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News Strike Photograph: (thesootr)
News Strike : क्या बीजेपी में नाराजगी या असंतोष इस कदर हावी हो चुका है कि अब पार्टी के ही विधायक और सीनियर लीडर्स अपनी ही सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। एक मामले को लेकर बीजेपी के दो बेहद सीनियर लीडर्स ने ही अपनी सरकार से ढेर सारे सवाल पूछ डाले हैं। वो भी सदन के अंदर।
आमतौर पर ये काम विपक्ष का होता है। विपक्ष इस मुद्दे पर मौन दिख रहा है और पार्टी के ही विधायक मोर्चा खोल रहे हैं। चलिए आपको बताते हैं मुद्दा क्या है और कौन से नेता अपनी ही सरकार को घेर रहे हैं। ये भी समझना होगा कि मामला नाराजगी या असंतोष का है या फिर दलबदल को लेकर गुस्सा अब भी ठंडा नहीं हुआ है।
अजय विश्नोई ने अपनी ही सरकार से पूछे प्रश्न
मध्यप्रदेश विधानसभा का बजट सत्र इस बार छोटा जरूर है, लेकिन काफी हंगामेदार रहा है। इस बार परिवहन घोटाला तो काफी हद तक हावी रहा ही, इसके अलावा कानून व्यवस्था और धान घोटाला भी काफी सुर्खियों में रहा। जिसकी वजह से सत्र हंगामेदार हो गया। कांग्रेस ने अपनी तरफ से इन मुद्दों को उठाने की पूरी कोशिश की। जो कमी रह गई थी उसे पूरा किया खुद बीजेपी के सीनियर विधायक और पूर्व मंत्री अजय विश्नोई ने। अजय विश्नोई ने धान उपार्जन घोटाले पर अपनी ही सरकार से सवाल पूछने पर गुरेज नहीं किया। इस मुद्दे पर उन्होंने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव रखा। पूरे सदन में याद दिलाया कि प्रदेश में पांच करोड़ रुपए से ज्यादा का धान खरीदी घोटाला हो चुका है जिस पर ईओडब्लू जांच कर रहा है।
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सीनियर विधायक गोपाल भार्गव भी नहीं रहे पीछे
अजय विश्नोई की दी जानकारी के अनुसार इस घोटाले के तहत फर्जी रिलीज ऑर्डर जारी किए गए थे इनमें ट्रकों के नंबर डले थे। ये ट्रक ग्वालियर, उज्जैन, मुरैना जैसे शहरों के टोल नाकों से गुजरे। इसलिए इनकी जांच आसानी से की जा सकती है। उसके बाद भी मामले की जांच में ढिलाई हो रही है। इस पर भी उन्होंने नाराजगी जाहिर की। अजय विश्नोई का इस मामले में साथ दिया बीजेपी के ही एक और सीनियर विधायक गोपाल भार्गव ने। उन्होंने विश्नोई का समर्थन किया और कहा कि इस मामले की गंभीरता से जांच होना जरूरी है।
इस मुद्दे पर मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने सदन में जवाब भी दिया। उन्होंने दावा किया कि जो भी इस घोटाले का दोषी होगा उसे बख्शा नहीं जाएगा। साथ ही वो कंप्यूटर ऑपरेटर्स भी जांच के दायरे में और सजा के हकदार होंगे, जिनका कनेक्शन इस घोटाले से हो सकता है। सदन में ही ये जानकारी भी दी गई कि प्रदेश के 271 किसान ऐसे हैं जिन्हें घोटाले के बाद भुगतान नहीं हो सका है।
19 हजार क्विंटल से ज्यादा की धान की हेराफेरी!
इस मुद्दे के सियासी पहलू पर भी बात करेंगे। पर पहले आपको ये बता दें की मध्यप्रदेश में हुआ धान घोटाला है क्या। इस घोटाले के तहत पूरे प्रदेश में 19 हजार क्विंटल से ज्यादा की धान की हेराफेरी होने का अंदेशा है। इस धान की कीमत पांच करोड़ के करीब आंकी गई है।
मामले की जांच ईओडब्ल्यू कर रहा है। इसके मुताबिक भोपाल, जबलपुर, सागर, रीवा और ग्वालियर में ये घोटाल हो सकता है इसलिए इन सभी जिलों के एसपी ऑफिस की 25 टीमों ने प्रदेश के 12 जिलों में जाकर वहां की 150 उपार्जन समिति और 140 वेयरहाउस पर छापे मारे। बालाघाट, जबलपुर, डिंडोरी, रीवा, सतना, मैहर, सागर, पन्ना, ग्वालियर, नर्मदापुरम, नरसिंहपुर और श्योपुर के वेयरहाउस में धान या भूसी तक नहीं मिली। सतना के एक वेयरहाउस में 535 क्विंटल धान के बदले भूसी ही मिली। जिसके बाद घोटाले का शक और गहरा हो गया।
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बिना धान खरीदे ई उपार्जन पोर्टल में शो की एंट्री
ईओडब्लू की जांच के मुताबिक उपार्जन समितियां फर्जी किसानों का रजिस्ट्रेशन कर रही थीं। बिना धान खरीदे ही ई उपार्जन पोर्टल में एंट्री शो की गई। इसके बाद ट्रांसपोर्ट और वेयरहाउस के भी फर्जी रिकॉर्ड बनाए गए। इन समितियों ने जितनी मात्रा बताई होती है, उन्हें उतनी धान का भुगतान किया जाता है। ईओडब्लू को शक है कि इस घोटाले में समिति के लोगों के अलावा ट्रांसपोर्टर और वेयरहाउस के लोग भी शामिल हो सकते हैं। जो हर साल सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लगा रहे हैं।
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गोविंद सिंह राजपूत अपने ही नेता के निशाने पर
सदन में अजय विश्नोई का ये सवाल पूछना जाहिर करता है कि मंत्री गोविंद सिंह राजपूत विपक्ष के साथ-साथ अपनी ही पार्टी के लोगों के निशाने पर भी हैं। आपको याद दिला दूं कि ट्रांसपोर्ट घोटाले को लेकर कांग्रेस नेता और सदन में नेता प्रतिपक्ष पहले से ही गोविंद सिंह राजपूत को घेर रहे हैं। हालांकि, इस मामले पर राजपूत ने सिंघार को मानहानी का भारीभरकम नोटिस भी भेज दिया है। अब धान घोटाले पर सिंधिया समर्थक मंत्री गोविंद सिंह राजपूत अपनी ही पार्टी के नेता के निशाने पर भी आ गए हैं।
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आखिर क्या जाहिर करती है सियासत की ये तस्वीर?
घपले घोटालों पर विपक्ष का सवाल उठाना लाजमी है। इसमें भी कुछ गलत नहीं है कि सत्ता पक्ष भी कुछ गलत हो रहा है तो उस और अपनी सरकार का ध्यान उजागर करे। लेकिन पक्ष और विपक्ष की ऊंगली एक ही तरफ उठना क्या जाहिर करता है। ये किसी गंभीर भ्रष्टाचार का संकेत है या फिर दल बदल के बाद आए नेता को ऊंचा ओहदा मिलने की नाराजगी। सियासत की ये तस्वीर आखिर क्या जाहिर करती है।