भारत और फ्रांस के बीच हाल ही में हुई एक बड़ी डील ने भारतीय नौसेना को एक नया राफेल-एम ( Marine ) लड़ाकू विमान प्रदान किया है। इस समझौते के तहत, भारतीय नौसेना को कुल 26 रफाल लड़ाकू विमान प्राप्त होंगे। इन विमानों की कुल कीमत लगभग 64,000 करोड़ रुपए है और इन्हें फ्रांस की रक्षा कंपनी दसॉ एविएशन से खरीदा जाएगा। यह डील भारत के लिए सैन्य ताकत को बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, खासकर चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के मुकाबले।
इस समझौते के तहत ये विमानों को भारतीय विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर तैनात किया जाएगा। यह विमान भारतीय रक्षा बलों के लिए एक रणनीतिक संपत्ति के रूप में काम करेंगे, जो न केवल पाकिस्तान बल्कि चीन के साथ संभावित संघर्षों में भी उपयोगी साबित हो सकते हैं।
रफाल विमानों की विशेषताएं...
राफेल विमानों में कई महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं जो इसे बेहद शक्तिशाली बनाती हैं। इस विमान की मारक क्षमता, सेंसर क्षमता, और लंबी दूरी की हिटिंग रेंज इसे किसी भी आधुनिक युद्ध में एक निर्णायक ताकत बना देती है। रफाल का एयर-टू-एयर और एयर-टू-ग्राउंड मिसाइल प्रक्षेपण दोनों के लिए उच्चतम मानक हैं। इसके अलावा, इस विमान में 360 डिग्री की विजिबिलिटी और अत्याधुनिक सेंसर सिस्टम हैं, जो पायलट को हर दिशा में निगरानी रखने में सक्षम बनाते हैं।
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रफाल विमानों के फायदे...
- सटीकता: राफेल विमानों की अचूक टारगेटिंग क्षमता।
- लंबी दूरी: हवा से जमीन और हवा से हवा मिसाइलों की लंबी दूरी (300 किमी और 150 किमी)।
- स्ट्राइक क्षमता: परमाणु हथियारों की क्षमता के साथ लंबी दूरी तक स्ट्राइक करने की ताकत।
- विजन 360 डिग्री: पायलट को पूरे क्षेत्र पर नियंत्रण और निगरानी रखने की क्षमता।
रफाल डील का पाकिस्तान और चीन के खिलाफ असर...
पाकिस्तान के खिलाफ
भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से तनाव रहा है। हाल के वर्षों में सीमा पर हिंसक घटनाएं भी बढ़ी हैं। पाकिस्तान के पास फ़्रांस के रफाल जैसी उन्नत तकनीकी क्षमता नहीं है, जबकि भारत के पास यह अत्याधुनिक लड़ाकू विमान उसे रणनीतिक लाभ दे रहे हैं। रफ़ाल की उन्नत सेनसर प्रणाली और मिसाइल क्षमता भारत को पाकिस्तान के मुकाबले अधिक सक्षम बनाती है।
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चीन के खिलाफ
चीन के साथ भारत के रिश्ते भी हाल ही में तनावपूर्ण रहे हैं, खासकर सीमा विवाद के कारण। चीन के पास वर्तमान में तीन विमानवाहक पोत हैं और वह दो और विमान वाहक पोत पर काम कर रहा है। वहीं, भारत के पास इस समय दो विमान वाहक पोत हैं- आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य। भारत का यह कदम चीन के खिलाफ एक मजबूत सैन्य संदेश भेजता है, क्योंकि रफ़ाल विमानों के पास समंदर और जमीन दोनों पर ऑपरेट करने की क्षमता है, जिससे भारत की सामरिक ताकत बढ़ती है।
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राफेल के आने से भारत की ताकत में क्या बदलाव आएंगे?
भारत के पास पहले से सुखोई जैसे उच्चतम मानक के विमान मौजूद हैं, लेकिन राफेल विमानों की तकनीक कहीं ज्यादा उन्नत है। इस विमान के आने से भारत की हवाई शक्ति में निश्चित रूप से बढ़ोतरी होगी, जिससे पाकिस्तान और चीन के खिलाफ भारत की स्थिति मजबूत होगी। हालांकि, भारत को अपनी एयरफोर्स और नौसेना में राफेल विमानों की पर्याप्त संख्या की आवश्यकता होगी ताकि वह अपनी ताकत का प्रभावी प्रदर्शन कर सके।
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विमान वाहक पोत की भूमिका
भारत के पास दो विमान वाहक पोत हैं, जबकि पाकिस्तान के पास एक भी विमान वाहक पोत नहीं है। विमान वाहक पोतों की मदद से रफाल विमानों को समंदर में ऑपरेट करने की क्षमता प्राप्त होती है, जिससे भारत के पास युद्ध के दौरान महत्वपूर्ण सामरिक बढ़त होगी। चीन के मुकाबले भारत के पास इससे भी मजबूत स्थिति हो सकती है, क्योंकि भारत के पास भी यह तकनीक मौजूद है।
राफेल सौदे का आर्थिक और रणनीतिक महत्व
भारत सरकार का मानना है कि रफाल विमानों के उत्पादन और रखरखाव के लिए स्थापित सुविधाएं देश में रोजगार के अवसर भी पैदा करेंगी। इस डील से भारतीय रक्षा उद्योग को भी फायदा होगा, जिससे स्वदेशी निर्माण को बढ़ावा मिलेगा।
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