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School furniture purchase scam:छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग में स्कूल फर्नीचर खरीदी को लेकर एक बड़ा विवाद सामने आया है। 44 करोड़ रुपए के टेबल बेंच खरीदी प्रक्रिया की शिकायत मुख्यमंत्री को हुई है। जिसमें कहा गया है कि अगस्त में जारी टेंडर में 18 फर्माे ने हिस्सा लिया था। लेकिन, स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने पक्षपात करते हुए चहेते 5 फर्मों को काम दे दिया। इससे न केवल बाकी 13 फर्म टेंडर से बाहर हुए बल्कि राज्य के खजाने को वित्तीय नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
क्या है मामला?
स्कूलों के लिए 1 लाख 19 हजार 400 टेबल बेंच खरीदी के लिए विभाग ने जुलाई में टेंडर जारी किया। अंतिम तारीख 2 अगस्त तक 18 फर्मों ने बोली लगाई। 8 अगस्त को टेंडर खुला। स्कूल शिक्षा संचालनालय के अधिकारियों ने कुल 40 मिनट में टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली। इसमें स्कूल शिक्षा संचालक रितुराज रघुवंशी भी शामिल थे।
इसमें टेक्निकल और फाइनेंशियल दस्तावेज जांचना भी शामिल था। यानि अधिकारियों ने प्रत्येक संस्था के दस्तावेज औसतन 2 मिनट में जांच लिए। हद तो यह है कि जिन 5 फर्मों को सप्लाई का जिम्मा मिला है उसमें से कुछ के दस्तावेज 1 मिनट में ही ओके कर दिए।
इन फर्मों को मिला काम
दस्तावेजों के अनुसार, निम्नलिखित फर्मों को तकनीकी रूप से योग्य घोषित किया गया। संजय साइंटिफिक वर्क्स, गणपति एंटरप्राइजेज, गोयल फर्नीचर, खंडेलवाल सेल्स कॉर्पाेरेशनऔर अल्ट्रा मॉड्यूलर इंडस्ट्रीज का नाम है। फाइनेंसियल बिड के अनुसार 44 करोड़ 83 लाख 47 हजार में इन कंपनियों को काम दिया गया है।
मार्केट से अधिक कीमत में सप्लाई
बताया जा रहा है कि संचालक, अतिरिक्त संचालक के इस गड़बड़ी के कारण सरकारी खजाने का करीब 10 करोड़ रुपए नुकसान हुआ है। रिजेक्ट किए गए फर्मो में से कुछ ऐसे भी थे जो 30-35 करोड़ में ही सामान का सप्लाई कर देते। यह भी आरोप लगा कि जिस रेट पर स्कूल शिक्षा विभाग फर्मों से टेबल-बेंच खरीद रहा, मार्केट में उससे कम में सामान मिल रहा है।
पीएम-सीएम से गुहार
8 अगस्त को प्रक्रिया पूरी होने के बाद 18 कंपनियों में से एक फर्म ने स्कूल शिक्षा सचिव को दस्तावेज़ के साथ शिकायत दिया है। जो फर्मों को अनुचित रूप से अयोग्य घोषित करने के संबंध में है। यह भी कहा गया था कि जिन पांच फर्मों में से एक को 1 मिनट में ही मंजूरी दे दी गई है। लेकिन आरोप है कि स्कूल शिक्षा सचिव ने इसपर ध्यान नही दिया। इसके बाद प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री से गुहार लगाई है।