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Photograph: (The Sootr)
बुंदेलखंड के अंचल में बीजेपी के नेताओं के बीच कलह और गुजबाजी गहराती जा रही है। ये हम आपको पहले भी बता चुके हैं कि इसी अंचल के सागर जिले में किस तरह बीजेपी के दिग्गज एक दूसरे से मनमुटाव रखते हैं। इस बारे में और डिटेल में जानना है तो आप न्यूज स्ट्राइक का एपिसोड पढ़ सकते हैं। बात करते हैं फिलहाल मामला क्या रूप ले चुका है। गुटबाजी या कलह दोनों में से जो चाहें मान लीजिए। वो अब सागर का दायरा पार करके पूरे अंचल में फैल चुकी है। हालात ये हैं कि बीजेपी के ही एक दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री एक इंटरव्यू में ये कह चुके हैं कि अगर संगठन ने समय रहते एक्शन न लिया तो हालात बेकाबू हो जाएंगे।
अनदेखी पड़ सकती है भारी
बुंदेलखंड की अनदेखी बीजेपी पर कभी भी भारी पड़ सकती है। हम न्यूज स्ट्राइक में भी लगातार आपको बता रहे हैं कि यहां के नेता किस कदर एक दूसरे से राजनीतिक होड़ में जुट चुके हैं जिसका असर तकरीबन हर काम पर दिख रहा है। हो सकता है बीजेपी इस बात को लेकर इत्मीनान से हो कि अभी चुनाव बहुत दूर हैं। चुनाव आते आते सब ठीक हो जाएगा या कर लिया जाएगा। लेकिन जो हालात हैं वो बहुत आसानी से काबू में आ जाएंगे ऐसा लगता नहीं है क्योंकि मामला पहले सिर्फ सागर जिले तक ही सीमित था।
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आती रहती हैं टकराव की खबरें
इस जिले की अलग-अलग विधानसभा सीट से गोविंद सिंह राजपूत, भूपेंद्र सिंह और गोपाल भार्गव जैसे नेता आते हैं। शिवराज सरकार में भूपेंद्र सिंह का जबरदस्त दबदबा था। गोपाल भार्गव को भी केबिनेट में अच्छे पद मिले रहे, लेकिन इस बार सिर्फ गोविंद सिंह राजपूत को ही पद मिला है। अपनी अनदेखी पर गोपाल भार्गव तो चुप्पी साध कर बैठने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। लेकिन भूपेंद्र सिंह फ्रंट फुट पर खेलते दिखते हैं जिसका नतीजा ये है कि सागर जिले से अक्सर भाजपाइयों के टकराव की खबर सुनाई देती हैं।
कई जिलों में फैली टकराव की आंच
लेकिन मामला अब उतना सिमटा हुआ नहीं रह गया है। इस गुटबाजी की आंच अब छतरपुर, टीकमगढ़ और पन्ना जिले तक में पहुंच रही है। छतरपुर सांसद और केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार तो अपनी पार्टी की नेताओं के निशाने पर काफी पहले से हैं। बीजेपी नेता मानवेंद्र सिंह वीरेंद्र सिंह पर गंभीर आरोप लगा चुके हैं। उनके आरोप थे कि वीरेंद्र सिंह ने ऐसे लोगों को अपना प्रतिनिधि बना दिया है जिन पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। ये मामला इतना बढ़ा था कि वीरेंद्र सिंह को अपने सभी सांसद प्रतिनिधियों को हटाना पड़ गया था। हैरानी की बात ये है कि सांसद प्रतिनिधियों की संख्या भी कुछ कम नहीं थी। उन्होंने पूरे दो सौ सांसद प्रतिनिधि बनाए हुए थे।
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कइयों से नहीं बैठ पा रही पटरी
मानवेंद्र सिंह के अलावा विधायक ललिता यादव, अरविंद पटेरिया, कामाख्या प्रताप से भी सांसद महोदय की कुछ खास नहीं बन रही है। एक तरह से देखा जाए तो अपने क्षेत्र टीकमगढ़ और छतरपुर के तकरीबन सभी नेताओं से उनकी ठनी हुई है। संगठन स्तर पर भी मनमुटाव है। टीकमगढ़ में संगठन महामंत्री और विधायक हरिशंकर खटीक और पूर्व विधायक राकेश गिरी से भी उनकी पटरी नहीं बैठती।
तुगलक से कर दी तुलना
बीजेपी के पुराने प्रदेशाध्यक्ष भी पद जाते ही गुटबाजी का शिकार हो रहे हैं। खजुराहो से सांसद वीडी शर्मा पूर्व विधायक पुष्पेंद्र नाथ गुड्डन पाठक के निशाने पर रहते हैं। अभी कुछ ही दिन पहले पाठक ने वीडी शर्मा की तुलना तुगलक तक से कर दी। उन्होंने यहां तक कह दिया कि अपने कार्यकाल में वीडी शर्मा ने संगठन का कचरा कर दिया। पूर्व विधायक ने शर्मा पर पार्टी क्राइटेरिया को नजरअंदाज करने का आरोप भी लगाया है।
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सागर में भी गर्मा रहा मामला
सागर में भी एक नया मामला गर्मा गया है। मामला है जैसी नगर से जुड़ा हुआ जिसके नाम बदलने की अटकलें जोरो पर हैं। इस मामले पर मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने बिना किसी का नाम लिए ये कहा कि कुछ बीजेपी नेता कांग्रेसियों के साथ मिलकर भ्रम फैला रहे हैं। जनता की इच्छा है तो नाम नहीं बदला जाएगा। ये स्क्रिप्ट लिखे जाने तक भूपेंद्र सिंह ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। बड़े नेताओं के बीच मनमुटाव की इस आग में सागर की नगर निगम भी जलने लगी है। महापौर संगीता सुशील तिवारी पर भी इसका असर नजर आने लगा है। इस गुटबाजी का शिकार रावण दहन का कार्यक्रम भी हुआ जिसमें खुद महापौर नहीं पहुंची। उनका आरोप है कि किसी नेता के कहने पर नगर निगम कमिशनर राजकुमार खत्री उन्हें अपमानित कर रहे हैं। रावण दहन कार्यक्रम से जुड़े कार्ड में उनका नाम पांचवें नंबर पर रखा गया था जिससे वो नाराज हो गईं। आपको बता दें कि संगीता सुशील तिवारी भूपेंद्र सिंह की कट्टर समर्थक मानी जाती हैं। उनके आरोप की उंगली किस और उठ रही है ये अंदाजा लगाया जा सकता है।
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जल्द देना होगा ध्यान
बुंदेलखंड में बीजेपी किस कदर सुलग रही है ये अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सागर विधायक शैलेंद्र जैन और पूर्व मंत्री और रहली से विधायक गोपाल भार्गव दोनों ने एक इंटरव्यू में संगठन से हस्तक्षेप करने की गुजारिश की है। गोपाल भार्गव ने यहां तक कहा है कि क्षेत्र में स्थितियां लगातार चार-पांच साल से खराब है। नेतृत्व को जल्द इस पर ध्यान देना होगा वर्ना नुकसान हो सकता है। मुझे भी लगता है कि पार्टी के एक वरिष्ठ नेता की इस वॉर्निंग पर पार्टी के तमाम बड़े नेताओं को गौर करना चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि बाद में पार्टी लाइन के नाम पर बैंडएड लगाई जाए लेकिन गुटबाजी का जख्म भर न पाए।
इस नियमित कॉलम न्यूज स्ट्राइक (News Strike) के लेखक हरीश दिवेकर (Harish Divekar) मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं