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Photograph: (the sootr)
मथुरा वृंदावन के श्रीबांके बिहारी मंदिर काॅरिडोर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर प्रबंधन को फौरी राहत देते हुए फिलहाल ट्रस्ट बनाने के निर्णय पर रोक लगा दी है। इस बीच, मंदिर की सुचारू व्यवस्था के लिए एक और समिति का गठन करने के आदेश दिए है जिसकी अध्यक्षता हाईकोर्ट के एक पूर्व जज करेंगे। समिति में सरकारी अधिकारी और मंदिर के गोस्वामियों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। कोर्ट ने इस मामले में ट्रस्ट की संविधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका को अब हाईकोर्ट ट्रांसफर करने का निर्णय लिया है।
बता दें कि मथुरा के श्री बांके बिहारी मंदिर को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने ट्रस्ट बनाकर इसके आसपास 5 एकड़ में बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर निर्माण का निर्णय लिया है। वहीं मंदिर प्रबंधन इस कोरिडोर निर्माण का विरोध कर रहा है। इसे लेकर पहले मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रहा था। इसके बाद मंदिर प्रबंधन मामले को सुप्रीम कोर्ट ले गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले दी थी ये अनुमति
15 मई को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को बांके बिहारी मंदिर के पास 5 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करने और इसके लिए मंदिर के खजाने का इस्तेमाल करने की अनुमति दी थी। यह कदम मंदिर के पास एक नया कॉरिडोर बनाने के लिए उठाया गया था।
सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बाद यूपी सरकार ने 26 मई को बांके बिहारी ट्रस्ट के गठन के लिए अध्यादेश जारी किया। इसके अनुसार, 11 सदस्यीय ट्रस्ट बनाना था, जिसमें 7 पदेन सदस्य शामिल होते। इसके बाद 27 मई को याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी थी, जिसके बाद कोर्ट ने मामले को हाईकोर्ट ट्रांसफर करने का निर्णय लिया।
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बांके बिहारी मंदिर के खजाने से बनेगा भव्य कॉरिडोर, सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को दी हरी झंडी
यूपी सरकार और मंदिर प्रबंधन के बीच रहे विवाद को ऐसे समझें![]() सुप्रीम कोर्ट ने बांके बिहारी ट्रस्ट पर अस्थाई रोक लगाई: कोर्ट ने यूपी सरकार द्वारा बनाए गए नए ट्रस्ट के संचालन पर अस्थाई रोक लगाई और मामले को हाईकोर्ट ट्रांसफर करने का निर्णय लिया। यूपी सरकार ने मंदिर के खजाने के उपयोग की अनुमति मांगी: कोर्ट ने यूपी सरकार को मंदिर के खजाने से कॉरिडोर के लिए 5 एकड़ भूमि का अधिग्रहण करने की मंजूरी दी थी। याचिकाकर्ताओं ने सरकार के फैसले पर असहमति जताई: याचिकाकर्ताओं ने यूपी सरकार द्वारा मंदिर के खजाने का इस्तेमाल करने और कॉरिडोर बनाने की अनुमति को चुनौती दी थी। कोर्ट ने तीखे सवाल किए: सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि मंदिर का फंड श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा में क्यों नहीं खर्च किया जा सकता, जबकि सरकार इसका दुरुपयोग नहीं करना चाहती। हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में नई समिति बनेगी:सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय लिया कि मंदिर के प्रबंधन के लिए एक नई समिति बनाई जाएगी, जिसमें कुछ सरकारी अधिकारी और गोस्वामी प्रतिनिधि शामिल होंगे। |
अब हाईकोर्ट के निर्णय पर टिका पूरा मामला
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को यह कहा कि जब तक हाईकोर्ट इस मामले पर अपना फैसला नहीं दे देता, तब तक बांके बिहारी ट्रस्ट के संचालन को अस्थाई रूप से रोक दिया जाएगा। अदालत ने कहा कि इस दौरान मंदिर के पारंपरिक संरक्षकों और कुछ सरकारी अधिकारियों के प्रतिनिधियों से एक नई समिति बनाई जाएगी, जो मंदिर की देखभाल और प्रशासन का काम करेगी। यह समिति एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में कार्य करेगी।
सरकार का तर्क और याचिकाकर्ताओं की दलील
यूपी सरकार ने अपनी दलील में कहा था कि उनका उद्देश्य मंदिर की संपत्ति पर कब्जा करना या धन हड़पना नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य केवल मंदिर के प्रशासन को सुधारना और श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं बढ़ाना है। वहीं, याचिकाकर्ताओं ने इस पर विरोध किया और कहा कि सरकार ने बिना उचित अधिकार के मंदिर के मामलों में दखल दिया है और कॉरिडोर निर्माण के लिए मंदिर के धन का उपयोग करने का आदेश दिया है।
15 मई के आदेश की अहम बातें
15 मई को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को आदेश दिया था कि वह मंदिर के खजाने से 500 करोड़ रुपए का उपयोग कॉरिडोर बनाने के लिए कर सकती है। इसके तहत मंदिर के पास 5 एकड़ जमीन का अधिग्रहण भी किया जाना था। कोर्ट ने यह शर्त भी रखी थी कि अधिग्रहित भूमि भगवान के नाम पर पंजीकृत होगी। इस आदेश से पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंदिर के खजाने से भूमि खरीदने पर रोक लगा दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस रोक को हटा दिया था।
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सरकार के वकील का बयान
सरकार के वकील ने अपनी दलील में कहा था कि उनका उद्देश्य मंदिर के खजाने का दुरुपयोग करना नहीं है, बल्कि कॉरिडोर परियोजना के तहत एक बेहतर व्यवस्था बनाना है ताकि बढ़ती भीड़ को नियंत्रित किया जा सके और श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं प्रदान की जा सकें।
कोर्ट ने कहा देवता सभी के हैं
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मंदिर ट्रस्ट के प्रतिनिधियों से तीखे सवाल किए थे। कोर्ट ने पूछा था कि अगर मंदिर का फंड श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा के विकास में खर्च किया जाए तो इसमें कोई गलत बात नहीं है। अदालत ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए यह भी कहा कि देवता सभी के हैं, और मंदिर के फंड का उद्देश्य जनता की भलाई में होना चाहिए।
मथुरा के बांके बिहारी मंदिर की स्थापना और विशेषताएं
मथुरा के बांके बिहारी मंदिर की स्थापना 1864 में स्वामी हरिदास द्वारा की गई थी। यह मंदिर वृंदावन में स्थित है और भगवान कृष्ण के एक रूप, बांके बिहारी को समर्पित है। मंदिर की मुख्य विशेषता इसकी “झूलन लीला” है, जहां जन्माष्टमी और अन्य त्योहारों के दौरान भगवान को झूले पर झुलाया जाता है, और “फूल बंगला सेवा” है, जहां भगवान की मूर्ति को फूलों से बनी एक भव्य संरचना से सजाया जाता है।
स्थापना
- बांके बिहारी मंदिर की स्थापना 1864 में स्वामी हरिदास द्वारा की गई थी।
- स्वामी हरिदास भगवान कृष्ण के एक महान भक्त और संगीतकार थे।
- कहा जाता है कि भगवान कृष्ण स्वयं स्वामी हरिदास को दर्शन देने आए थे।
- स्वामी हरिदास ने बांके बिहारी की मूर्ति को निधिवन में खोजा था।
- मंदिर का निर्माण स्वामी हरिदास के वंशजों के सामूहिक प्रयासों से हुआ था।
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