पाकिस्तान के समर्थन के बाद JNU, जामिया और कानपुर यूनिवर्सिटी ने तुर्की से सभी समझौते तोड़े

पहलगाम आतंकी हमले के बाद JNU, जामिया मिल्लिया और कानपुर यूनिवर्सिटी ने तुर्की के साथ सभी समझौते तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिए हैं। तुर्की द्वारा पाकिस्तान को सैन्य समर्थन देने की खबरों ने भारत में गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है।

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Jitendra Shrivastava
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Photograph: (THESOOTR)

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2025 में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत में तुर्की के खिलाफ विरोध का स्तर बढ़ गया है। इस हमले के समय भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्की द्वारा पाकिस्तान को सैन्य समर्थन देने की खबरों ने भारत में गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है।
इस पर प्रतिक्रिया स्वरूप, भारत के कई शैक्षणिक संस्थानों ने तुर्की के साथ किए गए अपने समझौतों को तत्काल प्रभाव से समाप्त या निलंबित करने की घोषणा की है। इनमें प्रमुख हैं जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), जामिया मिल्लिया इस्लामिया, और कानपुर विश्वविद्यालय।

JNU ने पहले ही तोड़ दिए थे तुर्की के साथ समझौते

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) ने राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए तुर्की के इनोनू विश्वविद्यालय के साथ अपने सभी अकादमिक सहयोग समझौतों को रद्द कर दिया है। JNU के कुलपति शांतिश्री धुलिपुरी पंडित ने स्पष्ट किया कि छह महीने पहले नोटिस प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

उन्होंने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर के मद्देनजर हम अपने सशस्त्र बलों के साथ मजबूती से खड़े हैं।” यह कदम उस समय लिया गया जब दोनों विश्वविद्यालयों के बीच हुए समझौते की समीक्षा की गई।

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जामिया मिल्लिया इस्लामिया की निलंबन का फैसला

दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने भी राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए तुर्की सरकार और संबंधित संस्थानों के साथ सभी समझौता ज्ञापनों (MoU) को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
विश्वविद्यालय के अधिकारिक बयान में कहा गया है, “जामिया मिल्लिया इस्लामिया राष्ट्र के साथ मजबूती से खड़ा है और अगले आदेश तक तुर्की से जुड़े किसी भी MoU को लागू नहीं किया जाएगा।”

कानपुर यूनिवर्सिटी ने भी रद्द किए तुर्की के साथ समझौते

भारत में तुर्की के खिलाफ बढ़ते विरोध के बीच कानपुर विश्वविद्यालय ने भी तुर्की के इस्तांबुल विश्वविद्यालय के साथ साइन किए गए समझौते को रद्द कर दिया है। कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति विनय पाठक ने इस्तांबुल विश्वविद्यालय को लिखे पत्र में कहा कि तुर्की का पाकिस्तान के सैन्य समर्थन में शामिल होना भारत की संप्रभुता के खिलाफ है। इस कारण विश्वविद्यालय तुर्की के किसी भी अकादमिक सहयोग को विश्वसनीय नहीं मानता। 

दिल्ली विश्वविद्यालय ने भी तुर्की के साथ सभी शैक्षणिक समझौतों की समीक्षा शुरू कर दी है। समीक्षा पूरी होने के बाद विश्वविद्यालय किसी उपयुक्त निर्णय पर पहुंचेगा, जिससे भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और हितों की रक्षा सुनिश्चित हो सके।

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भारत में तुर्की के खिलाफ विरोध का असर

तुर्की के पाकिस्तान को सैन्य सहायता देने की खबरें सामने आने के बाद भारत में तुर्की विरोधी भावनाएँ उभरकर सामने आई हैं। कई बड़े व्यापारी तुर्की की यात्रा और व्यापारिक संबंधों को समाप्त कर रहे हैं।

देश के विभिन्न हिस्सों में तुर्की के खिलाफ प्रदर्शन हुए हैं और कई भारतीयों ने अपनी तुर्की यात्राओं की बुकिंग भी कैंसल कर दी है। शैक्षणिक संस्थानों द्वारा समझौतों का निलंबन इसका बड़ा प्रमाण है कि भारत में इस मुद्दे को गंभीरता से लिया जा रहा है।

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