/sootr/media/media_files/2025/11/06/margashirsha-month-2025-2025-11-06-12-44-22.jpg)
Latest Religious News:हिंदू पंचांग के मुताबिक, कार्तिक पूर्णिमा के समाप्त होते ही जिस महीने की शुरुआत होती है वह है मार्गशीर्ष माह। इस महीने को केवल एक महीना नहीं, बल्कि स्वयं भगवान श्री कृष्ण का स्वरूप माना गया है।
पंचांग के मुताबिक, इस साल मार्गशीर्ष महीने की शुरुआत आज 6 नवंबर 2025, गुरुवार से हो गई है। इस पावन मास का समापन 4 दिसंबर 2025, गुरुवार को मार्गशीर्ष पूर्णिमा के साथ होगा। यह करीब एक महीने का समय होता है जिसमें किए गए जप, तप और दान का फल कई गुना होकर मिलता है।
ये खबर भी पढ़ें...
उज्जैन महाकाल नगरी में लगेगा आस्था का सिंहस्थ कुंभ 2028, जानें क्या है इसका ज्योतिषीय कनेक्शन
मार्गशीर्ष माह का पौराणिक महत्व
अगर आप सोच रहे हैं कि कृष्ण का महीना मार्गशीर्ष माह इतना खास क्यों है, तो इसका जवाब स्वयं श्रीमद्भगवद्गीता में मिलता है।
श्री कृष्ण ने बताया इसका महत्व:
जब अर्जुन युद्ध भूमि में विषादग्रस्त थे, तब भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें उपदेश देते हुए कहा था—
"महीनों में मैं मार्गशीर्ष हूं।" (गीता, अध्याय 10, श्लोक 35)
इस एक वाक्य से स्पष्ट हो जाता है कि यह महीना सीधे तौर पर भगवान विष्णु और उनके अवतार श्री कृष्ण से जुड़ा हुआ है।
सत्ययुग की शुरुआत:
पुराणों के मुताबिक, सत्ययुग का आरंभ भी इसी महीने में हुआ था।
नदी स्नान का फल:
इस महीने में नदी या सरोवर में स्नान करने का बहुत बड़ा महत्व है। मान्यता है कि इससे शारीरिक और मानसिक पाप धुल जाते हैं।
शीर्ष का स्थान:
मार्गशीर्ष का अर्थ होता है 'रास्तों का शीश या सिर'। इस महीने में की गई भक्ति साधना को सीधे मोक्ष का रास्ता दिखाने वाला माना गया है।
इसलिए, जप, तप, ध्यान और दान के लिए यह समय सबसे उत्तम है। जो भक्त इस माह में श्रीकृष्ण की पूजा करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में अलौकिक सुख की प्राप्ति होती है।
ये खबर भी पढ़ें...
उज्जैन महाकाल सवारी में दिखेगा बाबा का अद्भुत स्वरूप, संयोग से होगा हरिहर मिलन
/sootr/media/post_attachments/wp-content/uploads/2023/11/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%97%E0%A4%B6%E0%A5%80%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B7-%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B8-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B5-840203.jpg?width=1280&enlarge=true)
मार्गशीर्ष माह 2025: व्रत-त्योहारों की सूची
यह महीना त्योहारों और शुभ तिथियों से भरा हुआ है। यहाँ देखें मार्गशीर्ष महीने में आने वाले प्रमुख व्रत और पर्व:
6 नवंबर, गुरुवार: मार्गशीर्ष मास की शुरुआत
यह महीना भगवान कृष्ण को अति प्रिय है, इसलिए जप और तपस्या के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के बाद इसी दिन से पवित्र मार्गशीर्ष माह शुरू होता है।
7 नवंबर, शुक्रवार: रोहिणी व्रत
यह व्रत जैन समुदाय में रखा जाता है। इस दिन रोहिणी नक्षत्र का विशेष महत्व होता है और महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए यह उपवास रखती हैं।
8 नवंबर, शनिवार: संकष्टी चतुर्थी (गजानन चतुर्थी)
यह दिन भगवान गणेश को समर्पित है। इस व्रत को रखने से जीवन के सभी संकट (बाधाएँ) दूर होते हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोला जाता है।
12 नवंबर, बुधवार: कालभैरव जयंती (भैरवाष्टमी)
यह दिन भगवान शिव के रौद्र रूप, कालभैरव के प्रकटोत्सव के रूप में मनाया जाता है। उनकी पूजा से भय, शत्रु और नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं।
