आचार संहिता लगने के बाद पॉवर में चुनाव आयोग, चुनाव से जुड़े किसी भी केस को एंटरटेन नहीं करेगा कोर्ट

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Pratibha Rana
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आचार संहिता लगने के बाद पॉवर में चुनाव आयोग, चुनाव से जुड़े किसी भी केस को एंटरटेन नहीं करेगा कोर्ट

BHOPAL. देश के पांच राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान ,छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में इसी साल विधानसभा चुनाव होने है। भारत निर्वाचन आयोग ने 9 अक्टूबर सोमवार को इन राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान कर आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू कर दी है। बता दें, पिछले कुछ महीनों से मध्यप्रदेश, राजस्थान ,छत्तीसगढ़ में राजनीतिक गहमागहमी बढ़ गई है और दल अपनी तैयारियों में जुटे हुए हैं। आचार संहिता लागू होने के बाद चुनाव आयोग ताकतवर हो गया है।

अब कोर्ट नहीं सुनेगा कोई चुनावी केस

मध्य प्रदेश में 230 विधानसभा सीटे, राजस्थान में 200 और छत्तीसगढ़ की 90 सीटों पर निर्वाचन आयोग ने तारीखों का एलान किया है। आचार संहिता लगने के बाद चुनाव आयोग आज से ताकतवर हो गया है। अब कोर्ट कोई भी चुनावी केस नहीं सुनेगा। पूरे चुनावी समय में जितनी भी शिकायतें, ये शिकायतें जनता की हों, नेता की हों या किसी राजनीतिक दल की, उस पर सारे फैसले चुनाव आयोग करेगा। संविधान के अनुच्छेद 329 में यह विशेष अधिकार आयोग को दिया गया है। अगर कोई अपनी शिकायक लेकर कोर्ट जाता है तो कोर्ट उसे आयोग के पास भेज देगा।

वोटर मजबूत, जल्द होगी कार्रवाई

आयोग की सी-विजिल व्यवस्था में वोटर महत्वपूर्ण होता है। कोई भी व्यक्ति चुनाव में गड़बड़ी या कमियों की जानकारी सी-विजिल पोर्टल पर देता है तो 100 मिनट के अंदर आयोग उस पर फैसला करता है।

क्या है आचार संहिता?

चुनाव की तारीखें के एलान के साथ ही आचार संहिता लागू हो जाती है, जो चुनाव परिणाम घोषित होने तक लागू रहती है। चुनाव में हिस्सा लेने वाले राजनैतिक दल,उम्मीदवार, सरकार और प्रशासन समेत चुनाव से जुड़े सभी लोगों पर इन नियमों का पालन करना होता है। अगर कोई इन नियमों का पालन नहीं करता है तो उसपर कार्रवाई की जाती है। बता दें, आदर्श आचार संहिता कानून के द्वारा लाया गया प्रावधान नहीं है.यह सभी राजनीतिक दलों की सर्वसहमति से लागू व्यवस्था है। आदर्श आचार संहिता की शुरुआत सबसे पहले साल 1960 में केरल विधानसभा चुनाव में हुई थी।

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