Patanjali Misleading Advertisement Case : पतंजलि अपने दृष्टि आई-ड्रॉप समेत कई प्रोडक्ट मार्केट से वापस मंगवा रही है, क्योंकि इन प्रोडक्ट्स का लाइसेंस रद्द ( Patanjali Products Ban ) कर दिया गया है। देश में इस कंपनी के प्रोडक्ट्स को लाखों लोग उपयोग करते हैं, लेकिन भ्रामक विज्ञापन मामले में अब पतंजलि को सुप्रीम कोर्ट के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। इसी के चलते उत्तराखंड की लाइसेंसिंग अथॉरिटी ने पतंजलि के लगभग दर्जन भर से ज्यादा प्रोडक्ट्स का लाइसेंस रद्द कर दिया है।
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पतंजलि के इन प्रोडक्ट्स का किया लाइसेंस रद्द
उत्तराखंड की लाइसेंसिंग अथॉरिटी द्वारा दिव्य फार्मेसी और पतंजलि आयुर्वेद के 14 उत्पादों का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है। लाइसेंस रद्द होने के बाद पतंजलि अपने प्रोडक्ट्स को बाज़ार से वापस मंगा रही है। वापस मंगाए जाने वाले प्रोडक्ट में दृष्टि आई-ड्रॉप, मधुनाशिनी वटी, श्वासारि गोल्ड, श्वासारि वटी, ब्रोंकोम, श्वासारि प्रवाही, श्वासारि अवलेह, मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पावर, लिपिडोम, बीपी ग्रिट, मधुग्रिट, लिवामृत एडवांस, लिवोग्रिट और आईग्रिट गोल्ड शामिल हैं।
उत्तराखंड सरकार (Uttarakhand Government) ने बताया कि पतंजलि का लाइसेंस रद्द भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के कारण किया गया है। जिन उत्पादों का लाइसेंस रद्द किया है उनका निर्माण दिव्य फार्मेसी द्वारा किया जाता है। उत्तराखंड सरकार ने लाइसेंस रद्द करने के साथ ही सभी दवाइयों के उपयोग करने पर भी रोक लगा दी। इसके साथ ही राज्य सरकार ने सभी जिला निरीक्षकों और केंद्रीय आयुष मंत्रालय को जानकारी दी।
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ये है मामला
दरअसल, बाबा रामदेव और उनकी कंपनी के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन का मामला पिछले साल नवंबर में शुरू हुआ था, जब सुप्रीम कोर्ट ने आधुनिक चिकित्सा पर सवाल उठाने के लिए बाबा रामदेव और उनकी कंपनी को कड़ी चेतावनी जारी की थी। पतंजलि के कुछ विज्ञापनों में दिखाया गया था कि कैसे इसकी दवाएं कई बीमारियों का इलाज कर सकती हैं। इसके साथ ही इन विज्ञापनों में एलोपैथिक और आधुनिक चिकित्सा को कम बताया और सवाल उठाए गए।
कोर्ट से फटकार मिलने के बाद भी दिया ये बयान
इस मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने उन सभी प्रोडक्ट्स के भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ भारी जुर्माना लगाने की बात कही थी, जो अस्थमा, मोटापा और इस तरह की बीमारियों को ठीक करने का वादा करते हैं। पतंजलि ने कोर्ट से कहा था, कंपनी ये सुनिश्चित करेगी कि आगे चलकर किसी भी मेडिकल सिस्टम के खिलाफ मीडिया में किसी भी रूप में कोई भी बयान जारी नहीं किया जाएगा। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी के एक दिन बाद ही पतंजलि ने एक बयान जारी कर दिया।
कोर्ट ने रखा फैसला सुरक्षित
पतंजलि कंपनी ने कहा, 'वो अपने प्रोडक्ट्स के संबंध में कोई 'झूठा विज्ञापन या प्रचार' नहीं कर रही है और अगर सुप्रीम कोर्ट जुर्माना लगाती है, तो भी उसे कोई आपत्ति नहीं है' अगर भ्रामक दावे करते हुए पाए जाएं तो हमें मौत की सजा भी दे दी जाए' इसी बयान के बाद आदेशों के उल्लंघन और अवमानना को लेकर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी कार्यवाही शुरू हुई। वहीं इस मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने योग गुरु रामदेव, उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को भ्रामक विज्ञापन मामले में जारी अवमानना नोटिस पर आदेश सुरक्षित रखा है।
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2006 में हुई थी पतंजलि की शुरुआत
पतंजलि आयुर्वेद एक भारतीय बहुराष्ट्रीय समूह होल्डिंग कंपनी है, जो हरिद्वार में स्थित है। इसकी स्थापना 2006 में रामदेव और बालकृष्ण द्वारा की गई थी। इसका कार्यालय दिल्ली में है, इसकी विनिर्माण इकाइयाँ और मुख्यालय हरिद्वार के औद्योगिक क्षेत्र में है। पतंजलि कंपनी ब्यूटी प्रोडक्ट्स, आयुर्वेदिक दवा, व्यक्तिगत देखभाल और खाद्य पदार्थ ( बिस्किट ,आटा, घी आदि ) बनाती है।
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