शेयर बाजार में 28 साल की सबसे बड़ी गिरावट: पहली बार 5 महीने लगातार गिरा, जानें कारण

28 साल में पहली बार भारतीय शेयर बाजार में लगातार 5 महीने से गिरावट जारी है। शुक्रवार को बाजार बंद होते-होते निफ्टी में 12 फीसदी की गिरावट देखी गई। इस गिरावट के बाद निवेशकों के 89 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हो गया।

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Jitendra Shrivastava
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1996 के बाद पहली बार भारतीय शेयर बाजार ने लगातार 5 महीने गिरावट दर्ज की है। निफ्टी में 12% की गिरावट देखी गई, जिससे निवेशकों को 89 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। विदेशी निवेशकों ने 3.11 लाख करोड़ रुपए निकाले, जिससे बाजार पर दबाव बढ़ा। ऑटो और FMCG सेक्टर में 20% से ज्यादा गिरावट आई।

गिरावट के पीछे महंगाई, धीमी आर्थिक विकास दर और विदेशी निवेशकों का चीन की ओर झुकाव प्रमुख कारण बताए जा रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इतिहास में हर बड़ी गिरावट के बाद बाजार ने जबरदस्त रिकवरी की है। ऐसे में निवेशकों को घबराने की बजाय लंबी अवधि के निवेश पर ध्यान देना चाहिए।

5 महीने से लगातार गिर रहा बाजार: क्या कहता है डेटा?

1996 के बाद पहली बार भारतीय शेयर बाजार लगातार 5 महीने तक गिरावट के दौर से गुजर रहा है। अक्टूबर 2024 से फरवरी 2025 तक निफ्टी 12% गिर चुका है। इससे पहले 1996 में जुलाई से नवंबर के बीच बाजार में लगातार 5 महीने की गिरावट देखी गई थी, जब निफ्टी 26% तक गिर गया था। 

निवेशकों को कितना नुकसान हुआ? 

30 सितंबर 2024 को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप 474 लाख करोड़ रुपए था, जो 28 फरवरी 2025 तक घटकर 385 लाख करोड़ रुपए रह गया। यानी, महज 5 महीनों में निवेशकों के 89 लाख करोड़ रुपए डूब गए।  

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बाजार में गिरावट के 4 बड़े कारण...

1. विदेशी निवेशकों की बिकवाली

पिछले 5 महीनों में विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से 3.11 लाख करोड़ रुपए निकाल लिए। इसका मुख्य कारण यह है कि चीन की अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीदों ने विदेशी निवेशकों को आकर्षित किया। भारतीय कंपनियों के मुकाबले चीनी कंपनियों के शेयर ज्यादा सस्ते लग रहे हैं, जिससे विदेशी निवेशक वहां निवेश कर रहे हैं।

2. महंगाई का बढ़ता असर

अक्टूबर 2024 में रिटेल महंगाई 6.21% पर पहुंच गई थी, जो 14 महीनों का उच्चतम स्तर था। जनवरी 2025 में यह घटकर 4.31% पर आ गई, लेकिन यह गिरावट निवेशकों के लिए राहत की बात नहीं थी। बढ़ती महंगाई की वजह से बाजार में अनिश्चितता बनी हुई है।  

3. भारतीय अर्थव्यवस्था की धीमी गति

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की विकास दर 6.4% रह सकती है, जो पिछले 4 वर्षों का सबसे निचला स्तर है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की कमजोर ग्रोथ भी बाजार पर दबाव बना रही है।

4. डोनाल्ड ट्रंप की ट्रेड पॉलिसी से अनिश्चितता

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 'रेसिप्रोकल टैरिफ' नीति ने बाजार में घबराहट पैदा कर दी है। ट्रंप ने कहा कि वे भारत और चीन समेत सभी देशों पर जितना टैरिफ वे अमेरिका पर लगाते हैं, उतना ही अमेरिका भी लगाएगा। इस वजह से निवेशकों में चिंता बढ़ गई है। 

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इस गिरावट के बाद ये करें निवेशक

  • एसेट मैनेजमेंट फर्म फर्स्ट ग्लोबल की एमडी देविना मेहरा कहती हैं कि हर बड़ी गिरावट के बाद बाजार ने औसत से ज्यादा रिटर्न दिया है।  
  • 2008 में सेंसेक्स 20,465 से गिरकर 9,716 पर आ गया, लेकिन 2 साल में ही यह 20,000 के पार चला गया।  
  • 2020 में कोरोना के दौरान सेंसेक्स 42,273 से गिरकर 28,288 पर आया, लेकिन साल के अंत तक 47,751 के स्तर तक पहुंच गया। 

रणनीति:

  • SIP बंद न करें: लंबे समय के निवेशकों के लिए यह खरीदारी का सही समय हो सकता है।  
  • शेयर होल्ड करें: जो निवेशक पहले से इन्वेस्टेड हैं, उन्हें जल्दबाजी में शेयर नहीं बेचने चाहिए।  
  • धीरे-धीरे निवेश करें: नए निवेशक थोड़ा-थोड़ा कर निवेश कर सकते हैं, ताकि जोखिम कम हो। 

क्या ग्लोबल मार्केट भी प्रभावित हुआ?

  • अमेरिकी बाजार (Dow Jones) 5 महीनों में 2.14% चढ़ा
  • चीन का बाजार (Shanghai Composite) 1.55% चढ़ा
  • हांगकांग का बाजार (Hang Seng) 12.23% चढ़ा
  • जर्मनी का बाजार (DAX) 15.8% चढ़ा  

हालांकि, वैश्विक बाजारों में यह उतार-चढ़ाव भारतीय बाजार पर भी असर डाल सकता है। 

इतिहास में कितने महीने लगातार भारतीय बाजार गिरा है?

  • 1995-96 में 8 महीने लगातार गिरावट, निफ्टी 31% टूटा
  • 2008 में महज 1 साल में बाजार आधा हो गया
  • 2020 में कोरोना संकट के दौरान 33% की गिरावट आई 
  • इतिहास बताता है कि हर गिरावट के बाद तेज रिकवरी आई है।  

 

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