जस्टिस सूर्यकांत होंगे भारत के 53वें नए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया, राष्ट्रपति ने की नियुक्ति

जस्टिस सूर्यकांत भारत के नए मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किए गए हैं। यह नियुक्ति 24 नवंबर, 2025 से प्रभावी होगी। वे वर्तमान में चीफ जस्टिस बीआर गवई का स्थान लेंगे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने यह आदेश जारी किया है।

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Neel Tiwari
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Photograph: (The Sootr)

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New Delhi. भारत सरकार के कानून एवं न्याय मंत्रालय के विधि विभाग ने आदेश जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत को देश का नया मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) नियुक्त किया है। यह नियुक्ति 24 नवंबर, 2025 से प्रभावी होगी।

राष्ट्रपति द्वारा संविधान के अनुच्छेद 124(2) के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह आदेश जारी किया गया है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत वर्तमान चीफ जस्टिस बीआर गवई का स्थान लेंगे, जिनका कार्यकाल नवंबर के अंतिम सप्ताह में समाप्त हो रहा है।

कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने दी बधाई

कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस ऐतिहासिक नियुक्ति की जानकारी अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा की और न्यायमूर्ति सूर्यकांत को बधाई दी। उन्होंने लिखा है, राष्ट्रपति जी द्वारा न्यायमूर्ति सूर्यकांत को भारत का अगला मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किए जाने पर हार्दिक बधाई। न्यायपालिका में आपकी निष्पक्षता, संवेदनशीलता और दूरदर्शी दृष्टिकोण देश के न्याय तंत्र को और सशक्त बनाएंगे।

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15 महीने का होगा कार्यकाल

इस साल 14 मई को प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने वाले न्यायमूर्ति गवई ने अगले प्रधान न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति सूर्यकांत के नाम की सिफारिश की थी। इसके बाद सरकार ने उनके नाम की सिफारिश की, जिसे राष्ट्रपति ने मंजूरी दी। न्यायमूर्ति सूर्यकांत का कार्यकाल प्रधान न्यायाधीश के रूप में करीब 15 महीने होगा, और वह 9 फरवरी, 2027 को रिटायर होंगे।

चीफ जस्टिस की अधिकतम उम्र 65 वर्ष

सुप्रीम कोर्ट के जजों की रिटायरमेंट एज 65 वर्ष निर्धारित है। भारत में चीफ जस्टिस के पद पर नियुक्ति के लिए सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को चुना जाता है, जिन्हें पद ग्रहण करने के लिए उपयुक्त माना जाता है। परंपरागत रूप से, यह सिफारिश मौजूदा प्रधान न्यायाधीश की 65 वर्ष की आयु से एक महीने पहले की जाती है।

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सुप्रीम कोर्ट के नवनियुक्त चीफ जस्टिस सूर्यकांत भारतीय न्यायपालिका के बेहद प्रतिष्ठित और समाज के प्रति संवेदनशील जज
सुप्रीम कोर्ट के नवनियुक्त चीफ जस्टिस सूर्यकांत भारतीय न्यायपालिका के बेहद प्रतिष्ठित और समाज के प्रति संवेदनशील जज हैं, जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत, ईमानदारी, और न्यायप्रियता के बल पर सर्वोच्च पद तक पहुंच बनाई है।

जन्म और प्रारंभिक जीवन: साधारण किसान परिवार से न्यायिक पद तक
उनका जन्म 10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार जिले के पेटवार गांव में हुआ था। एक साधारण किसान परिवार से आए सूर्यकांत ने प्रारंभिक शिक्षा अपनी स्थानीय सरकारी स्कूल से पूरी की और बाद में हिसार के गवर्नमेंट पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की। इसके उपरांत, उन्होंने महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से कानून की डिग्री प्राप्त की।

वकील से न्यायधीश तक: संघर्ष और सफलता का प्रेरणादायक सफर
आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों के बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी और 1984 में हिसार की जिला अदालत से अपने वकील करियर की शुरुआत की, और बहुत जल्दी पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में बहस करने वाले लोकप्रिय वकील बन गए।