/sootr/media/post_attachments/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj_ZAwmDRr2N5X__X7bMrkLFa9w5Y2TU4bB7LpPR1x_Xy5VdDIhCuQHDGJLAgphjg848ssoi2hG2C5Kso8Z2V2IfLCd-mapvKr5DmJv06keIEs07v3Ky8d4D53fqmIsLqjdF0s2T-oHjcIA/s1600/Narayan+Uddhar-588817.jpg)
15 नवंबर, शनिवार: उत्पन्ना एकादशी
इसी दिन माता एकादशी प्रकट हुई थीं। इस व्रत को रखने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और यह साल भर की एकादशियों के व्रत की शुरुआत के लिए सबसे शुभ दिन है।
16 नवंबर, रविवार: वृश्चिक संक्रांति
जब सूर्य देव तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करते हैं, तो यह संक्रांति होती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान करने का विशेष महत्व है।
17 नवंबर, सोमवार: सोम प्रदोष व्रत
यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है और सोमवार को आने के कारण इसका महत्व और बढ़ जाता है। शिव पूजा से चंद्र दोष दूर होता है और सुख-शांति मिलती है।
18 नवंबर, मंगलवार: मासिक शिवरात्रि
हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि मनाई जाती है। इस रात्रि में भगवान शिव की पूजा करने से मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
20 नवंबर, गुरुवार: मार्गशीर्ष अमावस्या
इस दिन पितरों का श्राद्ध, तर्पण और दान-धर्म के कार्य किए जाते हैं। इस अमावस्या को पितृ दोष निवारण के लिए बहुत खास माना जाता है।
25 नवंबर, मंगलवार: विवाह पंचमी (राम-सीता विवाह)
यह मार्गशीर्ष माह की वह पावन तिथि है जब भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था। इस दिन घरों और मंदिरों में राम-सीता का विवाह उत्सव मनाया जाता है।
26 नवंबर, बुधवार: स्कन्द षष्ठी, चम्पा षष्ठी
यह दिन भगवान कार्तिकेय (स्कंद) को समर्पित है। दक्षिण भारत में इस पर्व का विशेष महत्व है और भक्त उनकी पूजा कर शक्ति और विजय की कामना करते हैं।
28 नवंबर, शुक्रवार: दुर्गाष्टमी व्रत
यह दिन मां दुर्गा को समर्पित है। इस दिन व्रत रखकर देवी की पूजा करने से बल, साहस और समृद्धि प्राप्त होती है।
/sootr/media/post_attachments/wp-content/uploads/2025/11/MpBreakingNews52778432.jpg-928264.webp)
1 दिसंबर, सोमवार: मोक्षदा एकादशी, गीता जयन्ती
यह मार्गशीर्ष माह की दूसरी एकादशी है और मोक्ष प्रदान करने वाली मानी जाती है। इसी दिन भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था।
2 दिसंबर, मंगलवार: भौम प्रदोष व्रत, मत्स्य द्वादशी
मंगलवार को प्रदोष व्रत आने से इसे भौम प्रदोष कहते हैं, जो कर्ज़ मुक्ति के लिए उत्तम है। मत्स्य द्वादशी भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार को समर्पित है।
4 दिसंबर, गुरुवार: अन्नपूर्णा जयन्ती, मार्गशीर्ष पूर्णिमा, दत्तात्रेय जयन्ती
ये मार्गशीर्ष माह का समापन दिवस है। इस दिन माता अन्नपूर्णा (Margashirsha Purnima) की पूजा से घर में अन्न की कमी नहीं होती, और भगवान दत्तात्रेय का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है।
ये खबर भी पढ़ें...
खंडवा में रुखसार बनी वंशिका, महादेवगढ़ मंदिर में अपनाया सनातन धर्म
2000 ड्रोन से सजेगा भोपाल का आसमान, महाकाल से मेट्रो तक 3D ड्रोन शो की झलकियां
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें। धार्मिक अपडेट | Hindu News | dharm news today
/sootr/media/agency_attachments/dJb27ZM6lvzNPboAXq48.png)
Follow Us
/sootr/media/post_attachments/aajtak/images/story/202511/69086fdda7c32-lord-vishnu-165451915-16x9-860105.jpg?size=948:533)