/sootr/media/media_files/2025/01/10/aKH4JbPVQyxP2PLO8tdk.jpeg)
News Strike Where is Nakulnath Photograph: (thesootr)
कहां हैं नेताजी में... बात करेंगे आज एक ऐसे नेता की जिन्हें राजनीति में आने के लिए मेहनत का रास्ता नहीं चुनना पड़ा। जैसे डाइनिंग टेबल पर बैठते ही खाना खाने के लिए एक सजी सजाई प्लेट मिल जाती है। उसी तरह इस राजनेता को भी राजनीति प्लेट में सजाकर ही मिली है। वो कहते हैं न बोर्न विद अ सिल्वर स्पून। तो बस यूं समझ लीजिए कि ये राजनेता सियासी दुनिया में चांदी का चम्मच लेकर नहीं बल्कि, सोने का चम्मच लेकर आया। पर क्या करें सियासी दुनिया में कुछ ऐसे उतार चढ़ाव आए तो क्या सोना क्या चांदी, हाथ में आया चम्मच ही बचाना मुश्किल हो गया और अब ये नेता अपनों के जरिए ही लगातार हाशिए पर धकेला जा रहा है।
2019 में मोदी लहर के बाद भी विरासत बचाई
हम जिस राजनेता की आज बात कर रहे हैं, वो राजनेता हैं नकुलनाथ। जो कमलनाथ के बेटे हैं। नकुलनाथ ने अपने पिता की राजनीतिक विरासत संभालने के लिए ही सियासी दुनिया में कदम रखा। जिस वक्त कमलनाथ मध्यप्रदेश के सीएम थे उस वक्त हुए लोकसभा चुनाव में पहली बार चुनाव लड़ने उतरे नुकलनाथ। साल था 2019। जब पुलवामा हमले और एयर स्ट्राइक के बाद देश में जबरदस्त मोदी लहर थी। उस साल कमलनाथ ने अपने बेटे को अपनी लोकसभा सीट छिंदवाड़ा से सियासी तौर पर लॉन्च किया। मजबूरी ही थी क्योंकि खुद कमलनाथ मध्यप्रदेश के सीएम थे, लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ सकते थे इसलिए बेटे को विरासत सौंप दी। इत्तेफाक कहें या बुलंद सितारा कहें या फिर सियासी प्रभाव कि मोदी की उस आंधी में कांग्रेस अपनी जो इकलौती सीट बचा सकी। वो छिंदवाड़ा की ही थी। जहां से नकुलनाथ पहली बार सांसद बनकर लोकसभा पहुंचे।
NEWS STRIKE: MP में BJP हो या Congress, नामों पर क्यों फंसता है पेंच?
नकुलनाथ का सियासी भविष्य भी हाशिए पर
इसके बाद उनकी थोड़ी सियासी सक्रियता बढ़ी और वो प्रदेश की राजनीति में भी नजर आने लगे, लेकिन राजनीति के ये रास्ते नकुलनाथ को ज्यादा लंबे सफर पर नहीं ले जा सके। अगले ही लोकसभा चुनाव यानी साल 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। और कमलनाथ के परिवार ने वो सीट गंवा दी। जो उनका गढ़ कही जाती थी। वैसे हार जीत राजनीति की दुनिया में चलती रहती है। एक बार की हार बहुत बड़ी बात नहीं है, लेकिन जिन हालातों में कमलनाथ के हाथ से सीट निकली। उसके बाद से न केवल उनका बल्कि, नकुलनाथ का सियासी भविष्य भी तकरीबन हाशिए पर पहुंच गया है। लोकसभा चुनाव में टिकट का ऐलान होने से पहले इन खबरों ने जोर पकड़ लिया था कि नकुलनाथ और कमलनाथ दोनों बहुत जल्द बीजेपी में शामिल होने वाले हैं। ये खबर एक बड़ा सियासी घटनाक्रम बनती। जिसका बीजेपी को उतना ही फायदा होता जितना सिंधिया के जाने से हुआ था। खबरों के इतना जोर पकड़ने के बाद फिर खबर आई कि दोनों पिता पुत्र कहीं नहीं जा रहे हैं। बल्कि, कांग्रेस में ही हैं।
News Strike : कहां है जयवर्धन सिंह? क्यों मिले धीरेंद्र शास्त्री से
कमलनाथ के परफोर्मेंस का चार्ट पड़ रहा कमजोर
