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छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र (14 से 18 जुलाई 2025) में विधायकों के सवालों का रुझान जनता की समस्याओं से हटकर निर्माण ठेकों और सरकारी खरीद पर केंद्रित रहा। इस सत्र में कुल 996 सवाल दाखिल किए गए, लेकिन प्रश्नकाल में केवल 28 सवालों पर ही चर्चा हो सकी।
इनमें से 32 विधायकों ने ठेके, खरीद, और अनियमितताओं से जुड़े 38 सवाल उठाए, जिनमें अधिकांश कांग्रेस विधायकों के थे। सड़क-भवन निर्माण में देरी, ठेकेदारों के लंबित भुगतान, अवैध रेत भंडारण, और डीएमएफ फंड से खरीद जैसे मुद्दों पर सवालों की भरमार रही।
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ठेके और खरीद पर विधायकों का फोकस
सत्र के दौरान विधायकों ने सड़क निर्माण में अनियमितताओं, भवन निर्माण में देरी, और ठेकेदारों के बकाया भुगतान जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाया। कई विधायकों ने अवैध रेत खनन, परिवहन, और डीएमएफ मद से की गई खरीद की प्रक्रिया पर भी सवाल दागे। कुल 38 सवालों में से कुछ विधायकों ने एक से अधिक बार इस तरह के मुद्दे उठाए, जिससे यह साफ हुआ कि उनका ध्यान जनता की मूलभूत समस्याओं से ज्यादा सरकारी ठेकों और खरीद प्रक्रियाओं पर रहा।
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नौ विधायकों ने पूछे एकसमान सवाल
सत्र में एक रोचक तथ्य यह सामने आया कि नौ विधायकों ने अपने-अपने क्षेत्रों के लिए एक जैसे सवाल दर्ज किए। इनमें यशोदा निलाम्बर वर्मा, विक्रम मंडावी, शेषराज हरबंस, कुंवर सिंह निषाद, राघवेंद्र कुमार सिंह, इंद्र साव, व्यास कश्यप, उत्तरी गनपत जांगड़े, और संगीता सिन्हा शामिल हैं। इन सभी ने खरीफ सत्र में धान उत्पादन और फसल कटाई प्रयोग के परिणामों पर सवाल पूछे, जो एकरूपता को दर्शाता है।
अधिकारियों की जवाबदेही पर सवाल
सत्र में अधिकारियों की जवाबदेही भी चर्चा का विषय बनी। उदाहरण के लिए, विधायक धर्मजीत सिंह ने 18 जुलाई को पूरे प्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्रों में बांटी गई सामग्री की गुणवत्ता और शिकायतों पर जांच के बारे में सवाल पूछा था। लेकिन अधिकारियों ने जवाब को केवल तखतपुर विधानसभा तक सीमित कर दिया। इस पर आपत्ति जताने के बाद कलेक्टर ने अगले सत्र में पूरी जानकारी देने का निर्देश दिया।
इसी तरह, विधायक आशाराम नेताम ने 2024-25 में महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यालयों के नवीनीकरण, सीसीटीवी कैमरे, और कर्मचारियों के लिए केबिन निर्माण के बजट प्रावधान पर सवाल पूछा। लेकिन अधिकारियों ने केवल कांकेर जिले की जानकारी दी, जिससे सवाल का दायरा सीमित हो गया।
सत्र की सीमित चर्चा, बढ़ी नाराजगी
पांच दिनों के मानसून सत्र में 996 सवाल दाखिल होने के बावजूद केवल 28 सवालों पर चर्चा हो सकी, जिससे कई विधायकों में असंतोष देखा गया। ठेके और खरीद जैसे मुद्दों पर ज्यादा ध्यान देने के कारण शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढांचे जैसे जन-केंद्रित मुद्दों पर चर्चा कम हुई। यह रुझान यह सवाल उठाता है कि क्या विधायकों का फोकस जनता की मूल समस्याओं के बजाय अन्य प्राथमिकताओं पर अधिक रहा।
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