स्पीकर के लिए​ फिर​ बिरला का नाम, राहुल नेता प्रतिपक्ष बने तो 20 साल में पहली बार संभालेंगे संवैधानिक पद

18वीं लोकसभा का पहला सत्र 24 जून से शुरू होने जा रहा है। नेता प्रतिपक्ष कौन होगा यह अब भी सवाल बना हुआ है। कांग्रेस के भीतर राहुल गांधी से इस पद को संभालने की बात कही जा रही है लेकिन इस पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है। 

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Ravi Kant Dixit
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New Delhi Lok Sabha Speaker Om Birla Rahul Gandhi Leader Opposition 
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NEW DELHI. नई सरकार के गठन के बाद सियासत एक बार फिर दिल्ली पर केंद्रित पर हो गई है। 18वीं लोकसभा का पहला सत्र 24 जून से शुरू होगा। यह 3 जुलाई तक चलेगा। इसके लिए अभी लोकसभा अध्यक्ष यानी स्पीकर, उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के नामों पर विचार चल रहा है।

बीजेपी की कोशिश है कि अध्यक्ष सर्वसम्मति से चुना जाए। माना जा रहा है कि इसके बदले बीजेपी उपाध्यक्ष पद विपक्ष को दे सकती है। सरकार दोनों पदों के लिए चुनाव की नौबत नहीं आने देना चाहती, जिससे आसन की निष्पक्षता पर किसी तरह के सवाल न उठें। स्पीकर के पद के लिए फिलहाल पूर्व स्पीकर व कोटा से बीजेपी सांसद ओम बिरला के ही नाम की चर्चा है।

क्या राहुल गांधी बनेंगे leader of opposition

बड़ा सवाल यही है कि क्या 99 सीटें जीतने वाली कांग्रेस से राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष यानी leader of opposition होंगे। फिलहाल तो उन्हीं के नाम की चर्चा है। यदि राहुल नेता प्रतिपक्ष बनते हैं तो वे काफी प्रभावशाली होंगे। इसी के साथ 20 वर्ष में ऐसा पहली बार होगा, जब राहुल के पास कोई संवैधानिक पद होगा।

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आईए आपको बताते हैं कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष कितना पॉवरफुल होता है...

1. केंद्रीय सतर्कता आयोग के सदस्यों की नियुक्ति में नेता प्रतिपक्ष का अहम रोल होता है। आयोग के प्रमुख और सदस्यों की नियुक्ति के लिए समिति में नेता प्रतिपक्ष का शामिल होना जरूरी होता है।

2. लोकपाल की चयन समिति में नेता प्रतिपक्ष पदेन सदस्य होते हैं। इस समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष यानी स्पीकर, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और एक अन्य न्यायिक सदस्य शामिल होते हैं।

3. नेता प्रतिपक्ष को विभिन्न संसदीय समितियों में सदस्य के रूप में शामिल किया जाता है। यह समितियां संसद के कामकाज की निगरानी और नीति निर्माण में बेहद अहम भूमिका निभाती हैं।

4. नेता प्रतिपक्ष को संसद के भीतर विशेषाधिकार प्राप्त होता है, जिसमें उन्हें बोलने और अपनी राय व्यक्त करने का प्रमुख अधिकार शामिल है। यदि नेता प्रतिपक्ष हाउस में बोल रहे हैं तो बीच में कोई और नहीं बोल सकता। 

5. विपक्ष का नेता संसद में सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों की आलोचना करने और सवाल उठाने के लिए स्वतंत्र होता है। साथ ही प्रमुख विधेयकों और नीतिगत मामलों पर विपक्ष का दृष्टिकोण संसद में रखते है।

6. नेता प्रतिपक्ष को केंद्रीय मंत्री के समान वेतन और सुविधाएं दी जाती हैं। नेता प्रतिपक्ष की मासिक सैलरी 3 लाख 30 हजार रुपए होती है। साथ ही कैबिनेट मंत्री स्तर के आवास की सुविधा ड्राइवर सहित कार जैसी सुविधाएं मिलती है।

दो बार इसलिए मात खा गई कांग्रेस

लोकसभा में अब 10 साल बाद कांग्रेस को नेता प्रतिपक्ष का पद अधिकृत रूप से मिलेगा। मोदी सरकार के पहले और दूसरे कार्यकाल में कांग्रेस के लोकसभा सांसदों की संख्या 10 फीसदी से कम थी। लिहाजा, यह पद खाली था। इस बार कांग्रेस के 99 सांसद जीतकर सदन पहुंचे हैं, जो लोकसभा की कुल संख्या का 18 फीसदी है। इससे पहले 2014 के चुनाव में कांग्रेस के 44 थे, जबकि 2019 में यह आंकड़ा 52 था। दोनों ही बार कांग्रेस के पास जरूरी 10 फीसदी संसद सदस्य नहीं थे।

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लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के प्रमुख कार्यकाल

राम सुभग सिंह (Congress)

कार्यकाल: 1969–1971

यशवंतराव चव्हाण (Congress)

कार्यकाल: 1977–1979

सीताराम केसरी (Congress)

कार्यकाल: 1979–1980

पी. उपेंद्र (TDP)

कार्यकाल: 1980–1984

ए. के. गुप्ता (Janata Party)

कार्यकाल: 1984–1989

लालकृष्ण आडवाणी (BJP)

कार्यकाल: 1989–1991

राजीव गांधी (Congress)

कार्यकाल: 1991

अटल बिहारी वाजपेयी (BJP)

कार्यकाल: 1993–1996

शरद पवार (Congress)

कार्यकाल: 1996–1998

सोनिया गांधी (Congress)

कार्यकाल: 1999–2004

लालकृष्ण आडवाणी (BJP)

कार्यकाल: 2004–2009

सुषमा स्वराज (BJP)

कार्यकाल: 2009–2014

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