इस सियासी उठापटक के बाद कांग्रेस ने नकुलनाथ को ही छिंदवाड़ा से टिकट दिया। इस चुनाव में नकुलनाथ को बीजेपी के विवेक कुमार साहू से हार का सामना करना पड़ा। उसके बाद से नकुलनाथ का सियासी भविष्य दांव पर है। हालांकि, नकुलनाथ अपने क्षेत्र में एक्टिव होने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कांग्रेस में बार बार हाशिए पर पटक दिए जा रहे हैं। न सिर्फ वो बल्कि, उनके पिता कमलनाथ का भी हाल यही है। कमलनाथ वैसे तो कांग्रेस के दिग्गज और उम्रदराज नेता हैं, लेकिन 2018 के बाद से उनके परफोर्मेंस का चार्ट लगातार कमजोर पड़ रहा है। 2018 में बनी सरकार को वो संभाल नहीं सके और पंद्रह महीने में ही सरकार गिर गई। जिसके बाद कांग्रेस का लगातार डाउनफॉल ही होता रहा। कांग्रेस उपचुनाव में भी बुरी तरह हारी और पिछले विधानसभा चुनाव में भी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा। उसके बाद कांग्रेस आलाकमान ने पूरी लीडरशिप ही बदल दी है। एक सोच ये भी मानी जा रही है। कमलनाथ की उम्र खुद ही 78 साल के आसपास है। अगले चुनाव तक वो 82 का आंकड़ा छू रहे होंगे या फिर छू चुके होंगे। ऐसे में उनका सक्रिय राजनीति में मौजूद होना मुश्किल नजर आता है। इसका खामियाजा नकुलनाथ का भी झेलना पड़ रहा है।
News Strike:2025 में CM मोहन यादव के सामने कौन सी होंगी बड़ी चुनौतियां
जीतू की नए प्रभारियों की टीम में नकुल का नाम नहीं
हाल ही में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ने अपनी टीम में कुछ नए प्रभारी शामिल किए हैं। जिन्हें अलग-अलग विभागों का जिम्मा सौंपा गया है। चुनाव प्रबंधन के लिए कांग्रेस में प्रशिक्षण विभाग, यूथ कांग्रेस मॉनिटरिंग, महिला कांग्रेस और एनएसयूआई जैसे विभाग हैं। जिनके लिए कुल 35 नई प्रभारी नियुक्त किए गए हैं। चौंकाने वाली बात ये है कि इस लिस्ट में नकुलनाथ का नाम मौजूद नहीं है, जबकि दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह का नाम शामिल है। जो खुद विधायक भी हैं। ये हाल सिर्फ प्रदेश में नहीं है बल्कि, राष्ट्रीय स्तर पर भी पार्टी में उन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई है।
News Strike: कहां है केदारनाथ शुक्ला, हार के बाद क्या है सियासी भविष्य
सवाल... कांग्रेस में अब नकुलनाथ का सियासी भविष्य क्या...?
इसके बाद ये सवाल उठने लाजमी हैं कि कांग्रेस में अब नकुलनाथ का सियासी भविष्य क्या है। लोकसभा चुनाव में हार के बाद उन्होंने ऐलान किया था कि वो हार जरूर गए हैं, लेकिन छिंदवाड़ा छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे। बल्कि, वहीं रह कर जनता की सेवा करेंगे। अपने कथन पर वो अब भी कायम है। करीब दो तीन दिन पहले ही वो छिंदवाड़ा के किसानों से मिले थे। खेत में बैठकर बाजरे की रोटी खाते हुए और गन्ने का रस निकालते हुए उनकी तस्वीरें भी वायरल हुईं थीं, लेकिन क्या ये माना जा सकता है कि क्षेत्र में पांच साल एक्टिव रहने का उन्हें कांग्रेस में फायदा मिलेगा। क्या अगले लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस नकुलनाथ को टिकट देगी और अगर टिकट मिला तो क्या नकुलनाथ छिंदवाड़ा सीट पर फिर से जीत हासिल कर सकेंगे। ये देखने वाली बात होगी।