सरकारी योजनाओं का झांसा, साइबर ठगों के जाल में छत्तीसगढ़ की महिलाएं

छत्तीसगढ़ साइबर ठगों का नया हब बनता जा रहा है। यह हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इसके आंकड़े चौंकाने वाले हैं। प्रदेश में रोजाना 45 से ज्यादा लोग साइबर ठगी के शिकार हो रहे हैं।

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Arun tiwari
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Chhattisgarh Women trap cyber thugs name of government schemes
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सावधान रहिए,क्योंकि आप साइबर ठगों के निशाने पर हो सकते हैं। छत्तीसगढ़ साइबर ठगों का नया हब बनता जा रहा है। यह हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इसके आंकड़े चौंकाने वाले हैं। प्रदेश में रोजाना 45 से ज्यादा लोग साइबर ठगी के शिकार हो रहे हैं। इसमें महिलाएं सबसे ज्यादा हैं। यानी ठगों के लिए महिलाएं साफ्ट टारगेट बन गई हैं। 

महिलाओं को सरकारी योजनाओं में पैसा दिलाने के नाम पर झांसा दिया जा रहा है। वहीं ऑनलाइन लिंक पर लोन और शेयर मार्केट में पैसे डबल करने के लालच में आकर भी लोग अपना पैसा गंवा रहे हैं। हाल ही में पीएम मोदी लोगों से डिजिटल अरेस्ट से बचने की अपील की है। द सूत्र ने पड़ताल की है कि आखिर किस तरह छत्तीसगढ़ में डिजिटल अरेस्ट के शिकार हो रहे हैं।

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सरकारी योजनाओं के नाम पर ठगी

प्रदेश में सरकारी योजनाओं का लाभ लेने की होड़ में महिलाओं ने बैंक में अपना खाता खुलवा लिया है। इसका एक कारण यह है कि सारी योजनाओं का भुगतान अब डीबीटी के माध्यम से सीधे हितग्राहियों के बैंक खातों में किया जाता है। बढ़ती टेक्नोलॉजी के बीच आज भी कई महिलाएं इनसे परिचित नहीं होती और ऐसे में ठगों को उन्हें अपना निशाना बनाने का रास्ता आसान हो जाता है। ठग अलग-अलग फिल्टर का उपयोग कर घरेलू महिलाओं को अपने चंगुल में फंसाने की कोशिश करते है और कामयाब भी होते है। 

हाल ही में रायपुर में ठगी का एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसमें महिलाओं के नाम खाता खुलवाया गया और उसे फंडिंग के लिए उपयोग किया गया। महिलाओं को काम दिलाने के नाम पर उनके नाम से खाता खुलवाया गया और संगठन की प्रमुख महिला ने उनका नया पासबुक, एटीएम और सिम कार्ड खुद रख लिया। इन खातों में लाखों रूपयों की फंडिंग हुई और साथ ही पंजीयन के नाम पर सभी महिलाओं से 100-100 रूपए की राशि ली गई। बैंक के अधिकारियों से पूछने पर पता चला कि उनके खातों से लाखों रूपयों का ट्रांजेक्शन किया गया है।

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48 महिलाओं के नाम से 60 लाख का लिया लोन

गरियाबंद के उरमाल गांव में ठगी का एक ऐसा ही मामला देखने को मिला, जिसमें 48 महिलाओं के नाम से करीब 60 लाख का लोन लिया गया और आधार कार्ड के माध्यम से उनकी राशि भी निकाल ली। यह लोन समूह के नाम पर निकाला गया लेकिन जिनके नाम पर लोन लिया गया उनमें से कोई महिला किसी स्वसहायता समूह से नहीं जुड़ी हुई थी। बैंक ने समूह के नाम का देखकर लोन पास कर दिया क्योंकि माइक्रो फाइनेंस बैंकों को महिला समूह को लोन पास करने का अधिकार होता है। 


महतारी वंदन योजना के नाम पर वसूले पैसे 

महतारी वंदन योजना शुरू होने के पूर्व प्रदेशभर में ठग सक्रिय हो गए और योजना के माध्यम से पैसे दिलाने का लालच देकर महिलाओं से फॉर्म भराया गया। रायगढ़ जिले में महतारी वंदन योजना का लाभ दिलाने के नाम पर महिलाओं से फॉर्म भरने के एवज में पैसे लिए गए। वहीं, कोरबा जिले में महतारी वंदन योजना में रजिस्ट्रेशन के लिए एक फर्जी वेबसाइट बना दी गई। 

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सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने महिलाओं से ठगे 10 लाख 

