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Raipur. छत्तीसगढ़ में उच्च शिक्षा और स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा बदलाव हुआ है। अब प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में भी बी-फार्मेसी (Bachelor of Pharmacy) की पढ़ाई शुरू की जा रही है। शासकीय कन्या पॉलीटेक्निक महाविद्यालय रायपुर में शैक्षणिक सत्र 2025-26 से इस नए कोर्स की शुरुआत होगी। यह पहल राज्य सरकार की ओर से छात्राओं के शैक्षणिक, व्यावसायिक और तकनीकी विकास को प्रोत्साहित करने के लिए की गई है।
बी-फार्मेसी कोर्स की मुख्य बातें
अब तक बी-फार्मेसी की पढ़ाई केवल निजी कॉलेजों में होती थी, जहां फीस काफी अधिक होती थी। लेकिन अब यह कोर्स राज्य सरकार के कॉलेज में (CG government colleges B. Pharmacy) निशुल्क उपलब्ध रहेगा। यह कोर्स फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI), नई दिल्ली से अनुमोदित है।
- अवधि: 4 वर्ष (8 सेमेस्टर)
- सीटें: 60
- पात्रता: 12वीं में भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित/जीव विज्ञान विषयों के साथ उत्तीर्ण छात्राएँ
- प्रवेश प्रक्रिया: प्रवेश PPHT परीक्षा और DTE CG काउंसलिंग/मेरिट सूची के आधार पर होगा।
इस पहल से छात्राओं को स्वास्थ्य सेवाओं, औषधि विज्ञान, अनुसंधान और फार्मास्यूटिकल उद्योग में उत्कृष्ट रोजगार के अवसर मिलेंगे।
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प्रशिक्षण और इंडस्ट्री लिंक
बी-फार्मेसी का पाठ्यक्रम पूरी तरह प्रायोगिक (Practical) और व्यावसायिक (Vocational) होगा। छात्राओं को फार्मास्यूटिकल उद्योग की आवश्यकताओं के अनुरूप प्रशिक्षण दिया जाएगा। इंटरनशिप और फील्ड ट्रेनिंग का भी अवसर मिलेगा। कॉलेज परिसर में उन्नत प्रयोगशालाएँ, पुस्तकालय और अन्य संसाधन विकसित किए जा रहे हैं ताकि प्रशिक्षण उद्योग मानकों के अनुसार हो।
छत्तीसगढ़ बी-फार्मेसी कोर्स की 3 मुख्य बातें
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काउंसलिंग शेड्यूल
छत्तीसगढ़ में बी-फार्मेसी, डी-फार्मेसी और एम-फार्मेसी पाठ्यक्रमों के लिए ऑनलाइन काउंसलिंग प्रक्रिया इस प्रकार है—
- आवेदन प्रारंभ: 13 अक्टूबर से 18 अक्टूबर 2025 तक
- पहली मेरिट सूची: 24 अक्टूबर
- सीट आवंटन (पहला चरण): 29 अक्टूबर
- प्रवेश की अंतिम तिथि: 4 नवंबर
- दूसरा चरण: 7 से 10 नवंबर
- अंतिम आवंटन: 15 नवंबर, प्रवेश: 16 से 19 नवंबर तक
शिक्षा और रोजगार दोनों में नया आयाम
यह कदम प्रदेश की छात्राओं को सुलभ, गुणवत्तापूर्ण और व्यावहारिक शिक्षा प्रदान करने की दिशा में ऐतिहासिक माना जा रहा है। अब राज्य की बेटियों को फार्मेसी क्षेत्र में करियर बनाने के लिए निजी कॉलेजों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। यह पहल न केवल महिला सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि प्रदेश के फार्मास्यूटिकल सेक्टर को नई गति देने वाला भी साबित होगा।