ब्रिटिश वैज्ञानिकों का कारनामा, 30 साल तक जवान बनाने वाली तकनीक से पलटी उम्र

बाबरहम इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने एक नया तरीका अपनाया। उन्होंने यामानाका फैक्टर की नियंत्रित खुराक 13 दिनों तक दी। यह ऐसा था, जैसे उन्हें सिर्फ इतनी दवाई दी जाए, जिससे वे ठीक हो जाएं, लेकिन पूरी तरह से न बदलें।

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Sandeep Kumar
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क्या आपने कभी सोचा है कि हम अपनी उम्र को कुछ साल पीछे कर सकें तो कैसा होगा? यह किसी साइंस फिक्शन फिल्म जैसा लग सकता है, लेकिन ब्रिटिश के वैज्ञानिकों ने इस दिशा में एक बड़ी सफलता हासिल की है। कैम्ब्रिज के बाबरहम इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जिससे मानव त्वचा कोशिकाओं को उनकी वास्तविक उम्र से 30 साल तक जवान किया जा सकता है।

सोचिए, आपकी 53 साल पुरानी त्वचा कोशिकाएं, जो उम्र के साथ ढीली पड़ने लगती हैं। ठीक से काम नहीं करतीं, उन्हें फिर से 23 साल के युवा व्यक्ति की कोशिकाओं जैसा बना दिया गया है। सबसे खास बात यह है कि इस प्रक्रिया में इन कोशिकाओं ने अपनी पहचान या अपना मूल काम नहीं खोया। यानी, वे त्वचा कोशिकाएं वैसी की वैसी ही बनी रहीं, बस जवान हो गईं।

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जादू की छड़ी नहीं, विज्ञान का कमाल

यह कोई जादू नहीं, बल्कि एक एडवांस साइंटिफिक प्रोसेस है जिसे आंशिक सेलुलर रीकॉडिंग (Partial Cellular Reprogramming) कहा जाता है। इस तकनीक में 'यामानाका फैक्टर' नामक विशेष प्रोटीन का उपयोग किया जाता है। ये प्रोटीन आनुवंशिक कोड (जेनेटिक निशान) होते हैं, जो कोशिकाओं में उम्र बढ़ने की प्रोसेस को कंट्रोल करते हैं।

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वैज्ञानिक पहले कोशिकाओं को 'रीप्रोग्राम' करते थे, लेकिन उन्हें स्टेम कोशिकाओं में बदल देते थे। स्टेम कोशिकाएं किसी भी कोशिका में बदल सकती हैं, लेकिन वे अपनी पहचान और काम खो देती हैं। उदाहरण के लिए, एक त्वचा कोशिका स्टेम कोशिका बनने के बाद त्वचा का काम करना बंद कर देती है।

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बाबरहम इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने एक नया तरीका अपनाया। उन्होंने यामानाका फैक्टर की नियंत्रित खुराक 13 दिनों तक दी। यह ऐसा था, जैसे उन्हें सिर्फ इतनी दवाई दी जाए, जिससे वे ठीक हो जाएं, लेकिन पूरी तरह से न बदलें। इस खुराक से कोशिकाओं की उम्र पलट गई, लेकिन उन्होंने अपने त्वचा-विशिष्ट कार्यों को बरकरार रखा। वे अब भी त्वचा की कोशिकाएं थीं, बस ज्यादा युवा और बेहतर तरीके से काम कर रही थीं।

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कोशिकाओं में आए बदलाव

इस खास इलाज के बाद, पुनःजीवित कोशिकाओं में कई शानदार बदलाव देखे गए...

  • घाव भरने की गति बढ़ी: युवा कोशिकाएं घावों को तेजी से भरती हैं, और ये नई कोशिकाएं भी ऐसा ही कर रही थीं।
  • कोलेजन उत्पादन में बढ़ोतरी: कोलेजन त्वचा को कसावट और लोच देता है। उम्र बढ़ने के साथ इसका उत्पादन घटता है, लेकिन इन कोशिकाओं में कोलेजन का उत्पादन बढ़ गया, जिससे त्वचा की लोच में सुधार हो सकता है।
  • युवा जीन पैटर्न का सक्रिय होना: कोशिकाओं के भीतर के जीन, जो उनकी उम्र और कार्यप्रणाली को नियंत्रित करते हैं, युवा कोशिकाओं जैसे पैटर्न पर काम करने लगे।
  • आंखों से दिखने वाले बदलाव: जब वैज्ञानिकों ने इन कोशिकाओं को माइक्रोस्कोप के नीचे देखा, तो वे सचमुच ज्यादा युवा दिखने लगीं। उनकी संरचना बेहतर हो गई, उनके बीच के कनेक्शन मजबूत हो गए और लचीलापन बढ़ गया।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि ये सभी युवा लक्षण उपचार के कई हफ्तों बाद भी बने रहे। इसका मतलब यह था कि यह सिर्फ एक अस्थायी बदलाव नहीं था, बल्कि कोशिकाओं की जैविक उम्र में एक गहरा और स्थायी 'रीसेट' हुआ था।

भविष्य की असीमित संभावनाएं

यह वैज्ञानिक प्रगति 'पुनर्योजी चिकित्सा' (Regenerative Medicine) के क्षेत्र में एक गेम चेंजर साबित हो सकती है। इसके मायने सिर्फ त्वचा को जवान बनाने तक ही सीमित नहीं हैं। इसकी संभावनाएं बहुत बड़ी हैं...

त्वचा का बुढ़ापा

सबसे सीधा फायदा तो यही है कि हम त्वचा के बुढ़ापे को धीमा कर सकते हैं या शायद उसे उलट भी सकते हैं। झुर्रियों और ढीली त्वचा के लिए नए और अधिक प्रभावी उपचार विकसित हो सकते हैं।

गठिया का इलाज

गठिया जैसी बीमारियों में जोड़ों की कोशिकाएं खराब हो जाती हैं। यदि इन कोशिकाओं को भी इसी तरह से फिर से जीवंत किया जा सके, तो गठिया के इलाज में क्रांति आ सकती है।

न्यूरोडिजेनेरेटिव बीमारियां

अल्जाइमर और पार्किंसन जैसी न्यूरोडिजेनेरेटिव बीमारियां मस्तिष्क की कोशिकाओं के खराब होने से होती हैं। इस तकनीक से इन बीमारियों के इलाज की उम्मीद जगी है। अगर मस्तिष्क की कोशिकाओं को युवा और स्वस्थ बनाया जा सके, तो इनका इलाज संभव हो सकता है।

चोटों का बेहतर इलाज

यह तकनीक शरीर के क्षतिग्रस्त ऊतकों और अंगों की मरम्मत या उन्हें बदलने में मदद कर सकती है। इससे चोटों का इलाज और रिकवरी तेज हो सकती है।

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