ग्वालियर: MP में भड़की OBC आरक्षण की आग, 21 मई को बंद का आह्वान

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Sootr Desk rajput
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ग्वालियर: MP में भड़की OBC आरक्षण की आग, 21 मई को बंद का आह्वान

देव श्रीमाली, Gwalior. मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण मामले में अब राजनीति तेज होती जा रही है। सुप्रीम कोर्ट से बिना आरक्षण चुनाव कराने के आदेश मिलने के बाद अब मध्यप्रदेश की ओबीसी महासभा राजनीति दलों के खिलाफ मुखर हो गई है। ग्वालियर में आयोजित ओबीसी की राष्ट्रीय कोर कमेटी की बैठक में फैसला लिया गया है कि 21 मई को मध्यप्रदेश बंद किया जाएगा। ओबीसी महासभा कोर कमेटी के पांच प्रमुख सदस्यों की बैठक की उपस्थिति में अन्य सदस्यों के अलावा दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष वीसी बघेल भी शामिल रहे। 



बैठक में लिए गए कई फैसले

राष्ट्रीय कोर कमेटी की बैठक के बाद महासभा के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्षों ने लिए गए फैसलों की जानकारी दी। ओबीसी महासभा के कार्यकारी अध्यक्ष राकेश लोधी ने कहा कि अदालत में भी जज कोलोजियम सिस्टम से बैठे हुए हैं और वे कुठाराघात कर रहे हैं। जबकि टोटल ओबीसी का रिजर्वेशन खत्म हो गया है। वहीं कांग्रेस और बीजेपी अभी भी कह रही है कि वो ओबीसी के प्रतिनिधियों को टिकट देंगे। महासभा के नेताओं ने सवाल किया कि आखिर पार्टियां पंच-सरपंच को कहा टिकट देंगे। 



दूसरी कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष बृजेन्द्र सिंह यादव ने कहा कि अगर बीजेपी-कांग्रेस को असल में ओबीसी को प्रतिनिधित्व देना है तो लोकसभा में कानून बनाकर हमें संवैधानिक दर्जा दें। ओबीसी महासभा नेताओं ने मौजूदा केंद्र और प्रदेश सरकार पर सवाल उठाए, और कहा कि उन्होंने केंद्र में मोदी और प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नाम पर वोट दिया था और आखिर यह डबल इंजन की सरकार ओबीसी महासभा को रिजर्वेशन दिलवाने में कहां फेल हो गई।



ग्वालियर-चंबल में OBC का दबदबा

ग्वालियर-चंबल में पिछड़ा वर्ग का दबदबा कायम है। यही वजह है कि इस अंचल से सर्वाधिक लोग चुनावों में टक्कर देते हैं। अंचल में पहले कांग्रेस के साथ रहने वाली किरार जाति शिवराज सिंह के सत्ता संभालने के बाद एकमुश्त बीजेपी के साथ आ गई। काछी भी भगवा रंग में रंगे रहे, लेकिन यादव और गुर्जर जैसी बड़ी और जुझारू जातियां इनसे छिटक गईं। पिछले चुनाव से काछी भी काफी बड़ी संख्या में बीजेपी के खिलाफ गए। उन्होंने सिर्फ अपनी जाति वाले बीजेपी उम्मीदवार को वोट दिया, बाकी जगह स्वतंत्र मतदान किया। ग्वालियर-चंबल की 34 में से 27 सीट पर पिछडों का दबदबा है। OBC वर्ग को अगर साधने में बीजेपी कमजोर पड़ी तो इसका नतीजा उन्हें चुनावों में भुगतना पड़ सकता है।


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