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Raipur. छत्तीसगढ़ महिला आयोग विवाद में एक नया मोड़ आया है। आयोग की तीन सदस्यों लक्ष्मी वर्मा, सरला कोसरिया और दीपिका शोरी को अधिवक्ताओं अखिलेश कुमार और शमीम रहमान ने मानहानि का कानूनी नोटिस भेजा है। दोनों वकीलों का आरोप है कि 7 अक्टूबर को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में आयोग की सदस्याओं ने ऐसे बयान दिए जिससे उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस से शुरू हुआ विवाद
अधिवक्ताओं का कहना है कि महिला आयोग की सुनवाई प्रक्रिया के दौरान उन्हें “अनाधिकृत व्यक्ति” कहा गया, जबकि वे आयोग में विधिक सलाहकार (Legal Advisor) के पद पर अधिकृत रूप से कार्य कर रहे हैं। दोनों ने आरोप लगाया कि प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान और उसके बाद सोशल मीडिया तथा राष्ट्रीय महिला आयोग के वॉट्सऐप ग्रुप में उनकी तस्वीरें और जानकारी साझा की गईं, जिससे उन्हें सार्वजनिक रूप से अपमानित करने की कोशिश की गई।
लीगल नोटिस में क्या कहा गया
एडवोकेट शमीम रहमान द्वारा भेजे गए लीगल नोटिस में कहा गया है कि तीनों सदस्यों और उनके सहयोगी धर्मेंद्र ठाकुर ने मिलकर उनकी छवि खराब करने का प्रयास किया है। नोटिस में मांग की गई है कि आयोग की सदस्याएँ 7 दिनों के भीतर सार्वजनिक रूप से माफी मांगे और सोशल मीडिया, अखबार व प्रिंट मीडिया में माफीनामा प्रकाशित करें। अगर ऐसा नहीं किया गया तो अधिवक्ता सक्षम न्यायालय में मानहानि का मुकदमा दायर करेंगे।
मानदेय के बकाये को लेकर भी नाराजगी
एडवोकेट अखिलेश कुमार ने बताया कि पहले उन्हें आयोग से सुनवाई के दौरान ₹1500 प्रतिदिन मानदेय दिया जाता था, लेकिन अब यह भुगतान रुका हुआ है। उन्होंने दावा किया कि करीब डेढ़ लाख रुपए का मानदेय अब तक लंबित है। इस मुद्दे पर उन्होंने बताया कि मामला वर्तमान में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में विचाराधीन है। साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि अगर 15 दिनों में आयोग की सदस्याएँ लिखित माफी नहीं मांगतीं, तो वे सभी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करेंगे।
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आयोग की सदस्य लक्ष्मी वर्मा ने दी सफाई
वहीं, महिला आयोग की सदस्य लक्ष्मी वर्मा ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार बनने के बाद आयोग में किसी भी अधिवक्ता को आधिकारिक लीगल सलाहकार के रूप में नियुक्त नहीं किया गया है। लक्ष्मी वर्मा ने यह भी कहा कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसी अधिवक्ता का नाम नहीं लिया गया था। उन्होंने स्पष्ट किया कि आयोग अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक के पति का नाम नहीं, केवल “पति” शब्द का उल्लेख किया गया था।
विवाद से आयोग की साख पर सवाल
इस पूरे विवाद (CG Women's Commission controversy) के बाद छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। एक ओर अधिवक्ता अपनी मान-प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए कानूनी कदम उठा रहे हैं, वहीं आयोग की सदस्याएँ इसे निराधार बता रही हैं। आने वाले दिनों में यह मामला न्यायालय में पहुंच सकता है, जिससे आयोग की कार्यप्रणाली और पारदर्शिता पर नए सवाल खड़े हो सकते हैं।