी उपलब्धि के बावजूद भारत के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी है। हालांकि हम उत्पादन में नंबर वन हैं, लेकिन प्रति हेक्टेयर उपज के मामले में अब भी चीन से पीछे हैं। चीन जहां एक हेक्टेयर में 7100 किलो चावल उगाता है, वहीं भारत का अनुमानित आंकड़ा 4390 किलो है। एकपर्ट का मानना है कि अगर हम अपनी प्रति हेक्टेयर उपज को चीन के बराबर ले आएं, तो यह पर्यावरण और पानी की बचत के लिहाज से भारत की सबसे बड़ी जीत होगी। राइस किंग बना भारत | चावल एक्सपोर्ट
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