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Arpa Bhainsajhar land scam: अरपा भैंसाझार नहर निर्माण और भूमि अधिग्रहण में राजस्व और जल संसाधन विभाग के अफसरों द्वारा भारी भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। नहर के अलाइमेंट को बदलकर लाखों रूपए का मुआवजा गलत तरीके से बांट दिया गया। बंजर जमीन को दो फसली और झोपड़ी को पक्का मकान दिखाकर करोड़ों का हेरफेर किया गया। राज्य सरकार ने इस मामले की जांच EOW को सौंप दी है।
नहर अलाइमेंट बदलकर खेला
लोरमी के व्यवसायी पवन अग्रवाल के परिजनों को फायदा पहुंचाने के लिए नहर का नक्शा बदल दिया गया। दस्तावेजों में नहर कहीं और दिखाई गई, जबकि मौके पर नहर अलग दिशा से निकाली गई। मुआवजे के नाम पर बंजर जमीन को उपजाऊ बताकर लाखों रूपए का भुगतान किया गया।
दोषियों की जांच और कार्रवाई
राज्य सरकार ने इस मामले की जांच EOW और ACB को सौंपी है। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17(क) के तहत कार्रवाई की जा रही है। जांच टीम ने तत्कालीन एसडीएम कीर्तिमान सिंह राठौर को दोषी पाया है। फिलहाल राठौर रायपुर कलेक्टर कार्यालय में अपर कलेक्टर पद पर कार्यरत हैं।
इसी घोटाले में कोटा के तत्कालीन एसडीएम और वर्तमान में निलंबित आरटीओ आनंदरुप तिवारी पर भी कार्रवाई की जा चुकी है। पटवारी से आरआई बने मुकेश साहू को बर्खास्त किया गया है।
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किसानों से जमीन गई, मुआवजा बिल्डर्स को
नहर निर्माण के दौरान किसानों की जमीन ली गई, लेकिन मुआवजा उन्हें नहीं मिला।
- शत्रुहन पिता मोतीलाल की 41 डिसमील
- लक्ष्मण पिता रामफल की 27 डिसमील
इन किसानों के नाम हटाकर आसमां बिल्डर्स के नाम से 41.32 लाख रुपये का फर्जी भुगतान कर दिया गया। यह भुगतान पटवारी मुकेश साहू ने जुलाई 2020 में किया था, जबकि उससे कुछ दिन पहले ही वह पदमुक्त कर दिया गया था।
तीन साल में केवल दो पर कार्रवाई
अरपा भैंसाझार घोटाले में 11 अफसर और कर्मचारी दोषी पाए गए। करोड़ों रुपये की अनियमितता उजागर होने के बावजूद तीन साल में केवल दो अफसरों पर ही कार्रवाई हो सकी है। बाकी 9 अधिकारी अब भी बिना किसी सजा के खुले घूम रहे हैं।
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किन अफसरों पर होनी है कार्रवाई?
राजस्व विभाग – कीर्तिमान सिंह राठौर (तत्कालीन एसडीएम), मोहरसाय सिदार (नायब तहसीलदार), हुल सिंह (आरआई), दिलशाद अहमद (पटवारी सकरी), मुकेश साहू (पटवारी सकरी)।
जल संसाधन विभाग – आरएस नायडू (कार्यपालन अभियंता), ए.के. तिवारी (कार्यपालन अभियंता), राजेंद्र प्रसाद मिश्रा (अनुविभागीय अधिकारी), आर.पी. द्विवेदी (अनुविभागीय अधिकारी), आर.के. राजपूत (सब इंजीनियर)।
शासन की भूमिका पर सवाल
जांच रिपोर्ट आने के बाद भी लंबे समय तक कार्रवाई की फाइल दबाकर रखी गई। बिलासपुर के तत्कालीन कलेक्टर अवनीश शरण ने दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन को पत्र भेजा था। लेकिन राजधानी रायपुर में फाइल अटक गई। लगातार मीडिया रिपोर्टिंग के बाद ही मामला आगे बढ़ा और अब EOW जांच कर रही है।
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अरपा भैंसाझार भूमि घोटाला क्या है?
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यह पूरा मामला अब EOW और ACB की जांच के अधीन है। लेकिन सवाल यह है कि जिन किसानों की जमीन चली गई, उन्हें न्याय कब मिलेगा और घोटालेबाज अफसरों पर पूरी कार्रवाई कब होगी।
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