मध्यप्रदेश की इन सीटों पर बागियों ने बदल रखे हैं समीकरण, ये हैं वे चर्चित सीटें जहां बागी बिगाड़ सकते हैं खेल

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Chandresh Sharma
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मध्यप्रदेश की इन सीटों पर बागियों ने बदल रखे हैं समीकरण, ये हैं वे चर्चित सीटें जहां बागी बिगाड़ सकते हैं खेल

BHOPAL. मध्यप्रदेश में इस मर्तबा करीब आधा सैकड़ा बागी बगावत का झंडा बुलंद किए हुए हैं। कुछ निर्दलीय तो कई समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी समेत आम आदमी पार्टी की ओर से चुनाव मैदान में हैं। इनमें से कुछ जीत के भी प्रबल दावेदार हैं तो कई पार्टी प्रत्याशी पर घात लगाने के उद्देश्य से चुनाव मैदान में उतरे हैं।

सबसे पहले बीजेपी की बात

बुरहानपुर- इस सीट पर बीजेपी की दिवंगत नेता नंद कुमार चौहान के बेटे हर्षवर्धन सिंह ने बगावत का झंडा बुलंद रखा है। हर्षवर्धन ने साल 2019 में खंडवा लोकसभा से दावेदारी की थी लेकिन पार्टी ने टिकट नहीं दिया। अब इस बार वे आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। नामांकन वापस नहीं लिया और उनके समर्थक बीजेपी पदाधिकारी पार्टी से इस्तीफे दिए जा रहे हैं। हर्ष बीजेपी ही नहीं कांग्रेस को भी डेंट दे सकते हैं। उनके चुनाव मैदान में होने से कांग्रेस उम्मीदवार की आस राजपूत वोटर्स में बंटवारा संभव है। यहां बीजेपी ने पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस को टिकट दिया है वहीं कांग्रेस की ओर से विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा मैदान में हैं।

सीधी- यहां काफी चर्चा में रहे सीधी पेशाब कांड के चलते बीजेपी ने केदारनाथ शुक्ला का टिकट काट दिया था। अब केदारनाथ निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे हैं। आरोपी पर की गई कार्रवाई से ब्राह्मण समाज बीजेपी से क्षुब्ध बताया जाता है। इस सीट पर ब्राह्मण वोट ही निर्णायक हैं। बीजेपी ने मैदान में सांसद रीति पाठक को उतार रखा है , लेकिन केदार शुक्ला की बगावत ने मुकाबला त्रिकोणीय कर रखा है।

बड़वारा- इस सीट पर पूर्व मंत्री मोती कश्यप ने बीजेपी से बगावत कर रखी है। इस सीट पर मांझी समाज के 35 हजार के लगभग वोट चुनाव को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। कश्यप मांझी समाज के बड़े नेताओं में से एक हैं। पिछला चुनाव वे हार गए थे। इस मर्तबा कांग्रेस ने पूर्व विधायक विजय राघवेंद्र सिंह पर ही भरोसा जताया है। बीजेपी की ओर से धीरेंद्र सिंह प्रत्याशी हैं।

मुरैना- यहां बीजेपी के पूर्व मंत्री रूस्तम सिंह के बेटे राकेश सिंह ने पिता के साथ मिलकर बीजेपी से बगावत की है, दोनों बसपा में शामिल हुए और बसपा ने राकेश को टिकट दे दिया। गुर्जर समाज से ताल्लुक रखने वाले राकेश सिंह, गुर्जर समाज में अच्छा खासा दखल रखते हैं। बेटे के प्रचार की कमान भी पिता रूस्तम सिंह संभाले हुए हैं। उनकी बगावत से यहां भी मामला त्रिकोणीय बना हुआ है।

भिंड- यहां बीएसपी से बीजेपी में शामिल हुए संजीव सिंह ने टिकट न मिलने पर बसपा में वापसी कर ली और चुनाव मैदान में उतरे हैं। बीजेपी ने यहां से नरेंद्र सिंह कुशवाहा को टिकट दिया है। कांग्रेस ने यहां से राकेश सिंह चतुर्वेदी को मैदान में उतारा है। बसपा के कोर वोट बैंक की वजह से यहां भी मामला त्रिकोणीय बना हुआ है।

सतना- सतना में ब्राह्मण वोट ही निर्णायक है। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों ने यहां ब्राह्मण प्रत्याशी नहीं उतारा तो बसपा ने सोशल इंजीनियरिंग का पासा फेंकते हुए शिवा रत्नाकर चतुर्वेदी को मैदान में उतार दिया। साल 2018 के चुनाव में यहां कांग्रेस को विजय मिली थी। जीत का अंतर भी साढ़े 12 हजार वोटों का था।

कांग्रेस का यह हाल

नागौद- सतना जिले की नागौद सीट पर राजपूत नेता प्रभावी रहते हैं। 2013 में विधायक रहे यादवेंद्र सिंह ने इस मर्तबा बसपा से ताल ठोंकी है। कांग्रेस ने इस मर्तबा रश्मि पटेल को टिकट दिया है। बसपा के यहां 20 से 23 हजार कोर वोटर्स हैं। इस लिहाज से यादवेंद्र इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला बनाने में कामयाब रहे हैं।

महू- महू में अंतर सिंह दरबार की बगावत ने त्रिकोणीय मुकाबला बना दिया है। दरबार पिछला चुनाव ऊषा ठाकुर से मात्र 7 हजार वोटों से हारे थे। बावजूद इसके जब कांग्रेस ने रामकिशोर शुक्ला को टिकट दिया तो दरबार ने बगावत कर दी। वे दो मर्तबा विधायक रह चुके हैं और इलाके में उनकी अच्छी पकड़ भी है।

आलोट- आलोट सीट पर कांग्रेस ने वर्तमान विधायक मनोज चावला पर ही दांव लगाया, जिससे क्षुब्ध प्रेमचंद गुड्डू ने बगावत कर दी। गुड्डू की ताकत खाती समाज के वोटर्स और उनके अपने समर्थक हैं। गुड्डू ने क्षेत्र में त्रिकोणीय संघर्ष बना दिया है।

त्योंथर- पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी के पोते सिद्धार्थ ने यहां बीजेपी ज्वाइन कर ली और बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। बीजेपी ने मौजूदा विधायक का टिकट काटकर सिद्धार्थ को मैदान में उतारा है। जिस वजह से यहां रोमांचक मुकाबला देखने को मिल रहा है।

सुमावली-टिकट वितरण के दौरान यहां अजब हालात देखने को मिले। विधायक अजब सिंह कुशवाह का टिकट कटा तो उन्होंने बसपा ज्वाइन कर ली। कांग्रेस ने कुलदीप सिकरवार को यहां से मैदान में उतारा था। टिकट बदली गई तो कुलदीप बसपा में चले गए और टिकट लाकर ताल ठोंकी है। बीजेपी ने यहां से एंदल सिंह कंसाना को मैदान में उतारा है। वे कभी कांग्रेसी हुआ करते थे। इस तरह यहां त्रिकोणीय संघर्ष देखने को मिल रहा है।









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