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Photograph: (THESOOTR)
सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने बिहार में वोटर वेरिफिकेशन (SIR) प्रक्रिया पर चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। कोर्ट का कहना है कि यदि इस प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो यह पूरे देश में लागू होगा, ना कि सिर्फ बिहार में।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि अगर कोई अवैधता या अनियमितता पाई जाती है तो पूरी प्रक्रिया को रद्द किया जा सकता है।
चुनाव आयोग के काम पर आरोप
Special Intensive Revision (SIR) मामले में याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि चुनाव आयोग अपनी जिम्मेदारियों का सही तरीके से पालन नहीं कर रहा है और नियमों की अनदेखी कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग ( Election Commission ) को चेतावनी दी कि अगर इस प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो उसकी जिम्मेदारी तय की जाएगी। इस प्रकार, चुनाव आयोग को पूरी सतर्कता से अपनी कार्यप्रणाली को स्पष्ट करना होगा।
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बिहार SIR के खिलाफ याचिका
बिहार SIR केस को लेकर विभिन्न याचिकाएं दायर की गई थीं। इन याचिकाओं में कहा गया था कि चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को इस मामले में जवाब देने का निर्देश दिया और यह स्पष्ट किया कि कोई भी गड़बड़ी पूरे देश को प्रभावित कर सकती है।
आधार कार्ड पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने 8 सितंबर को हुई सुनवाई में आधार कार्ड को पहचान का प्रमाण पत्र माना था, लेकिन इसे नागरिकता का प्रमाण नहीं माना। इस निर्णय ने चुनाव आयोग को यह आदेश दिया कि वोटर की पहचान के लिए आधार कार्ड को 12वें दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया जाए। इसके बाद चुनाव आयोग ने अपनी प्रक्रिया में बदलाव किए और यह सुनिश्चित किया कि केवल असली नागरिकों को वोट देने की अनुमति मिले।
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चुनाव आयोग के अधिकारियों को नोटिस
चुनाव आयोग ने उन अधिकारियों को नोटिस जारी किया है जिन्होंने आधार कार्ड को स्वीकार किया। यह नोटिस इस बात को लेकर है कि चुनाव आयोग के द्वारा निर्धारित 11 दस्तावेजों से बाहर के दस्तावेज स्वीकार नहीं किए जा सकते। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि यह प्रक्रिया केवल नागरिकों के लिए है और फर्जी दस्तावेजों पर कोई भी दावे को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
अगले सप्ताह की सुनवाई
इस मामले की अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को होगी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट चुनाव आयोग की कार्रवाई पर अंतिम फैसला देगा। इस फैसले का असर केवल बिहार में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में होगा।