वरिष्ठ अधिवक्ता और एडवोकेट जनरल के रूप में कार्यकाल
अपने व्यावसायिक जीवन में उन्हें 2001 में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया, और हरियाणा के एडवोकेट जनरल भी रहे।

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट से हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट तक: न्यायिक सेवा में योगदान
उनकी ईमानदारी, न्यायिक समझ और संवेदनशील दृष्टिकोण को देखते हुए उन्हें 2004 में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया। 2018 में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश के रूप में सूर्यकांत ने सार्वजनिक हित, पर्यावरण संरक्षण, मानवाधिकार, और कमजोर वर्गों के संरक्षण से जुड़े कई बड़े फैसले दिए।

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सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत के ऐतिहासिक फैसले
मई 2019 में वे भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त किए गए। उनका कार्यकाल कई ऐतिहासिक फैसलों के लिए जाना जाएगा मसलन, उन्होंने नागरिक अधिकार, पर्यावरण, और शासन में पारदर्शिता को लेकर सूक्ष्म और दूरगामी निर्णय दिए।

सार्वजनिक जलाशयों और पर्यावरण संरक्षण पर महत्वपूर्ण निर्णय
उन्होंने बोर्ड्स, पब्लिक इंटरस्ट लीटिगेशन, और संवैधानिक मामलों में प्रभावशाली हस्तक्षेप किए। विशेष रूप से 'Jitendra Singh बनाम Ministry of Environment' मामले में उन्होंने सार्वजनिक जलाशयों को लोगों की साझा संपत्ति बताया और उनके नष्ट होने को अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का उल्लंघन माना।

संविधान पीठ के सदस्य के रूप में जस्टिस सूर्यकांत का योगदान
आगे चलकर सुप्रीम कोर्ट में, वे कई बार संविधान पीठ के सदस्य रहे और हाल के वर्ष में दिल्ली के मुख्यमंत्री और कई सामाजिक कार्यकर्ताओं को न्याय दिलाने वाले बेहतरीन आदेश लिखे।

सामाजिक और न्यायिक सुधारों में योगदान: न्यायपालिका से बाहर भी सक्रियता
जस्टिस सूर्यकांत केवल कोर्ट के भीतर ही नहीं, बल्कि उसके बाहर भी सामाजिक और न्यायिक सुधारों के लिए सक्रिय हैं। वे नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (NALSA) और सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी (SCLSC) के चेयरमैन भी रहे, जहाँ उन्होंने मुफ्त कानूनी सहायता और न्यायिक व्यवस्थाओं की जवाबदेही बढ़ाने के लिए कई योजनाएं चलाईं।

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NALSA और SCLSC के अध्यक्ष के रूप में न्यायिक सुधार की दिशा
उनकी छवि एक न्यायप्रिय, मानवीय और कार्य के प्रति निष्ठावान न्यायधीश की है, जो तकनीकी नवाचार व कानूनी शिक्षा को भी आगे बढ़ाने में विश्वास रखते हैं।

जस्टिस सूर्यकांत का दृष्टिकोण: न्यायिक सुधार और संविधान की रक्षा
वर्तमान में, सूर्यकांत भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के तौर पर अपना पद संभालने जा रहे हैं और उनका कार्यकाल फरवरी 2027 तक रहेगा।

न्यायपालिका में पारदर्शिता, तकनीकी हस्तक्षेप और समावेशी दृष्टिकोण की ओर मार्गदर्शन
सूर्यकांत से न्यायिक सुधार, न्याय व्यवस्था में पारदर्शिता, तकनीकी हस्तक्षेप और संविधान की मूल भावना की रक्षा को लेकर विशेष आशाएं हैं।

जस्टिस सूर्यकांत का कार्यकाल: न्यायपालिका को समाज के प्रति उत्तरदायित्वपूर्ण बनाना
उनकी दृष्टि और नेतृत्व न्यायपालिका को समाज के प्रति और अधिक उत्तरदायित्वपूर्ण तथा समावेशी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

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