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CG Politics : इन दिनों बीजेपी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। यह इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि पार्टी के अंदर से ही अपने नेताओं के खिलाफ सुर उठ रहे हैं। एक वरिष्ठ नेता ने लेटर बम फोड़ते हुए आरोप लगाया कि बीजेपी में दलाल किस्म के लोग हावी हो गए हैं। यह शिकायत पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से की गई।
निकाय और पंचायत चुनाव में पार्टी के नेता आपस में खूब गुत्थम गुत्था हुए। इन चुनाव के 15 दिनों में बीजेपी ने 14 जिला पंचायत और निकाय चुनाव में जीते नेताओं को बाहर कर दिया। इन चुनाव के दौरान दो मंत्रियों पर गंभीर आरोप लगे। पार्टी के अंदर क्यों मचा है घमासान आइए आपको बताते हैं।
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बीजेपी में फूटा लेटर बम
बीजेपी अनुशासित पार्टी मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि पार्टी के अंदर भले ही राजी नाराजी हो लेकिन बाहर कुछ नहीं आता। सब कुछ अंदर मैनेज हो जाता है। लेकिन छत्तीसगढ़ बीजेपी में ऐसा नहीं है। हाल ही में हुए पंचायत चुनावों ने पार्टी को अनुशासन की स्थिति का आइना दिखा दिया। हम पार्टी के अनुशासन का हाल बताएंगे जो हाल ही के कुछ दिनों के अंदर नजर आया। नेताओं ने अनुशासनहीनता की तो पार्टी ने उन पर चाबुक भी चलाया।
लेकिन ऐसी स्थिति बनी क्यों यह सबसे बड़ा सवाल है। सबसे पहले बात लेटर बम की। पूर्व मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता ननकीराम कंवर ने फिर लेटर बम फोड़ा है। उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में लिखा गया है कि बीजेपी में दलाल किस्म के नेता हावी हो गए हैं।
यह नेता उन अधिकारियों को बचा रहे हैं जिन्होंने कांग्रेस की सरकार के समय बीजेपी कार्यकर्ताओं को झूठे मामले में फंसाने का काम किया था। 2003 से 2018 तक निगम मंडलों में जिन नेताओं का कब्जा रहा उन्होंने गलत काम कर बीजेपी को 2018 में सत्ता से बाहर कर दिया। अब निगम मंडलों में नए लोगों को मौका मिलना चाहिए। कांग्रेस के हाथ यह पत्र लगा तो उसने बीजेपी पर तंज कस दिया।
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दो मंत्रियों पर लगे आरोप
बीजेपी कार्यकर्ताओं की आरोपों की आंच मंत्रियों तक भी पहुंची। कोरबा नगर निगम में सभापति के चुनाव में बागी के पक्ष में बयान देने पर उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन को पार्टी संगठन ने नोटिस जारी किया। इस नोटिस में पूछा गया कि आप पर अनुशासनात्मक कार्यवाही क्यों न की जाए।
यह पहला मौका है जब किसी मौजूदा कैबिनेट मंत्री को पार्टी ने नोटिस जारी किया हो। देवांगन के अलावा कृषि मंत्री रामविचार नेताम पर भी उनकी ही पार्टी के नेता, दो बार के पूर्व विधायक,जिला पंचायत सदस्य और पार्टी की मौजूदा विधायक के पति सिद्धनाथ पैकरा ने आरोप लगाए।
पैकरा ने कहा कि मंत्री ने ही उनको बलरामपुर में जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव हरवाया। डिप्टी सीएम कहते हैं कि कांग्रेस जो आरोप बीजेपी पर लगा रही है जबकि उसे अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। दलालों का अड्डा कांग्रेस सरकार में लगा हुआ था। इसीलिए उसके नेताओं के खिलाफ ईडी और सीबीआई जांच कर रही हैं। रही बात अनुशासनहीनता की तो पार्टी इसको बर्दाश्त नहीं करती है और कार्यवाही करती है।
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15 दिन में चुनाव जीते 19 नेता बाहर
पार्टी के कार्यकर्ताओं में मचे घमासान की हालत ये हो गई कि नेता एक दूसरे के सामने आ गए। पिछले 15 दिनों में 14 नेताओं को बीजेपी ने बाहर का रास्ता दिखाया। निकाय चुनाव में बागी होकर कार्यकर्ताओं का चुनाव लड़ना और पार्टी के निष्कासन की कार्यवाही तो समझ में आती है।
लेकिन जीते हुए उम्मीदवारों का आपस में टकराना तो बड़ी बात हो जाती है। जिला और जनपद पंचायत चुनाव में अध्यक्ष,उपाध्यक्ष पद को लेकर और निकायों में सभापति पद के लिए बीजेपी के अधिकृत उम्मीदवार के सामने बीजेपी के ही जीते हुए नेता खड़े हो गए। पार्टी ने 19 नेताओं को निष्कासित कर दिया।
ये चुनाव जीते बीजेपी नेता पार्टी से निष्कासित
पंकज गुप्ता - नगर पंचायत उपाध्यक्ष पद के लिए बीजेपी के अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ खड़े हुए।
सुनीता साहू - जनपद अध्यक्ष पद के लिए बीजेपी के अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ खड़ी हुईं।
नूतन सिंह ठाकुर - कोरबा नगर निगम में सभापति के चुनाव में बीजेपी के अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ खड़े हुए।
श्याम भोजवानी - नगर पंचायत उपाध्यक्ष के चुनाव में बीजेपी के अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ खड़े हुए।
अनिल लकड़ा - नगर पंचायत उपाध्यक्ष के चुनाव में बीजेपी के अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ खड़े हुए।
सुषमा राजपूत - जनपद पंचायत उपाध्यक्ष पद के लिए बीजेपी के अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़ा।
अरविंद भगत - जनपद पंचायत अध्यक्ष पद के लिए बागी होकर चुनाव लड़ा।
चंद्रकांता राजपूत - जनपद पंचायत उपाध्यक्ष पद के लिए बागी होकर चुनाव लड़ा।
मोनिका भगत - जनपद पंचायत अध्यक्ष पद के लिए बागी होकर चुनाव लड़ा।
सौभाग्यवती सिंह - जनपद पंचायत अध्यक्ष पद के लिए बागी होकर चुनाव लड़ा।
ममता सिंह ठाकुर - जनपद पंचायत अध्यक्ष पद के लिए बागी होकर चुनाव लड़ा।
राजीव सिंह ठाकुर - जनपद पंचायत अध्यक्ष पद के लिए बागी हुए।
रोहित गुप्ता - नगर पंचायत के उपाध्यक्ष पद पर बागी होकर चुनाव लड़ा
सिद्धनाथ पैकरा - जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर बीजेपी के अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़ा।
कुल मिलाकर बात यह है कि बीजेपी के सामने कांग्रेस की चुनौती नहीं बल्कि अपनी ही पार्टी के नेताओं की चुनौती ज्यादा रही। यह आम धारणा है कि सत्ता के साथ उसके दुष्प्रभाव भी चलते हैं। सत्ता के समय जो मर्ज कांग्रेस को लगा अब वही सत्ता पाने के बाद बीजेपी को लग गया है। नेता महत्वाकांक्षी हो गए हैं और ऐसे में वे अपना पराया देखना भी भूल रहे हैं।
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