अडानी समूह के प्रमुख गौतम अडानी के छोटे बेटे जीत ने शादी से पहले एक अहम और दिल को छूने वाला फैसला लिया है। जीत अडानी ने अपनी शादी से पहले हर साल 500 दिव्यांग नवविवाहित महिलाओं को 10 लाख रुपए की आर्थिक मदद देने का ऐलान किया है। इस पहल को ‘मंगल सेवा’ के नाम से शुरू किया गया है, जिसका उद्देश्य दिव्यांग महिलाओं को अपनी जिंदगी में आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ उनके जीवन को बेहतर बनाना है। जीत और दिवा शाह की शादी शुक्रवार को अहमदाबाद में होने जा रही है, और इससे पहले उनका यह कदम उनके सामाजिक उत्तरदायित्व को दिखाता है।
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फैमिली के विचारों से प्रेरित कदम
जीत का यह नेक काम उनके पिता गौतम अडानी के विचारों से प्रेरित है। पिता गौतम अडानी हमेशा यह मानते रहे हैं कि सेवा ही सच्चा ध्यान है, सेवा ही सच्ची प्रार्थना है, और सेवा ही ईश्वर है। अपने बेटे के इस कार्य पर खुश होकर गौतम अडानी ने X पर लिखा, "जीत और दिवा अपनी नई ज़िंदगी की शुरुआत एक नेक काम के साथ कर रहे हैं। इस पहल से कई दिव्यांग बेटियों और उनके परिवारों के जीवन में खुशी आएगी। मैं उन्हें इस रास्ते पर आगे बढ़ने के लिए ढेरों आशीर्वाद देता हूं।"
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जीत अडानी का प्रोफेशनल जीवन
जीत अडानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स के डायरेक्टर हैं, जो भारत की सबसे बड़ी एयरपोर्ट कंपनी है और आठ एयरपोर्ट्स का प्रबंधन और विकास करती है। इसके अलावा, जीत अडानी समूह के रक्षा, पेट्रोकेमिकल और कॉपर बिजनेस की भी देखरेख करते हैं। अपने पेशेवर जीवन में भी वह उत्कृष्टता की मिसाल कायम कर रहे हैं। व्यक्तिगत जीवन में जीत अपनी मां प्रीति अडानी से प्रेरित हैं, जिन्होंने अडानी फाउंडेशन के लिए काम किया है और समाजसेवा में योगदान दिया है।
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10 लाख रुपए की आर्थिक मदद
जीत ने दिव्यांग नवविवाहित महिलाओं के लिए 10 लाख रुपए की आर्थिक मदद देने का ऐलान किया है, ताकि वे अपने जीवन को बेहतर बना सकें। खासतौर पर, विवाह के बाद दिव्यांगता जीवन को और भी चुनौतीपूर्ण बना सकती है, लेकिन इस वित्तीय सहायता से महिलाएं अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए अपना खुद का छोटा-मोटा बिजनेस शुरू कर सकती हैं या अपने परिवार के लिए कुछ बेहतर कर सकती हैं।
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नए कदम से प्रेरणा और उम्मीद
जीत का यह कदम न केवल एक व्यक्तिगत प्रयास है, बल्कि यह समाज में बदलाव और सहायता की नई दिशा में एक कदम है। इस पहल से दिव्यांग महिलाओं को न केवल आर्थिक मदद मिलेगी, बल्कि उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा। इस नेक कार्य से न केवल उन महिलाओं का जीवन बदलेगा, बल्कि समाज में एक सकारात्मक संदेश भी जाएगा।