रेपो रेट में कमी से होम लोन की EMI पर कैसे मिलेगा तगड़ा फायदा, समझें पूरा गणित
RBI ने फरवरी में 0.25% रेपो रेट में कटौती की घोषणा की है। इससे होम लोन ग्राहकों को EMI में राहत मिलेगी। फ्लोटिंग रेट पर लोन लेने वालों को मासिक किस्त में बचत होगी। जानिए इस कटौती से कैसे और कितना लाभ होगा...
फरवरी में भारतीय रिजर्व बैंक ( RBI ) की मौद्रिक नीति समिति ( MPC ) की बैठक में पांच साल बाद रेपो रेट में कटौती की गई है। अब 0.25% कटौती से होम और कार लोन लेना सस्ता हो जाएगा। मौजूदा लोन धारकों की EMI कम हो सकती है, जिससे उन्हें मासिक बजट पर राहत मिलेगी।
रेपो रेट में कटौती यानी कर्ज सस्ता
रेपो रेट वह ब्याज दर है, जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) बैंकों को कर्ज देता है। जब RBI रेपो रेट घटाता है, तो बैंकों को सस्ता कर्ज मिलता है। इसके बदले वे अपने ग्राहकों को भी कम ब्याज दर पर लोन देने में सक्षम होते हैं। इस बार 0.25% की कटौती से बैंक होम और कार लोन की ब्याज दरें कम कर सकते हैं।
फ्लोटिंग रेट पर लोन लेने वालों को EMI में सीधा फायदा होगा। उदाहरण के तौर पर, अगर किसी ने 30 लाख रुपए का लोन 20 साल के लिए 8.75% ब्याज दर पर लिया है, तो उसकी EMI 26,511 रुपए बनती है। अब अगर बैंक इस कटौती के बाद ब्याज दर को 8.50% कर देता है, तो EMI घटकर 26,035 रुपए रह जाएगी। यानी हर महीने 476 रुपए की बचत होगी और कुल मिलाकर लोन की अवधि में 1,14,390 रुपए का लाभ मिलेगा।
फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट पर दो विकल्प...
EMI कम कराएं: इससे मासिक खर्च घटेगा और हर महीने थोड़ी अतिरिक्त राशि बच सकेगी।
लोन टेन्योर कम कराएं: लोन जल्दी खत्म होगा और ब्याज में बड़ी बचत होगी।
किसे मिलेगा सबसे ज्यादा फायदा?
नए लोन लेने वाले ग्राहकों को सबसे अधिक लाभ होगा क्योंकि उन्हें शुरू से ही कम ब्याज दर पर लोन मिलेगा। मौजूदा लोन धारकों को भी फायदा होगा, विशेषकर उन लोगों को जिन्होंने फ्लोटिंग रेट पर लोन लिया है।
वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि इस कटौती से बाजार में आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी। कम ब्याज दर से लोग कर्ज लेने के लिए प्रेरित होंगे, जिससे रियल एस्टेट और ऑटोमोबाइल सेक्टर को फायदा मिलेगा।
FAQ- खबर से संबंधित प्रश्न
रेपो रेट में कटौती का सीधा असर क्या होता है?
रेपो रेट कटौती से बैंक कम ब्याज पर कर्ज ले सकते हैं, जिससे ग्राहकों के लिए भी लोन की ब्याज दरें घटती हैं।
फ्लोटिंग रेट और फिक्स्ड रेट में क्या अंतर है?
फ्लोटिंग रेट में ब्याज दर बाजार के अनुसार बदलती रहती है, जबकि फिक्स्ड रेट में पूरी अवधि के दौरान एक ही ब्याज दर लागू होती है।
EMI कम कराने और टेन्योर कम कराने में क्या फर्क है?
EMI कम कराने से मासिक किस्त घटती है, जबकि टेन्योर कम कराने से लोन जल्दी खत्म होता है और ब्याज पर बचत होती है।
रेपो रेट कटौती से कौन-कौन से सेक्टर प्रभावित होते हैं?
रियल एस्टेट, ऑटोमोबाइल, और उपभोक्ता वित्त क्षेत्र को सीधा फायदा मिलता है क्योंकि लोन सस्ता हो जाता है।
क्या फिक्स्ड रेट पर लोन लेने वालों को भी फायदा होगा?
नहीं, फिक्स्ड रेट पर लोन लेने वालों पर रेपो रेट कटौती का कोई असर नहीं पड़ता क्योंकि उनकी ब्याज दर स्थिर रहती है।