MP का हिंगलाज शक्तिपीठ जहां 5 सौ वर्षों से जल रही है अखंड ज्योति, हर मुराद होती है पूरी

मध्य प्रदेश के रायसेन में स्थित हिंगलाज माता मंदिर में 500 वर्षों से जल रही अखंड ज्योति, चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध शक्तिपीठ। नवरात्रि में विशेष आयोजन होते हैं, जहां हजारों श्रद्धालु जुटते हैं। मान्यता है कि यहां संतान की कामना पूरी होती है।

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Kaushiki
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हिंगलाज माता का शक्तिपीठ
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मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के नरवरिया गांव में स्थित हिंगलाज माता मंदिर न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक महत्व भी रखता है। यह शक्तिपीठ पाकिस्तान के बलूचिस्तान स्थित मूल हिंगलाज मंदिर से जुड़ा है। यहां 16वीं सदी से अखंड ज्योति जल रही है, जिसे महंत भगवानदास वहां से अग्नि रूप में लाए थे।

नवरात्रि में विशेष आयोजन होते हैं, जहां हजारों श्रद्धालु जुटते हैं। मान्यता है कि यहां संतान की कामना पूरी होती है। यहां का हिंगलाज शक्तिपीठ न सिर्फ धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि इसकी ऐतिहासिक और आध्यात्मिक कहानियां भी श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर देती हैं। आइए जानें...

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कहां स्थित है हिंगलाज माता मंदिर

यह मंदिर मध्य प्रदेश के बाड़ी तहसील के नरवरिया गांव में स्थित है। यहां माता हिंगलाज की प्रतिमा नहीं, बल्कि अग्नि स्वरूप में पूजा होती है। ऐसा माना जाता है कि, मंदिर में 16वीं सदी से अखंड ज्योति जल रही है जो आज भी श्रद्धालुओं की आस्था की प्रतीक बनी हुई है।

कैसे आई माता हिंगलाज रायसेन

इतिहास के मुताबिक, महंत भगवानदास महाराज, जो खाकी अखाड़े की चौथी पीढ़ी के संत थे, 16वीं सदी में बलूचिस्तान स्थित हिंगलाज शक्तिपीठ की यात्रा पर निकले थे। करीब दो वर्षों की कठिन यात्रा के बाद वे वहां से अग्नि रूपी ज्योति लेकर वापस लौटे और उसे रायसेन के नरवरिया गांव में स्थापित किया।

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चमत्कारों का घर

इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि, यहां जो भी महिलाएं सच्चे मन से संतान प्राप्ति की कामना करती हैं, उन्हें माता का आशीर्वाद जरूर प्राप्त होता है। यही कारण है कि सिर्फ नवरात्रि में ही नहीं, बल्कि सालभर यहां भक्तों का तांता लगा रहता है।

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मंदिर परिसर में वेद-पुराण की शिक्षा

मंदिर परिसर में एक संस्कृत विद्यालय भी संचालित होता है जहां छात्रों को वेद, पुराण और कर्मकांड की शिक्षा दी जाती है। यह स्थल न केवल धार्मिक, बल्कि शैक्षणिक रूप से भी जरूरी बन चुका है।

बारना नदी का महत्व

मंदिर के पास बारना नदी बहती है, जिसे मां नर्मदा की सहायक नदी माना जाता है। इस नदी में स्नान कर भक्त मंदिर की परिक्रमा करते हैं और विशेष फल प्राप्त करते हैं।

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