CM Kaushal Vikas Yojana में लाखों युवाओं को मिली ट्रेनिंग, ज्यादातर बेरोजगार

मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना (CM Kaushal Vikas Yojana) में ट्रेनिंग लेने वालों को कोर्स से खास लाभ नहीं हो रहा है। योजना के अंतर्गत हर साल लाखों युवा प्रशिक्षण ले रहे हैं। लेकिन इनमें से ज्यादातर युवा आज भी बेरोजगार है।

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Amresh Kushwaha
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छत्तीसगढ़, रायपुर : प्रदेश में कौशल विकास योजना के अंतर्गत हर साल लाखों युवा प्रशिक्षण ले रहे हैं, लेकिन इनमें से ज्यादातर युवा आज भी बेरोजगार है। यह योजना पुराने और प्रचलन से बाहर हो चुके कोर्स तक ही सीमित है। यही वजह है कि जो युवा ट्रेंड भी हुए, इनमें से आधे को भी रोजगार नहीं मिल पा रहा है।

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योजना से नाम मात्र का फायदा

मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना ( CG CM Kaushal Vikas Yojana ) में ट्रेनिंग लेने वालों को कोर्स से खास लाभ नहीं हो रहा है। राज्य बनने के बाद अब तक इस योजना में 7.65 लाख से ज्यादा युवाओं को ट्रेनिंग के लिए रजिस्टर्ड किया गया।

इसमें 4.79 लाख को ट्रेनिंग भी मिली,  नौकरी या रोजगार मिला 2.63 लाख को। इसमें भी 60% ऐसे हैं जिन्होंने खुद का कारोबार शुरू किया है, लेकिन उन्हें किसी भी तरह की सरकारी मदद नहीं मिली।

राज्य सरकार की मदद से केवल 40% युवाओं को ही सरकारी विभागों या निजी कंपनियों में जगह मिल पाई है। 2022 से हर साल औसतन 40 हजार को नौकरी दिलाने का दावा था। ऐसे लेागों की संख्या 18 हजार भी नहीं है।

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प्लेसमेंट कैंप के नाम पर दिखावा 

युवाओं को नौकरी दिलाने के लिए राज्य के सभी 33 जिलों में लगातार प्लेसमेंट कैंप लगाए जा रहे हैं।

  • 2017 में 294 प्लेसमेंट कैंप लगे थे। इसमें 6287 लोगों को नौकरी मिली।
  • 2018 में 421 कैंप लगे, जिसमें 8284 नौकरी पाई। इसके बाद से कैंप कम हो गए।
  • 2019 में 391 कैंप लगे थे, जिसमें 6055 नौकरियां दी गईं।
  • 2020 में 187 कैंप ही हुए जिसमें 2952 को नौकरी मिली।
  • 2021 में कैंप और घटकर 175 ही रह गए और इनसे केवल 2236 युवाओं को ही नौकरी मिल पाई।
  • दिसंबर 2022 में एक साथ 50 हजार से ज्यादा नौकरियां देने के लिए कैंप लगाया गया। इसमें केवल 8000 युवाओं ने आवेदन किया।
  • 2021-22 में विभाग ने 18920 को प्रशिक्षित कर रोजगार देने कहा था, लेकिन 674 युवाओं को ही ट्रेनिंग मिली। इसमें भी 300 लोगों को ही नौकरी मिली। 
  • 2022 - 23 में भी इसी तरह का हाल रहा।
  • 2023-24 में पहले विधानसभा और बाद में लोकसभा की आचार सं​हिता की वजह से कैंप लगने ही बंद हो गए। अब आचार संहिता हटने के बाद कैंप लगाने की प्र​क्रिया फिर शुरू कर दी है।

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लोन भी नहीं

खुद का कारोबार शुरू करने के लिए सरकारी योजनाओं के तहत 5 से 25 लाख रुपए तक का लोन दिया जाता है।  प्रक्रिया इत​नी जटिल है कि हर साल लोन लेने वालों की संख्या घट रही है। हर जिलों के उद्योग केंद्र से भेजे गए 80% आवेदन बैंक खारिज कर देते हैं। वे कहते हैं कि युवा गारंटी नहीं दे पाते।

राजधानी रायपुर का हाल 

जिला उद्योग केंद्र पिछले 5 साल में स्वरोजगार योजना के लोन के लिए 2000 से भी कम युवाओं ने आवेदन दिया है। इसके बावजूद लोन मिलने वालों की संख्या 300 भी नहीं है। आधे से ज्यादा आवेदन केंद्र वाले नामंजूर कर देते हैं। साल में 100 लोगों को भी सरकारी अनुशंसा पर लोन नहीं मिल रहा।

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2 महीने के बजाय सालभर

युवाओं को लोन देने के लिए 2 माह का समय निर्धारित किया गया है। पर लोन मिलने में सालभर लगता है। आवेदन मिलते ही 5 दिन में जांच करनी है। 45 दिन में राज्यस्तरीय टास्क फोर्स समिति इन आवेदनों पर विचार करेगी। बैंक वालों को 30 दिन में निराकरण करना है। पर ये लंबा वक्त लेती है।

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