छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने आवारा पशुओं और सड़क जाम को लेकर सरकार को लिया आड़े हाथ, शपथ पत्र में मांगा स्पष्ट जवाब

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने राज्य की सड़कों पर आवारा पशुओं और बाइपास पर वाहनों की अव्यवस्थित भीड़ को लेकर गंभीर चिंता जताई है। मुख्य न्यायाधीश ने इस मुद्दे पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के मुख्य सचिव को एक हलफनामा (शपथ पत्र) दाखिल करने का निर्देश दिया है।

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Krishna Kumar Sikander
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Chhattisgarh High Court took the government to task over stray animals the sootr
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छत्तीसगढ़ की सड़कों पर आवारा पशुओं और बाइपास पर वाहनों की अव्यवस्थित भीड़ के मुद्दे पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वे शपथ पत्र के माध्यम से बताएं कि इस समस्या से निपटने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर अब तक क्या कार्रवाई की गई है। कोर्ट ने इस मामले में नगर पंचायत रतनपुर को भी पक्षकार बनाने का आदेश दिया है।

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सड़कों पर खतरा बन रहे आवारा पशु

यह मामला पेंडीडीह बाइपास पर होटलों और दुकानों के बाहर वाहनों की अराजक पार्किंग और नेशनल हाइवे पर आवारा मवेशियों के बैठने से होने वाली दुर्घटनाओं से जुड़ा है। याचिकाकर्ता संजय रजक ने अपनी जनहित याचिका में बताया कि सड़कों पर बेसहारा मवेशियों और अव्यवस्थित वाहनों की वजह से आए दिन हादसे हो रहे हैं, जिससे कई लोगों की जान जा रही है। उन्होंने स्थानीय प्रशासन और नगर निगम की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की थी।

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कोर्ट की पहले की कार्रवाई और नई सुनवाई

पिछली सुनवाइयों में हाईकोर्ट ने नगर निगम के अधिकारियों को तलब कर सड़कों पर आवारा मवेशियों की संख्या, उनके मालिकों पर लगाई गई पेनाल्टी और चरवाहों की व्यवस्था जैसे मुद्दों पर विस्तृत जानकारी मांगी थी। हालांकि, कोर्ट को अब तक संतोषजनक जवाब नहीं मिला है।

ताजा सुनवाई में डिवीजन बेंच ने इस मामले में और सख्ती दिखाते हुए सरकार से पूछा है कि जिम्मेदार अधिकारियों पर क्या कार्रवाई हुई और इस समस्या के समाधान के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि नगर पंचायत रतनपुर को इस मामले में पक्षकार बनाया जाए ताकि स्थानीय स्तर पर भी जवाबदेही तय की जा सके।

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सड़कों पर आवारा मवेशी गंभीर और अनसुलझा मुद्दा

सड़कों पर बेसहारा मवेशियों की मौजूदगी और इसके चलते होने वाली दुर्घटनाएं लंबे समय से छत्तीसगढ़ में एक गंभीर समस्या बनी हुई हैं। समाचार पत्रों में पहले भी इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया गया था, जिसमें बताया गया था कि नगर निगम और स्थानीय निकाय इस दिशा में गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं। मवेशी मालिकों की लापरवाही भी इस समस्या को और गंभीर बना रही है।

हाईकोर्ट की सख्ती के बाद कुछ मवेशी मालिकों के खिलाफ प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज की गई, लेकिन यह कदम नाकाफी साबित हुआ है। सड़कों पर आवारा मवेशी अब भी बेरोकटोक घूमते देखे जा सकते हैं, जिससे वाहन चालकों और राहगीरों के लिए खतरा बना हुआ है।

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कोर्ट की सख्ती से उम्मीद की किरण

हाईकोर्ट की इस सख्ती से आम जनता में उम्मीद जगी है कि शायद अब इस समस्या का स्थायी समाधान निकलेगा। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि वह इस मामले में किसी भी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं करेगा। शपथ पत्र के जरिए सरकार को न केवल अपनी अब तक की कार्रवाइयों का ब्यौरा देना होगा, बल्कि भविष्य में इस समस्या से निपटने के लिए ठोस योजना भी पेश करनी होगी।

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