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संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने एक बहुत ही अच्छा फैसला लिया है। आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में यह जानकारी दी है कि वह अपनी परीक्षाओं में अब स्क्रीन रीडर सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल शुरू करेगा। यह सॉफ्टवेयर दृष्टिबाधित (बहुत कम या धुंधला देख पाना) उम्मीदवारों के लिए एक बड़ी राहत है।
इससे उन्हें UPSC Exam देने में काफी आसानी हो जाएगी। आयोग ने इस सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। यह कदम समान अवसर देने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है।
कब से लागू होगी यह नई सुविधा?
UPSC ने अपने हलफनामे में पूरी जानकारी दी है। आयोग ने कहा कि इस सुविधा को जल्द ही लागू कर दिया जाएगा। लेकिन इसके लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर और सॉफ्टवेयर की टेस्टिंग जरूरी है। इस पूरे प्रोसेस को सुरक्षित तरीके से तैयार किया जा रहा है।
जैसे ही यह तैयारी पूरी हो जाएगी, यह सुविधा तुरंत लागू हो जाएगी। यह हलफनामा एक याचिका के जवाब में दाखिल किया गया था। याचिका में कम देखने वाले उम्मीदवारों को बराबर अवसर न मिलने की शिकायत थी।
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सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कितना समय लगेगा?
यह मामला न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ के सामने आया था। याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट से निर्देश देने को कहा। उन्होंने कहा कि यह सुविधा अगले सेशन की परीक्षा से पहले लागू हो जानी चाहिए। अदालत ने इस मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है।
कोर्ट ने UPSC से यह भी पूछा कि इस प्रक्रिया में कितना समय लग सकता है। यूपीएससी सिविल सर्विस के वकील ने बताया कि यह सुविधा अगले साल के एग्जाम साइकिल में लागू हो सकती है।
UPSC और NIEPVD की हुई मीटिंग
इस सुविधा को लागू करने के लिए UPSC ने तैयारी शुरू कर दी है। आयोग ने NIEPVD, देहरादून (नेशनल इंस्टीट्यूट) को एक पत्र लिखा है। उन्होंने पूछा कि क्या उनके कंप्यूटर लैब्स का इस्तेमाल हो सकता है। नेत्रहीन उम्मीदवारों की परीक्षा के लिए यह पूछा गया था।
28 जुलाई को UPSC और NIEPVD के अधिकारियों के बीच एक मीटिंग भी हुई। इस मीटिंग में स्क्रीन रीडर सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल पर गहराई से चर्चा हुई।
जिम्मेदारी UPSC की होगी
दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (DEPwD) ने इस मामले में अपनी सहमति दी है। उन्होंने कहा कि वे NIEPVD केंद्रों को एग्जाम सेंटर्स में बदलने को तैयार हैं। लेकिन उन्होंने यह साफ किया है। सॉफ्टवेयर की सुरक्षा, पेपर का फॉर्मेट, और परीक्षा प्रोटोकॉल की पूरी जिम्मेदारी UPSC की होगी। यह पहल UPSC परीक्षा में सरकारी नौकरी का समावेशी माहौल बनाएगी।
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