पेंड्रा में सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के नाम पर महिलाओं से 10 लाख की ठगी की गई। पहले तो ठग ने समूह बनाकर गांव की महिलाओं को जोड़ा और कुछ दिनों बाद समूह के नाम पर लोन निकाला गया। कुछ महीने लोन का पैसा चुकाया गया और इसके बाद आवास और शौचालय दिलाने के नाम पर बचे पैसों को लेकर ठग फरार हो गए। महिलाओं ने बताया कि सरकारी लाभ के अलावा बच्चों की शादी के लिए पैसे दिलाने का प्रलोभन भी दिया गया, जिससे बहुत लोग ठग के चंगुल में फंस गए।


ये हैं ठगी के आंकड़े

छत्तीसगढ़ में जुलाई 2024 तक के आंकड़ों के अनुसार 16 हजार 800 से ज्यादा ठगी के मामले दर्ज किए गए हैं। साथ ही आईटी एक्ट के अंतर्गत छह सौ से ज्यादा मामले दर्ज हुए। पुलिस के मुताबिक ठगी के नए-नए तरीके निकाले जा रहे हैं। नया तरीके में कॉल करने वाला व्यक्ति आपके परिवार के किसी सदस्य को किसी केस में फंसने की बात या हिरासत में होने की बात करता है। 

साथ ही कहता है कि अगर केस से बचाना है तो रुपए अकाउंट में डाल दो। कुछ लोग पैनिक होकर पैसे ट्रांसफर भी कर देते हैं, बाद में पता चलता है कि ये स्कैम था। यही है डिजिटल अरेस्ट। किसी भी शख्स को किसी भी गलतफहमी का शिकार बनाकर डर और दहशत में डाल देने और उस डर की मदद से रकम वसूलने, यानी साइबर क्राइम का शिकार बनाने को डिजिटल अरेस्ट कहते हैं। इसके अलावा फर्जी लिंक भेजकर लोन लेने और शेयर मार्केट में पैसा डबल होने का झांसा भी दिया जा रहा है।

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ठगों ने बनाया आसान रास्ता

प्रदेश में सरकारी योजनाओं का लाभ लेने की होड़ में आज लगभग लोगों ने बैंक में अपना खाता खुलवा लिया है। एक कारण इसका यह भी है कि अब शासकीय योजनाओं के लाभ की राशि का डीबीटी के माध्यम से सीधे हितग्राहियों के बैंक एकाउंट में भुगतान किया जाता है। डिजिटल इंडिया अभियान और कैशलेस ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने आज सभी यूपीआई का इस्तेमाल करते है और यही से आसान हो जाता है ठगों का रास्ता। 

अपनी बातों में उलझा कर ठग लोगों को लिंक और मैसेज भेजते है। खासकर महिलाओं और बुजुर्गों को बैंक खाता सीज होने, सस्ते लोन देने, किसी दोस्त का परिचित बताकर या परिजनों को दुर्घटनाग्रस्त बताकर उन्हें अपने झांसे में ले लेते हैं, जो डिजिटल अरेस्ट के अंतर्गत आता हैं। 

 

सोशल मीडिया में ऐसे फंसते हैं लोग

ठगी करने के लिए सबसे पहले ठग आपको एक ग्रुप में जोड़ता हैं, जिसमें मुख्य रूप से ऑनलाइन जॉब या पार्ट टाइम जॉब का ऑफर होता है। इसमें अच्छी सैलरी और पद देने की बात लिखी होती है। इसके अलावा आपको मोटी कमीशन का लालच देकर रुपए ट्रांसफर करवाने और क्रिप्टोकरंसी में निवेश की बात की जाती है।

साइबर ठग ने स्वयं बनाए गए वेबसाइट या एप्लीकेशन पर लॉगिन पासवर्ड देकर हाई परसेंटेज का लाभ दिखाकर मोटी रकम का इन्वेस्टमेंट कराया जाता है। जिसमें आपको उनके एक फर्जी एप्लीकेशन पर भारी लाभ दिखाया जाता है। इसी प्रकार टेलीग्राम में आपके प्रोडक्ट की रेटिंग बढ़ाने के नाम पर भी मैसेज किए जाते हैं।

बिजनेस या अन्य काम शुरू करने के लिए पैसों की कमी से जूझ रहे लोगों को सस्ते दर पर लोन मुहैया कराने का झांसा देकर ठग अपने जाल में फंसा रहे हैं। इसके लिए कस्टमर से तीन महीने का बैंक स्टेटमेंट, आधार कार्ड या पैन कार्ड की कॉपी लेकर मिनटों में ही लोन दे दिया जाता है। जिसे चुकाने के लिए निश्चित टाइम लिमिट दी जाती है। अगर एक एप्लीकेशन से ली गई लोन आप चुका नहीं पाते तो दूसरी एप्लीकेशन का नाम बता कर उसे इंस्टॉल करा कर उससे लोन लेकर पिछले लोन की भरपाई करने को कहा जाता है।

