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Photograph: (thesootr)
मार्च 2025 में दिल्ली के जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में आग लगी। इस दौरान स्टोररूम में अधजले 500 रुपए के नोट मिले। नोटों का ढेर 1.5 फीट ऊंचा था। जांच में यह सामने आया कि कमरे तक केवल जस्टिस वर्मा और उनके परिवार के सदस्य ही पहुंच सकते थे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक तीन सदस्यीय समिति बनाई। समिति ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की सिफारिश की है।
रिपोर्ट में क्या कहा गया?
जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में दो प्रमुख बिंदु प्रस्तुत किए हैं जो जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग के लिए पर्याप्त कारण साबित हो सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, स्टोररूम में जो नकदी मिली थी, वह जस्टिस वर्मा के नियंत्रण में स्थित थी। केवल जस्टिस वर्मा और उनके परिवार के सदस्य ही उस कमरे में प्रवेश कर सकते थे। समिति ने यह भी पाया कि आग बुझने के बाद स्टोररूम से बड़ी मात्रा में नोट गायब हो गए थे, जो पूरी तरह से संदेहास्पद है।
महाभियोग की सिफारिश
रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए पर्याप्त आधार मौजूद हैं। पैनल ने अपनी जांच के दौरान 55 गवाहों से पूछताछ की और जस्टिस वर्मा का बयान भी दर्ज किया। इसके आधार पर, सुप्रीम कोर्ट की समिति ने यह निष्कर्ष निकाला कि मामला गंभीर है और जस्टिस वर्मा के खिलाफ उचित कार्यवाही की आवश्यकता है।
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जस्टिस वर्मा ने किया खंडन
जस्टिस यशवंत वर्मा ने इन आरोपों का पूरी तरह से खंडन किया है। उन्होंने अपने बयान में कहा कि स्टोररूम से मिली अधजली नकदी से उनका या उनके परिवार के किसी सदस्य का कोई संबंध नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि यह पूरी तरह से एक साजिश है और उन्हें जानबूझकर फंसाने की कोशिश की जा रही है। जस्टिस वर्मा ने इस्तीफा देने से भी इनकार कर दिया है।
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जांच समिति ने की गवाहों से पूछताछ
जांच समिति ने इस मामले के प्रमुख गवाहों से पूछताछ की। इनमें से कुछ गवाहों ने आग बुझाने के बाद अधजले 500 रुपए के नोटों के ढेर को देखा। अन्य गवाहों ने बताया कि नोटों के आसपास पानी भी था और कुछ नोट जलने के कारण नष्ट हो गए थे। एक फायर ऑफिसर ने बताया कि प्लास्टिक बैग में भरी नकदी जलने से आग और भी भड़क गई थी।
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- अंकित सहवाग
एक फायर ऑफिसर अंकित सहवाग ने टॉर्च की रोशनी में स्टोररूम में आधे जल चुके ₹500 के नोटों का ढेर देखा। वह रिपोर्ट करते हैं कि नोट पानी के कारण भीग चुके थे। - प्रदीप कुमार
एक और फायर ऑफिसर प्रदीप कुमार ने जब स्टोररूम में प्रवेश किया तो उन्होंने देखा कि उनके पैर में कुछ लगा। झुककर देखने पर उन्हें 500 रुपए के नोटों का ढेर मिला, जिसे उन्होंने बाहर खड़े अपने सहयोगियों को सूचित किया। - मनोज मेहलावत
स्टेशन ऑफिसर मनोज मेहलावत ने घटनास्थल की तस्वीरें खींचीं और आग बुझाने के बाद अधजली नकदी को देखा। उन्होंने वीडियो में ‘महात्मा गांधी में आग लग रही है भाई’ कहते हुए अपनी आवाज रिकॉर्ड की। - भंवर सिंह
DFS में ड्राइवर भंवर सिंह ने बताया कि उन्होंने अपने 20 साल के फायर सर्विस करियर में पहली बार इतनी बड़ी मात्रा में नकदी देखी, जिससे वह अत्यंत चकित रह गए। - प्रविंद्र मलिक
एक फायर ऑफिसर प्रविंद्र मलिक ने देखा कि आग में जलने के कारण प्लास्टिक बैग में भरी हुई नकदी नष्ट हो गई थी। उन्होंने यह भी बताया कि लिकर कैबिनेट की वजह से आग और भी भड़क गई थी। - सुमन कुमार
असिस्टेंट डिविजनल ऑफिसर सुमन कुमार ने वरिष्ठ अधिकारी को नकदी मिलने की सूचना दी थी, लेकिन उन्हें निर्देश मिला कि बड़े लोगों के कारण आगे कोई कार्रवाई न की जाए। - राजेश कुमार
तुगलक रोड थाना के एक पुलिस अधिकारी राजेश कुमार ने आग बुझने के बाद अधजली नकदी को देखा और वहां उपस्थित लोगों को वीडियो बनाते हुए पाया। - सुनील कुमार
ICPCR के इंचार्ज सुनील कुमार ने स्टोररूम में झांकते हुए जली और अधजली नकदी का अवलोकन किया और इस दौरान तीन वीडियो बनाए, जिनमें से कोई भी वायरल नहीं हुआ। - रूप चंद
तुगलक रोड थाना के हेड कांस्टेबल रूप चंद ने SHO के निर्देश पर मोबाइल से पूरी घटना का रिकॉर्ड रखा। उन्होंने देखा कि नोट स्टोररूम के दरवाजे से लेकर पीछे की दीवार तक फैले हुए थे। - उमेश मलिक
तुगलक रोड थाना के SHO उमेश मलिक ने 1.5 फीट ऊंचे जले हुए 500 रुपए के नोटों के ढेर को देखा। इनमें से कुछ नोट गड्डियों में बंधे हुए थे, जबकि अन्य पानी में बिखरे हुए थे।
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क्या है पूरा मामला?
यह घटना मार्च 2025 की है, जब जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में अचानक आग लग गई। आग बुझाने के बाद दिल्ली फायर सर्विस और पुलिस अधिकारियों ने स्टोररूम में भारी मात्रा में अधजले 500 रुपए के नोट पाए। यह खोज पूरी दुनिया में सनसनी बन गई, क्योंकि यह पाया गया कि उन नोटों का ढेर लगभग 1.5 फीट ऊंचा था और नोट चारों ओर बिखरे हुए थे। चश्मदीदों के अनुसार, उस कमरे तक केवल जस्टिस वर्मा और उनके परिवार के सदस्य ही पहुंच सकते थे। इसके बाद, उस कमरे से सभी नोट गायब हो गए, जिससे मामला और भी संदिग्ध हो गया।
जस्टिस वर्मा पर आगामी कार्रवाई
अब, सुप्रीम कोर्ट के पैनल द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करने की सिफारिश की गई है। हालांकि, जस्टिस वर्मा ने इस पूरे मामले को नकारते हुए इसे एक साजिश बताया है। अदालत में अब इस मामले की आगे की सुनवाई होगी और यह देखना होगा कि क्या महाभियोग की प्रक्रिया शुरू होती है या नहीं।
Justice Yashwant Varma | दिल्ली हाईकोर्ट | भ्रष्टाचार
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