लापरवाही: कमला नेहरू अस्पताल में हुई आगजनी के बाद प्रशासन जागा, जारी किए निर्देश

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लापरवाही: कमला नेहरू अस्पताल में हुई आगजनी के बाद प्रशासन जागा, जारी किए निर्देश

भोपाल. कमला नेहरू अस्पताल (Kamla Nehru Hospital) में 8 नवंबर को हुई आगजनी की घटना में हताहत हुए बच्चों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि मृतकों की संख्या 12 पर पहुंच गई है। इस घटना के बाद प्रशासन जागा है। शासकीय स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालय (Government Autonomous Medical College) के आयुक्त एवं अध्यक्ष ने एक आदेश (Order) पारित किया है, जिसमें प्रदेश के समस्त चिकित्सा महाविद्यालय एवं उनसे सम्बद्ध चिकित्सालयों में फायर सेफ्टी एवं इलेक्ट्रिक ऑडिट (Fire Safety and Electric Audit) सुनिश्चित करने कराने का आदेश दिया गया है।

आदेश में क्या कहा गया

शासकीय स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालय एवं उनके परिसर में स्थित समस्त चिकित्सालयों में फायर सेफ्टी सिस्टम एवं इलेक्ट्रिकल ऑडिट आवश्यक रूप से कराये जाने के निर्देश माह जनवरी 2021 में प्रदाय किये गये थे। उक्त निर्देशों के अनुक्रम में समस्त स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालय एवं उनसे सम्बद्ध समस्त चिकित्सालयों में फायर सेफ्टी सिस्टम एवं इलेक्ट्रिकल ऑडिट भारत की राष्ट्रीय भवन निर्माण संहिता 2016 के खण्ड-1 भाग 4 (अग्नि तथा जीवन सुरक्षा) में वर्णित प्रावधानों के तहत आवश्यक रूप से कराये जाने के लिए निर्देश प्रसारित किए हैं।

इन निर्देशों का पालन करना होगा

  1. चिकित्सा महाविद्यालय से संबंधित समस्त चिकित्सालयों भवनों में आगम एवं निर्गम के मार्गो का स्पष्ट रूप से चिन्हांकन तथा साइनेज व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।

  • समस्त सम्बद्ध चिकित्सालयों के भवन की भौतिक अधोसंरचना अनुसार निर्माण संहिता अनुरूप किए जाए। आपात स्थिति के लिए जरूरी सभी यंत्रों को लगवाए।
  • अग्नि की दशा में सीढ़ियों का उपयोग करने हेतु तथा इस प्रकार के समस्त साइन हर फ्लोर पर लिफ्ट लैंडिंग तथा निर्गम सीढ़ी पर सहज दृष्टव्य स्थान पर होना सुनिश्चित किया जाये।
  • प्रत्येक दो वर्ष में फायर एवं इलेक्ट्रिक सेफ्टी ऑडिट सुनिश्चित किया जाये।
  • मैन्युअली ऑपरेटेड इलेक्ट्रॉनिक फायर अलार्म सिस्टम तथा आटोमेटिक डिटेक्शन अलार्म सिस्टम का प्रत्येक माह में परीक्षण सुनिश्चित किया जाये।
  • अण्डर ग्राउण्ड वाटर टेंक एवं ओवर हैड टेंक वाटर राइजर, स्प्रिंकलर व यार्ड हायड्रेन्ट का प्रत्येक माह परीक्षण किये जाना चाहिये। न्युअल कॉल पाइंट (हूटर) समुचित स्थानों पर स्थित होना निश्चित किया जाये।
  • सम्पूर्ण परिसर में किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति निर्मित होने की दशा में प्रांगण परिसर के उपयोग में सुस्पष्ट साइन सिस्टम स्थापित किया जाना चाहिये। स्टाफ के निर्गम हेतु SOP विकसित किया जाना सुनिश्चित किया जाये।
  • अग्नि तथा अन्य अप्रिय स्थिति में आकस्मिक निर्गम स्थानो में किसी भी प्रकार का अवरोध न हो, यह सुनिश्चित किया जाये ।
  • C02 तथा ABC टाइप के अग्निशामक यंत्रों को योग्य परामर्श उपरान्त भवन की उचित साइट्स पर स्थापित किये जाना चाहिये। उपरोक्त यंत्रों को आकस्मिक स्थिति में उपयोग हेतु समुचित प्रशिक्षण प्रदाय किया जाना सुनिश्चित किया जाये।
  •  चिकित्सा महाविद्यालय से सम्बद्ध चिकित्सालय द्वारा अपने संबंधित नगरीय निकाय/ नगर निगम से नियमानुसार सेफ्टी फायर एन.ओ.सी. हमेशा प्राप्त करना सुनिश्चित किया जाये।
  • प्रत्येक 6 माह में एक बार अग्नि तथा अप्रिय घटनाओं हेतु समस्त स्टाफ को योग्य परामर्श अनुसार स्थितियों की मॉकड्रिल कराया जाना सुनिश्चित किया जाय।
  • अन्य बिन्दु, जो कि भारत के राष्ट्रीय भवन निर्माण संहिता 2016 के खण्ड-1 भाग-4 (अग्नि तथा जीवन सुरक्षा संबंधित निर्देश) में वर्णित है, का पालन सुनिश्चित किया जाये।
  • कांग्रेस ने घेरा

    कांग्रेस नेता और प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने ट्वीट करके सरकार को घेरा। उन्होंने लिखा कि भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल के चिल्ड्रन वार्ड में लगी आग व उसमें कई मासूमो की मौत के बाद आज प्रदेश के अस्पतालों में फायर सेफ्टी एवं इलेक्ट्रिकल ऑडिट के आदेश पुनः निकाले गए है। इस आदेश में स्पष्ट रूप से लिखा है कि फायर सेफ्टी सिस्टम एवं इलेक्ट्रिकल ऑडिट आवश्यक रूप से कराया जाना है। यह आदेश पूर्व में भी दिया जा चुका है।

    उक्त आदेश में प्रत्येक 2 वर्ष में फायर एवं इलेक्ट्रिकल सेफ्टी ऑडिट कराए जाना,फायर अलार्म सिस्टम का प्रत्येक माह में परीक्षण करना व प्रत्येक 6 माह में समस्त स्टाफ की मॉकड्रिल कराना सुनिश्चित किया गया था, उसके बाद भी जिम्मेदार सोये रहे। और यह हादसा घट गया। उस हिसाब से इन जिम्मेदारों के खिलाफ हत्या का प्रकरण हर हाल से दर्ज होना चाहिए क्योंकि इनकी लापरवाही से ही कई घरों के चिराग़ बुझे है और यह ही उसके लिये जिम्मेदार है।

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