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madhabi-puri-buch-fir-order Photograph: (thesootr)
मुंबई की अदालत ने SEBI की पूर्व प्रमुख माधवी पुरी बुच और पांच अन्य व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। इन पर शेयर बाजार में धोखाधड़ी और नियामक उल्लंघन का आरोप है। अदालत ने यह आदेश जारी किया और जांच की निगरानी करने की बात कही। इसके साथ ही इस केस में शिकायतकर्ता ने आरोपियों के खिलाफ वित्तीय धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे।
एफआईआर दर्ज करने का आदेश
मुंबई की विशेष एसीबी अदालत ने पूर्व SEBI प्रमुख माधवी पुरी बुच और पांच अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। यह आदेश शेयर बाजार में धोखाधड़ी और नियामक उल्लंघन के आरोपों के संदर्भ में पारित किया गया। अदालत ने इस मामले में नियमों में चूक और मिलीभगत के संभावित सबूतों की ओर इशारा किया और एक निष्पक्ष जांच की आवश्यकता जताई।
माधवी बुच सहित 6 लोगों पर FIR का आदेश...
- SEBI की पूर्व चीफ माधवी पूरी बुच
- SEBI के होल टाइम मेंबर अश्वनी भाटिया
- SEBI के होल टाइम मेंबर अनंत नारायण
- SEBI के होल टाइम मेंबर कमलेश चंद्र वार्ष्णेय
- BSE के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल
- BSE के CEO सुंदररमन राममूर्ति
शिकायतकर्ता ने क्या आरोप लगाए?
शिकायतकर्ता, जो एक मीडिया रिपोर्टर हैं, ने आरोप लगाया कि एक कंपनी को 1992 के SEBI अधिनियम के तहत नियमों का उल्लंघन करते हुए स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट किया गया था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि SEBI और अन्य नियामक एजेंसियों की मिलीभगत से यह लिस्टिंग की गई थी, जबकि कंपनी ने तय मानदंडों को पूरा नहीं किया था। शिकायतकर्ता का कहना था कि SEBI के अधिकारियों ने अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया और बाजार में हेरफेर को बढ़ावा दिया।
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कोर्ट ने एफआईआर के बारे में क्या कहा?
कोर्ट ने कहा कि इस मामले में संज्ञनीय अपराध के संकेत हैं और इसकी जांच की आवश्यकता है। अदालत ने मुंबई क्षेत्र के एसीपी वर्ली को आईपीसी, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, SEBI अधिनियम और अन्य लागू कानूनों के तहत एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह जांच की निगरानी करेगी और 30 दिनों के भीतर स्थिति रिपोर्ट मांगी है।
हिंडनबर्ग ने लगाए थे आरोप
पिछले साल अगस्त में हिंडनबर्ग रिसर्च ने माधवी पुरी बुच पर आरोप लगाया था कि उन्होंने और उनके पति धवल बुच ने अडानी समूह से संबंधित ऑफशोर संस्थाओं में निवेश किया, जो कथित तौर पर हेरफेर और धोखाधड़ी से जुड़ी थीं। हिंडनबर्ग ने यह भी आरोप लगाया कि बुच ने अदाणी समूह में हेरफेर की जांच को रोकने के लिए अपनी भूमिका का दुरुपयोग किया। हालांकि, माधवी पुरी बुच ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा था कि उनके द्वारा किए गए निवेश सेबी में शामिल होने से पहले किए गए थे।
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अब आगे क्या
कोर्ट ने जांच की निगरानी करने का आदेश दिया है और जांच में पूरी निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए स्थिति रिपोर्ट की मांग की है। इसके साथ ही, कोर्ट ने SEBI और अन्य संबंधित अधिकारियों को सख्त दिशा-निर्देश दिए हैं कि मामले की जांच जल्द से जल्द पूरी की जाए।
पूर्व SEBI प्रमुख माधवी पुरी बुच का सफर...
1. शुरुआत और शिक्षा:
- माधवी पुरी बुच ने अपनी शिक्षा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) दिल्ली से की थी।
- इसके बाद उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की तैयारी की थी लेकिन बाद में उन्होंने फाइनेंस में करियर बनाने का निर्णय लिया।
2. SEBI में योगदान:
- 2017 में माधवी पुरी बुच ने SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) की प्रमुख के रूप में कार्यभार संभाला।
- वह SEBI की पहली महिला प्रमुख बनीं, और उनकी नियुक्ति ने इतिहास रच दिया।
3. SEBI प्रमुख के रूप में उपलब्धियां:
- उनके कार्यकाल के दौरान SEBI ने भारतीय वित्तीय बाजार को अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए।
- उन्होंने निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए कई नियम और नीतियों को लागू किया।
4. SEBI से रिटायरमेंट:
बुच ने 2022 में SEBI से रिटायरमेंट लिया, अपनी तीन साल की सेवा पूरी की। उनके कार्यकाल में SEBI के लिए कई सकारात्मक कदम उठाए गए थे, और वह अपने कार्यकाल के दौरान पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बनीं।
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