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Photograph: (the sootr)
शासन की लापरवाही के कारण छत्तीसगढ़ में 300 प्राचार्य हैं जो बिना कार्यभार मिले रिटायर हो गए। जबकि उनका महीने पहले ही पदोन्नति मिल गई थी। लेकिन पदोन्नति के बाद कोर्ट में दो मामले चले गए। जिसमें डबल बेंच की याचिका तत्काल खारिज हो गई लेकिन सिंगल बेंच में चल रहा मामला अभी भी लंबित है।
हद तो यह है कि इसपर कार्रवाई पूरी हो चुकी है लेकिन उस पर फैसला कोर्ट में लंबे समय से सुरक्षित है। आरोप लग रहा है कि सरकार मामले पर ज्यादा ध्यान नहीं दे रही है। जिसका खामियाजा पदोन्नति पाए प्राचार्यों को हो रहा है।
उच्च न्यायालय में लंबित मामला
ई-संवर्ग के 1478 पदोन्नत प्राचार्यों के विरुद्ध सेवानिवृत्त व्याख्याताओं द्वारा उच्च न्यायालय, बिलासपुर की सिंगल बेंच में याचिका दायर की गई थी। इस याचिका की अंतिम सुनवाई 5 अगस्त को पूरी हो चुकी है और अदालत ने निर्णय सुरक्षित रख लिया है।
जबकि इसी विषय पर बिलासपुर उच्च न्यायालय की डबल बेंच में दायर याचिका को पहले ही निराकृत कर खारिज कर दिया गया था। ऐसे में यह उम्मीद की जा रही थी कि सिंगल बेंच का फैसला भी जल्दी आ जाएगा। लेकिन फैसले में देरी होने से पदोन्नत प्राचार्यों में गहरी निराशा है।
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सेवानिवृत्त हो रहे पदोन्नत प्राचार्य
छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग ने 1478 प्राचार्यों की पदोन्नति हुई थी लेकिन देरी की वजह से अब तक लगभग 300 पदोन्नत प्राचार्य कार्यभार ग्रहण किए बिना ही रिटायर हो चुके हैं। यह स्थिति शिक्षा व्यवस्था के लिए भी हानिकारक है, क्योंकि प्राचार्य स्तर पर खाली पदों से शैक्षणिक और प्रशासनिक कार्य प्रभावित हो रहे हैं। लेकिन शासन को न तो स्कूल में छात्रों की चिंता है और न ही इन रिटायर हो रहे प्राचार्याे की चिंता है।
तीन सौ प्राचार्यों से जुडे़ इस मामले को ऐसे समझें
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शिक्षकों में बढ़ती बेचौनी
फैसले में लगातार हो रही देरी से पदोन्नति की प्रतीक्षा कर रहे प्राचार्यों और शिक्षकों में नाराजगी है। उनका कहना है कि वर्षों की सेवा के बाद जब पदोन्नति का अवसर आया तो कानूनी पेचीदगियों के कारण वे इसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं।
इससे न केवल उनका मनोबल टूट रहा है बल्कि शिक्षा व्यवस्था पर भी इसका सीधा असर पड़ रहा है। छत्तीसगढ़ प्राचार्य पदोन्नति फोरम के प्रांतीय संयोजक अनिल शुक्ला का कहना है अगर सरकार के इस लापरवाही के कारण वेतन, पेंशन और ग्रेजुअटी का नुकसान हो रहा है।
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शिक्षा मंत्री का आश्वासन
स्कूल शिक्षा मंत्री गजेंद्र यादव का कहना है कि वे जल्द ही महाधिवक्ता से चर्चा करेंगे ताकि उच्च न्यायालय में लंबित फैसले पर शीघ्र कार्रवाई हो सके। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा शिक्षकों और प्राचार्यों को उनके अधिकार समय पर दिलाने की है और इस दिशा में हर संभव प्रयास किया जाएगा।