ग्राहक को गूगल प्ले स्टोर से एप्लीकेशन को डाउनलोड करने को कहा जाता है। इस ऐप को इंस्टाल करते समय ग्राहक, पर्सनल डिटेल (जैसे फोटो गैलरी) और कॉन्टैक्ट लिस्ट साझा करने की परमिशन एप्लीकेशन को दे देते हैं। जिससे ग्राहक के मोबाइल का पूरा डाटा, कॉन्टैक्ट चुरा लिया जाता है और ग्राहक को लोन दे दिया जाता है। इसके बाद वह 30 से 35 प्रतिशत ब्याज वसूलते हैं और पैसे नहीं देने पर पर्सनल डाटा आपके परिचितों को भेज कर धमकी देते हैं। इन सबसे बचने के लिए ग्राहकों को लोन लेने के लिए सुरक्षित, अधिकृत फाइनेंशियल बॉडीज का चुनाव करना चाहिए। जो आरबीआई से पंजीकृत हो।

 

कौन बनेगा करोड़पति के माध्यम से होने वाले फ्रॉड

केबीसी (कौन बनेगा करोड़पति) के माध्यम से होने वाले फ्रॉड में अपराधी आम लोगों को वाट्सएप पर ऑडियो, फोटो या मैसेज भेजते है। जो ज्यादातर वॉट्सएप नंबर $92 या पाकिस्तान के एसटीडी कोड से शुरू होते हैं। अपराधी ऑडियो, फोटो, मैसेज में लोगों को यह झांसा देते हैं कि आपके मोबाइल ने कौन बनेगा करोड़पति, रिलायंस जियो, एयरटेल या वोडाफोन से 20 लाख की लॉटरी जीती है। 

लॉटरी से जीती रकम लेने के लिए उन्हें किसी से संपर्क करना होगा जिसका मोबाइल नंबर उसी वॉट्सएप ऑडियो, फोटो या मैसेज में दिया होता है। जब लोग उस मैसेज के झांसे में आकर रकम पाने के लालच में उस मोबाइल नंबर पर संपर्क करते हैं, तो अपराधी बताता है कि रकम प्राप्त करने के लिए उन्हें पहले रजिस्ट्रेशन, प्रोसेसिंग फीस, टैक्स आदि के लिए रकम (जो बाद में वापस हो जायेगा) जमा करने की आवश्यकता है। कोई भी एक बार जब रकम जमा कर देता है, तो वे किसी न किसी बहाने से ज्यादा रकम की मांग करते रहते हैं।


देशभर में ठगी को अंजाम देते इन राज्यों के ठग

झारखंड- जामताड़ा और देवघर से ऑनलाइन ठगी की शुरूआत हुई। 
राजस्थान- भरतपुर में सेक्टॉर्शन और आर्मी के नाम पर ठगी की घटनाएं हुई। 
हरियाणा- मेवात में इंटरनेट मीडिया के जरिए ठगी के केस। 
उत्तर प्रदेश- मथुरा में सेक्स्टॉर्शन और इंटरनेट मीडिया से जुड़े गिरोह सक्रिय हैं। 
दिल्ली- इंश्योरेंस, ऑनलाइन जॉब, कॉल सेंटर, नाइजीरियन, फ्रॉड गिरोह सक्रिय हैं। 
बिहार- बांका, बेगूसराय, जमुई, नवादा, नालंदा, गया में कौन बनेगा करोड़पति के नाम पर ठग एक्टिव हैं। 
पश्चिम बंगाल- आसनसोल-दुर्गापुर में सिम क्लोनिंग, जामताड़ा गिरोह की गतिविधियां होती हैं। 


इनसे ऐसे बच सकते हैं

पुलिस के मुताबिक ऐसे मामलों में अगर आपके पास किसी पुलिस वाले के नाम से कॉल आए तो आप टू कॉलर ऐप यूज कर सकते हैं। इसके अलावा गूगल-पे, फोन पे और पेटीएम जैसे पेमेंट ऐप पर जाकर नंबर को चेक कर सकते हैं। इसके बाद उस कॉलर का असली नाम आपके सामने आ जाएगा। ध्यान रहे कि नाम का पता तभी चलेगा जब वो नंबर इन यूपीआई ऐप पर रजिस्टर्ड होगा। अगर वॉट्सऐप पर नंबर नहीं दिख रहा तो साइबर क्राइम पोर्टल पर शिकायत करनी चाहिए।

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