अरुण तिवारी, RAIPUR. लोकसभा चुनाव के बाद छत्तीसगढ़ के मीसाबंदियों को विष्णुदेव सरकार (Vishnudev government)एक बड़ी सौगात देने वाली है। प्रदेश में बंद मीसाबंदियों की पेंशन एक बार फिर शुरु होने वाली है। सिर्फ हर महीने पेंशन ही नहीं उनको 6 लाख से 25 लाख तक रुपए तक भी मिलेंगे। अब ये राशि किश्तों में मिलेगी या एकमुश्त, इस बारे में वित्त विभाग के अफसर हिसाब- किताब में लगे हैं। लेकिन सूत्रों की मानें तो यह राशि एक मुश्त 1 नवंबर को दी जाएगी। कांग्रेस की भूपेश सरकार ने मीसाबंदियों की पेंशन बंद कर दी थी। अब सरकार बदली है और प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी है तो फिर से मीसाबंदियों के अच्छे दिन शुरु होने वाले हैं। विष्णुदेव सरकार ने मीसाबंदियों की पेंशन फिर से शुरु करने का फैसला लिया है। आचार संहिता खत्म होने के बाद मीसाबंदियों को आखिर क्यों मिलेंगे छह से पच्चीस लाख रुपए। आइए आपको बताते हैं पूरा क्या है मामला।
एक मुश्त मिलेंगे 6 से 25 लाख रुपए
साल 2018 में छत्तीसगढ़ में सत्ता में बदली और कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार बन गई। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कुर्सी संभालते ही प्रदेश में जारी मीसाबंदी पेंशन (Misabandhi pension)बंद कर दी। अब प्रदेश में बीजेपी की विष्णु सरकार बनते ही मीसाबंदियों को फिर से पेंशन देने का फैसला ले लिया गया। प्रदेश के मीसाबंदियों को सिर्फ हर महीने पेंशन ही नहीं दी जाएगी बल्कि पिछले पांच साल का बकाया भी एरियर (arrears) के रुप में दिया जाएगा। यानी बकाया के रुप में मीसाबंदियों को छह लाख रुपए से पच्चीस लाख रुपए तक मिलेंगे। यह राशि एकमुश्त मिलेगी या फिर अलग-अलग में, इसको लेकर सरकार कैल्युकुलेशन कर रही है। लेकिन सूत्रों के मुताबिक एक नवंबर को यह एरियर की राशि एक मुश्त मीसाबंदियों के खाते में ट्रांसफर की जाएगी। उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा (Deputy Chief Minister Vijay Sharma) कहते हैं कि लोकतंत्र प्रहरी हमारी धरोहर हैं और उनका पूरा सम्मान किया जाएगा। उनको पिछले पांच साल की बकाया राशि भी दी जाएगी।
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तीन श्रेणी में मिलती है पेंशन
अब इसका पूरा हिसाब किताब आपको बताते हैं। छत्तीसगढ़ में करीब एक हजार मीसाबंदी या उनके परिजन हैं। मीसाबंदियों को तीन केटेगरी में पेंशन दी जाती है। दस हजार,पंद्रह हजार और पच्चीस हजार। जो लोग मीसा कानून के तहत जेल में बंद हुए हैं उनको दस हजार, जिन्होंने तीन महीने तक जेल की सजा काटी है उनको 15 हजार और जो 6 महीने तक या उससे ज्यादा समय जेल में बंद रहे हैं उनको 25 हजार रुपए पेंशन दी जाती है। जिन मीसाबंदियों को दस हजार रुपए मिलते हैं उनका पांच साल का एरियर छह लाख रुपए बनता है। जिनको 15 हजार रुपए मिलते हैं उनका एरियर 9 लाख रुपए और जिनकी पेंशन पच्चीस हजार रुपए महीने है उनका एरियर पच्चीस लाख रुपए होता है। इस तरह सरकार इन मीसाबंदियों को पेंशन के साथ बकाया एरियर भी देगी। आचार संहिता खत्म होने के बाद सरकार इस फैसले को अमल में लाएगी।
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हाईकोर्ट से जीते फिर भी नहीं मिली पेंशन
आपातकाल के समय मीसा कानून के तहत जेल गए लोगों को बीजेपी सरकार लोकतंत्र के प्रहरी कहती है और जिन राज्यों में बीजेपी की सरकार है वहां पर उनको मासिक पेंशन दी जाती है। भूपेश सरकार ने इस पेंशन पर रोक लगा दी थी। मीसाबंदी संगठन इसके खिलाफ हाईकोर्ट गए। हाईकोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ तत्कालीन सरकार सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) चली गई। अब जबकि नई सरकार बन गई है तो सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से ये याचिका वापस ले ली है और मीसाबंदियों को पेंशन के साथ पांच साल का एरियर देने का फैसला भी कर लिया है।