पेट्रोल और डीजल की कीमतें हर दिन देशभर में बदलती रहती हैं, और इसके पीछे विभिन्न घटक होते हैं जिनका टैक्स निर्धारण में बड़ा हाथ है। आजकल, पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। हाल ही में, सऊदी अरब द्वारा वैश्विक तेल कीमतों में बढ़ोतरी के साथ, भारत में भी पेट्रोल डीजल की कीमतें प्रभावित हो रही हैं। इस रिपोर्ट में हम जानेंगे कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कौन-कौन से टैक्स जुड़ते हैं और ये कीमतें कैसे तय की जाती हैं।
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पेट्रोल और डीजल की कीमतों के घटक
भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें मुख्य रूप से चार प्रमुख घटकों पर निर्भर करती हैं
कच्चे तेल का बेस प्राइस
कच्चे तेल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में बदलती रहती हैं। जब कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि होती है, तो पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भी वृद्धि होती है।
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एक्साइज ड्यूटी (Excise Duty):
पेट्रोल और डीजल पर केंद्र सरकार द्वारा लगाए जाने वाले टैक्स को एक्साइज ड्यूटी कहते हैं। हाल ही में, केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में वृद्धि की है। इसके बाद पेट्रोल पर 13 रुपये और डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी वसूली जाएगी।
तेल डीलरों को पेट्रोल और डीजल की बिक्री पर कमीशन मिलता है। यह कमीशन हर राज्य और क्षेत्र के अनुसार बदलता है।
पेट्रोल और डीजल पर राज्य सरकारें वैट वसूलती हैं। प्रत्येक राज्य में वैट की दर अलग होती है, जिससे देशभर में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में अंतर आता है।
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सरकार द्वारा वसूला जाने वाला टैक्स
भारत में पेट्रोल और डीजल पर टैक्स की संरचना बहुत जटिल है। अगर हम सरकार द्वारा लगाए जाने वाले टैक्स को हटा दें, तो पेट्रोल की असली कीमत लगभग 55 रुपये प्रति लीटर होती है।
- क्रूड ऑयल की असली कीमत (Crude Oil Base Price): 40 रुपये प्रति लीटर
- प्रोसेसिंग कॉस्ट (Processing Cost): 5.66 रुपये प्रति लीटर
- बफर फॉल इंफ्लेशन (Buffer Fall Inflation): 10 रुपये प्रति लीटर
इन सब जोड़ने के बाद पेट्रोल की असली कीमत लगभग 55.66 रुपये प्रति लीटर होती है, जो केवल कच्चे तेल की कीमत और प्रोसेसिंग लागत के आधार पर तय की जाती है।
पेट्रोल डीजल की कीमतों का निर्धारण कैसे होता है?
पेट्रोल और डीजल की कीमतें विभिन्न घटकों के आधार पर तय की जाती हैं, जिनमें केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाए जाने वाले टैक्स प्रमुख हैं। दिल्ली में हाल ही में पेट्रोल की कीमत का breakdown इस प्रकार था:
- डीलर का कमीशन: 3.77 रुपये प्रति लीटर
- केंद्र सरकार की एक्साइज ड्यूटी: 19.90 रुपये प्रति लीटर
- राज्य सरकार का वैट: 15.39 रुपये प्रति लीटर
- अंतिम कीमत: 94.72 रुपये प्रति लीटर
पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बदलाव वैश्विक तेल बाजारों में होने वाली घटनाओं और वैश्विक आपूर्ति पर भी निर्भर करता है।
पेट्रोल और डीजल पर टैक्स क्यों बढ़ाए जाते हैं?
भारत सरकार पेट्रोल और डीजल पर टैक्स वसूलने के लिए एक्साइज ड्यूटी, वैट और अन्य शुल्कों का इस्तेमाल करती है। इन टैक्सों से सरकार को राजस्व प्राप्त होता है, जिसका उपयोग विकास कार्यों और सार्वजनिक सेवाओं के लिए किया जाता है।
साथ ही, अंतरराष्ट्रीय बाजारों में तेल कीमतों की बढ़ोतरी के कारण भारत में भी पेट्रोल और डीजल की कीमतों में उछाल आता है। इस स्थिति को संभालने के लिए सरकार विभिन्न रणनीतियों को लागू करती है।
पेट्रोल डीजल के दामों का अंतर
आपने देखा कि पेट्रोल और डीजल की कीमतें राज्यों में अलग-अलग होती हैं। इसका मुख्य कारण राज्य सरकारों द्वारा लगाए जाने वाले वैट की दर है। उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र में वैट दर ज्यादा होती है, जिससे पेट्रोल की कीमत वहां अधिक होती है।