झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में एक दुखद घटना घटी, जिसमें मिड-डे मील खाने से 20 से ज्यादा स्कूली बच्चे बीमार हो गए। इनमें से एक छह साल की बच्ची आयुषी गोप की मौत हो गई। यह घटना प्राथमिक विद्यालय नयागांव ओड़िया स्कूल में हुई, जहां बच्चों को दाल-चावल और आलू की सब्जी परोसी गई थी। खाने के बाद बच्चों को उल्टी और दस्त होने लगे, और हालत बिगड़ने पर उन्हें इलाज के लिए अस्पतालों में भर्ती किया गया।
बीमार बच्चों का इलाज और मौत का कारण
घटना के बाद करीब सात बच्चों को जगन्नाथपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया, जबकि एक बच्चे की गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे चाईबासा सदर अस्पताल रेफर किया गया। वहीं, छह साल की आयुषी गोप की मौत हो गई। इस घटना के बाद पूरे गांव में डर और घबराहट फैल गई। ग्रामीणों ने बताया कि सुबह से कोई मेडिकल टीम मौके पर नहीं पहुंची थी, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई।
गांव के मुखिया संजित कुमार तिरिया ने बताया कि इलाके में डायरिया फैलने की सूचना दी गई थी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई। यहां तक कि भेजी गई एएनएम को डायरिया के बजाय मलेरिया का टेस्ट करने के निर्देश दिए गए। इस लापरवाही के कारण स्थिति और खराब हो गई, और बच्चों की हालत बिगड़ी।
पूर्व मुख्यमंत्री का बयान और कार्रवाई की मांग
पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि राज्य सरकार पूरी तरह से संवेदनहीन हो चुकी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने न तो वृद्धों और विधवाओं को समय पर पेंशन दी और न ही व्यापारी सुरक्षित हैं। अब एक छोटी सी बच्ची की लापरवाही से मौत हो गई है। उन्होंने मामले की जांच की मांग करते हुए दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अपील की। इसके साथ ही उन्होंने इलाजरत बच्चों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने की भी अपील की।
झारखंड में मिड डे मील खाने से कितने बच्चे बीमार हुए?
झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में मिड डे मील खाने से 20 से ज्यादा बच्चे बीमार हो गए। इनमें से एक छह साल की बच्ची आयुषी गोप की मौत हो गई। बच्चों को उल्टी और दस्त की शिकायतें आईं, जिससे उनकी स्थिति बिगड़ी और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया।
पूर्व सीएम चंपई सोरेन ने इस मामले पर क्या प्रतिक्रिया दी?
पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने इस घटना की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार संवेदनहीन हो चुकी है और इस घटना पर तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की और इलाजरत बच्चों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की अपील की।
स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले में क्या लापरवाही की?
स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले में गंभीर लापरवाही दिखाई। गांव के मुखिया ने बताया कि डायरिया फैलने की सूचना दी गई थी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने उचित समय पर कार्रवाई नहीं की। एएनएम को मलेरिया का टेस्ट करने के लिए भेजा गया, जबकि बच्चों को डायरिया का इलाज चाहिए था। इस कारण बच्चों की स्थिति बिगड़ गई।