जैन आचार्य विद्यासागर महाराज ने ली समाधि, चंद्रगिरी पर्वत पर त्यागा शरीर

छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चन्द्रगिरि तीर्थ में शनिवार (17 फरवरी) देर रात 2:35 बजे दिगंबर मुनि परंपरा के आचार्य विद्यासागर महाराज ने अपना शरीर त्याग दिया।

Advertisment
author-image
Pratibha Rana
New Update
म

Jain Acharya Vidyasagar

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

BHOPAL. राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ के चंद्रगिरी में जैन आचार्य विद्यासागर( Jain Acharya Vidyasagar) महाराज ने समाधि ली। रात लगभग 2:30 बजे जैन आचार्य विद्यासागर महाराज का देवलोक गमन हो गया(Jain Acharya Vidyasagar passes away)।

ये खबर भी पढ़िए...कमलनाथ और बेटे नकुलनाथ आज कर सकते हैं PM मोदी और अमित शाह से मुलाकात

ये खबर भी पढ़िए...महादेव सट्टा एप : नीतीश दीवान को ईडी ने किया गिरफ्तार, 8 दिन की रिमांड

विद्यासागर महाराज ने ली अंतिम सांस

छत्तीसगढ़ के चन्द्रगिरि तीर्थ में शनिवार (17 फरवरी) देर रात 2:35 बजे दिगंबर मुनि परंपरा के आचार्य विद्यासागर महाराज ने अपना शरीर त्याग दिया। पूर्ण जागृतावस्था में उन्होंने आचार्य पद का त्याग करते हुए 3 दिन का उपवास लिया था और अखंड मौन धारण कर लिया था, जिसके बाद उन्होंने प्राण त्याग दिए।

ये खबर भी पढ़िए...जबलपुर शराब सिंडिकेट की मनमानी, खुद दाम बढ़ाए, आबकारी अमले को खबर नहीं

आचार्य विद्यासागर महाराज के बारे में जानिए...

आचार्य विद्यासागर महाराज जैन धर्म के एक महान संत और समाज सुधारक थे। उनका जन्म 10 अक्टूबर 1946 को कर्नाटक के बेलगावी जिले के सदलगा में हुआ था। उनका जन्म नाम विद्याधर था।

प्रारंभिक जीवन:

  • विद्याधर बचपन से ही बहुत बुद्धिमान थे।

    उन्होंने संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी, मराठी और कन्नड़ भाषाओं में शिक्षा प्राप्त की।

    उन्होंने जैन दर्शन और धर्म का भी अध्ययन किया।

दीक्षा:

1866 में, 20 वर्ष की आयु में, विद्याधर ने आचार्य ज्ञानसागर जी से जैन दीक्षा ग्रहण की।

दीक्षा के बाद, उन्हें "विद्यासागर" नाम दिया गया।

कार्य:

  • आचार्य विद्यासागर महाराज ने अपना जीवन जैन धर्म के प्रचार और समाज सुधार कार्यों में समर्पित कर दिया।

    उन्होंने भारत के कई हिस्सों में यात्रा की और जैन धर्म के बारे में लोगों को शिक्षित किया।

    उन्होंने अनेक जैन मंदिरों और धर्मशालाओं का निर्माण भी करवाया।

ये खबर भी पढ़िए...बिट्स पिलानी की महिला से साढ़े सात करोड़ की ठगी, 80 लाख का लोन भी लिया

समाज सुधार कार्य:

  • आचार्य विद्यासागर महाराज ने बाल विवाह, पर्दा प्रथा, और जातिवाद जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ाई लड़ी।

    उन्होंने महिला शिक्षा और विधवा पुनर्विवाह को बढ़ावा दिया।

    उन्होंने अस्पृश्यता का विरोध किया और सभी लोगों की समानता के लिए लड़ाई लड़ी।

रचनाएं:

  • आचार्य विद्यासागर महाराज एक विद्वान भी थे।

    उन्होंने कई जैन ग्रंथों पर टीकाएँ लिखीं।

    उन्होंने हिन्दी और संस्कृत में कई रचनाएँ भी लिखीं।

विद्यासागर महाराज के बारे में ये भी जानिए...

  • उन्होंने जैन धर्म के प्रचार और समाज सुधार कार्यों में अपना जीवन समर्पित कर दिया।
  • उन्होंने भारत के कई हिस्सों में यात्रा की और जैन धर्म के बारे में लोगों को शिक्षित किया।
  • उन्होंने अनेक जैन मंदिरों और धर्मशालाओं का निर्माण भी करवाया।
  • उन्होंने बाल विवाह, पर्दा प्रथा, और जातिवाद जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
  • उन्होंने महिला शिक्षा और विधवा पुनर्विवाह को बढ़ावा दिया।
  • उन्होंने अस्पृश्यता का विरोध किया और सभी लोगों की समानता के लिए लड़ाई लड़ी।
  • वे एक विद्वान भी थे और उन्होंने कई जैन ग्रंथों पर टीकाएं लिखीं।
जैन आचार्य विद्यासागर Jain Acharya Vidyasagar passes away Jain Acharya Vidyasagar