BHOPAL. सोशल मीडिया पर डीपफेक कंटेंट ( Deepfake content ) की बढ़ती समस्या और गलत जानकारी को फैलने से रोकने के लिए वॉट्सऐप ( Whatsapp ) ने एक बड़ा कदम उठाया है। वॉट्सऐप जल्द ( WhatsApp Feature ) ही एक नया फीचर लाने ( Fact Check Service ) की तैयारी में है। इसमें चैटबॉट की मदद से AI जेनरेटेड डीपफेक कॉन्टेंट ( WhatsApp Fact Check Helpline ) की पहचान करने में काफी मदद मिलेगी।
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अब आइए जानते है कि ये फीचर क्या है और कब तक होगा लॉन्च?
भ्रामक कंटेंट पर लगेगा लगाम
दरअसल मिसइनफॉर्मेशन कॉम्बैट अलायंस ( Misinformation Combat Alliance ) और मेटा ( Meta ) ने व्हाट्सएप पर फैक्ट चेक हेल्पलाइन नंबर ( fact-checking helpline on WhatsApp ) उपलब्ध कराने की घोषणा की है। इससे डीपफेक और AI तकनीकों का इस्तेमाल करके बनाए गए भ्रामक कंटेंट पर लगाम लगेगा। जानकारी के मुताबिक फैक्ट चेक हेल्पलाइन नंबर यूजर्स के लिए अगले महीने लॉन्च किया जाएगा। बता दें, सचिन तेंदुलकर, अमिताभ बच्चन, आलिया भट्ट, रश्मिका मंदाना समेत कई अन्य सेलिब्रिटी डीपफेक ( DeepFake ) का शिकार हो चुके हैं।
कई लैंग्वेज का मिलेगा सपोर्ट
WhatsApp chatbot कई लैंग्वेज सपोर्ट के साथ आएगा। इसमें अंग्रेजी के अलावा तीन अन्य रीजनल लैंग्वेज का भी सपोर्ट मिलेगा। इसपर AI Deepfake की रिपोर्ट कर सकेंगे। जानकारी के मुताबिक, यूजर्स को हेल्पलाइन पर एक मैसेज भेजना पड़ेगा। इसके बाद सिस्टम अपना काम करेगा और फैक्ट चेक कर आपको जानकारी देगा।
अब जानते है कि डीपफेक क्या है, इसका उपयोग, खतरे क्या हैं और इससे बचाव के लिए क्या किया जा सकता है...
डीपफेक क्या है?
डीपफेक ( Deepfake ) एक प्रकार की कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) तकनीक है जो नकली वीडियो और ऑडियो बनाने के लिए उपयोग की जाती है। यह तकनीक वीडियो और ऑडियो में हेरफेर करके लोगों को ऐसा दिखा सकती है और ऐसा बोल सकती है जो उन्होंने वास्तव में किया या कहा ही नहीं।
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डीपफेक कैसे काम करता है:
डीपफेक दो मुख्य AI तकनीकों का उपयोग करके काम करता है:
जेनरेटिव एडवरसैरियल नेटवर्क (GAN): यह एक प्रकार का AI है जो दो न्यूरल नेटवर्क, जनरेटर और डिस्क्रिमिनेटर के बीच प्रतिस्पर्धा पर आधारित है। जनरेटर नकली वीडियो और ऑडियो बनाता है, जबकि डिस्क्रिमिनेटर यह निर्धारित करने का प्रयास करता है कि वे वास्तविक हैं या नकली।
ऑटो-एनकोडर: यह एक प्रकार का AI है जो डेटा को एक छोटे आकार में एन्कोड करता है और फिर इसे मूल डेटा के समान पुनर्निर्माण करने के लिए डिकोड करता है। डीपफेक में, ऑटो-एनकोडर का उपयोग चेहरे के भावों और आवाज की टोन जैसे डेटा को एन्कोड करने के लिए किया जाता है, और फिर उस डेटा का उपयोग नकली वीडियो और ऑडियो बनाने के लिए किया जाता है।
डीपफेक का उपयोग:
- मनोरंजन: डीपफेक का उपयोग फिल्मों, टीवी शो और वीडियो गेम में विशेष प्रभाव बनाने के लिए किया जा सकता है।
- शिक्षा: डीपफेक का उपयोग इतिहास या विज्ञान जैसे विषयों को सिखाने के लिए किया जा सकता है।
- व्यवसाय: डीपफेक का उपयोग विपणन और बिक्री के लिए किया जा सकता है।
- समाचार: डीपफेक का उपयोग नकली समाचार बनाने के लिए किया जा सकता है।
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डीपफेक के खतरे:
- गलत सूचना: डीपफेक का उपयोग गलत सूचना और प्रचार फैलाने के लिए किया जा सकता है।
- धोखाधड़ी: डीपफेक का उपयोग लोगों को धोखा देने के लिए किया जा सकता है, जैसे कि पहचान की चोरी या धोखाधड़ी।
- गहराई में: डीपफेक का उपयोग लोगों को भावनात्मक रूप से हेरफेर करने के लिए किया जा सकता है।
डीपफेक का पता लगाना:
- चेहरे और आवाज में असंगति: यदि किसी व्यक्ति का चेहरा और आवाज मेल नहीं खाते हैं, तो यह डीपफेक हो सकता है।
- अवास्तविक एनिमेशन: यदि किसी वीडियो में एनिमेशन अवास्तविक लगता है, तो यह डीपफेक हो सकता है।
- अस्पष्ट या गायब पृष्ठभूमि: यदि किसी वीडियो में पृष्ठभूमि अस्पष्ट या गायब है, तो यह डीपफेक हो सकता है।
डीपफेक से बचाव:
- विश्वसनीय स्रोतों से जानकारी प्राप्त करें: केवल विश्वसनीय स्रोतों से जानकारी प्राप्त करें और किसी भी वीडियो या ऑडियो को साझा करने से पहले उसकी सत्यता की जांच करें।
- डीपफेक के संकेतों के बारे में जागरूक रहें: डीपफेक के संकेतों के बारे में जागरूक रहें और यदि आपको कोई संदेह है तो किसी वीडियो या ऑडियो की सत्यता की जांच करें।
- अपनी गोपनीयता की रक्षा करें: अपनी गोपनीयता की रक्षा करें और अपनी व्यक्तिगत जानकारी ऑनलाइन साझा करने से सावधान रहें।