अपनी मोटल चलाने की हालत में नहीं छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड, प्राइवेट हाथों में गईं 21 में 19 मोटल

छत्तीसगढ़ को पर्यटन के पंख लगाने के लिए बनाया गया टूरिज्म बोर्ड की ही हालत पतली हो गई है। पर्यटन विभाग ने पर्यटकों को लुभाने के लिए 21 मोटल बनाई थीं। टूरिज्म के हाथों में सिर्फ 2 मोटल ही रह गई हैं। 15 मोटल को निजी हाथों में लीज पर दे दिया गया है।

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Arun Tiwari
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Chhattisgarh Tourism Board is not in a position to run its own motels the sootr
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रायपुर : सरकार अपनी माली हालत सुधारने के लिए पर्यटन का सहारा ले रही है। इस बार के बजट भाषण में वित्त मंत्री ने साफ कहा था कि छत्तीसगढ़ को पर्यटन का हब बनाया जाएगा। लेकिन छत्तीसगढ़ को पर्यटन के पंख लगाने के लिए बनाया गया टूरिज्म बोर्ड की ही हालत पतली हो गई है। द सूत्र की पड़ताल में सामने आया कि पर्यटन विभाग ने पर्यटकों को लुभाने के लिए आलीशान 21 मोटल का निर्माण किया था। लेकिन हालत ये है कि इनमें से टूरिज्म के हाथों में सिर्फ 2 मोटल ही रह गई हैं। 15 मोटल को निजी हाथों में लीज पर दे दिया गया है। वहीं 4 मोटल ऐसी हैं जिनका उपयोग सरकारी विभाग कर रहे हैं। अब ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर छत्तीसगढ़ पर्यटन का हब कैसे बन पायगा। 

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छत्तीसगढ़ में पर्यटन की बहुत संभावनाएं 

छत्तीसगढ़ में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। यहां पर 44 फीसदी क्षेत्र में जंगल है जो लोगों को शांति का अहसास कराता है। यहां तक कि छत्तीसगढ़ के एक गांव को यूनेस्को ने अपनी सूची में स्थान दिया है। यहां पर प्राकृतिक सौंदर्य के साथ साथ पौराणिक इतिहास भी है। यहां पर भगवान राम ने अपने वन गमन के दौरान सबसे ज्यादा समय गुजारा था। यहां की संस्कृति हमेशा लोगों को आकर्षित करती रही है। यहां पर भगवान राम का ननिहाल भी है। इन सबसे विशेषताओं के बाद भी पर्यटन की दृष्टि से छत्तीसगढ़ को वो दर्जा नहीं मिल पाया है जिसका वो हकदार है।

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सरकार ने आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए पर्यटन का सहारा लिया है। छत्तीसगढ़ के पर्यटन को दुनिया के नक्शे पर लाने के लिए सरकार बहुत कोशिश कर रही है। सरकार को लगता है कि पर्यटन ही है जो उसकी आर्थिक स्थिति सुधार सकता है। द सूत्र ने इसकी पड़ताल की कि आखिर छत्तीसगढ़ में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया टूरिज्म बोर्ड इसके लिए तैयार है और उसकी माली हालत कैसी है।

राज्य में टूरिज्म को बढ़ाने के लिए सरकार ने करोड़ों की लागत से 21 मोटल का निर्माण किया था। इस पड़ताल में सामने आया है कि इन मोटल को टूरिज्म बोर्ड चला ही नहीं पाया। टूरिज्म बोर्ड हालत इतनी दयनीय है कि उसके पास सिर्फ 2 मोटल ही हैं। बाकी 15 मोटल प्रायवेट सेक्टर को लीज पर दे दी गई हैं। वहीं 4 मोटल का उपयोग सरकारी विभाग कर रहे हैं।    

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ये है मोटल की स्थिति 

मितान मोटल,कोड़ातराई रायगढ़ - साल 2023 से लीज पर
मितान मोटल,चढ़िरमा सरगुजा  -  साल 2024 से लीज पर
मितान मोटल, सरगांव मुंगेली  -  साल 2024 से लीज पर
मितान मोटल कुड़ीपोटा,जांजगीर चांपा -  साल 2023 से लीज पर
मितान मोटल,खपरी दुर्ग      -   साल 2023 से लीज पर
मितान मोटल,भाटागांव,धमतरी   -      साल 2023 से लीज पर
मितान मोटल, केंद्री, रायपुर      -    साल 2023 से लीज पर
मितान मोटल,तूमड़ीबोढ़ राजनांदगांव  -  साल 2023 से लीज पर
मितान मोटल,मानातूता रायपुर     -    साल 2023 से लीज पर
मितान मोटल,तीरथगढ़ बस्तर      -   साल 2023 से लीज पर
मितान मोटल,कोनकोना,कोरबा    -    साल 2023 से लीज पर
मितान मोटल,चिरगुढ़ा कोरिया     -   साल 2023 से लीज पर
मितान मोटल,कोंडागांव          -   साल 2024 से लीज पर
मितान मोटल,हारम,दंतेवाड़ा      -   साल 2023 से लीज पर 
मितान मोटल,कवर्धा            -   लीज की प्रक्रियाधीन

ये मोटल सरकारी विभागों के पास  

मितान मोटल,सिंगारभाठ,कांकेर -  यह बीएसएफ को किराए पर दी गई। 
मितान मोटल, आसना, बस्तर -  यह जिला प्रशासन बस्तर के पास
मितान मोटल,नगरनार  -   यह एनएमडीसी स्टील प्लांट को लीज पर 
मितान मोटल,कांपा महासमुंद -  यह कृषि महाविद्याल को किराए पर दी गई। 

 

टूरिज्म बोर्ड के पास सिर्फ 2 मोटल 

मितान मोटल,राजिम गरियाबंद
मिताल मोटल,नथियानवागांव,कांकेर

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कुल मिलाकर हालत ये है कि टूरिज्म बोर्ड खुद अपनी मोटल का संचालन नहीं कर पा रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण उसके घाटे में होना है। छत्तीसगढ़ के पर्यटन को पंख देने के लिए सबसे पहले टूरिज्म बोर्ड को घाटे से उबारना होगा। निजी क्षेत्र की भागीदारी की बजाय यदि सरकार इन मोटल का संचालन करेगी तो उसे ज्यादा फायदा होगा।

 

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