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महिला एवं बाल विकास विभाग, रायपुर में जिला कार्यक्रम अधिकारी निशा मिश्रा ने संविदाकर्मियों को सेवा समाप्ति के बाद लाखों रुपये का अवैध वेतन भुगतान कर दिया गया। वर्ष 2022-23 में गोपनीय प्रतिवेदन के आधार पर 9 संविदा कर्मियों की सेवाएं समाप्त की गई थीं। इसके बावजूद, इन कर्मियों को वेतन भुगतान किया गया। यह छत्तीसगढ़ संविदा नियुक्ति नियम-2012 का उल्लंघन है।
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यह है मामला
वर्ष 2022 में जिला बाल संरक्षण इकाई, रायपुर और अन्य संस्थाओं के 8 संविदाकर्मियों और 1 सेवा प्रदाता की सेवाएं गोपनीय प्रतिवेदन में निम्न मतांकन (ख, ग, घ) के आधार पर 19 अक्टूबर 2022 को समाप्त कर दी गई थीं। नियमों के अनुसार, केवल 'क+' और 'क' मतांकन वाले कर्मियों को ही सेवा विस्तार का लाभ मिल सकता है। सेवा समाप्त कर्मियों ने इस आदेश के विरुद्ध छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने 14 फरवरी 2024 को सेवा समाप्ति आदेश को रद्द कर सक्षम प्राधिकारी को इसकी समीक्षा करने का निर्देश दिया।
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निशा मिश्रा पर भ्रष्टाचार का आरोप
न्यायालय के आदेश के बाद जिलास्तरीय समिति ने फिर इन कर्मियों की सेवा समाप्त करने का निर्णय लिया। इसके बावजूद, जिला कार्यक्रम अधिकारी निशा मिश्रा ने सक्षम प्राधिकारी को बिना सूचित किए ही सेवा समाप्त कर्मियों को वेतन भुगतान कर दिया। आरटीआई कार्यकर्ता आशीष देव सोनी को मिली जानकारी के अनुसार, यह भुगतान न केवल नियम-विरुद्ध था, बल्कि मिश्रा ने अपने अधीनस्थों पर दबाव डालकर यह भुगतान करवाया।
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सेवा समाप्त कर्मियों का विवरण
अल्केश्वरी सोनी (संरक्षण अधिकारी): 'क' मतांकन के कारण सेवा विस्तार के लिए उपयुक्त, लेकिन 2023-24 और 2024-25 के गोपनीय प्रतिवेदन के आधार पर निर्णय लंबित।
नवनीत कुमार स्वर्णकार (जिला बाल संरक्षण अधिकारी): 'ख' मतांकन, सेवा विस्तार के लिए अनुपयुक्त (अब निधन हो चुका है)।
अश्विन जायसवाल (विधिक सह परीविक्षा अधिकारी): 'ग' मतांकन, अनुपयुक्त।
हेमलाल नायक (बाल कल्याण अधिकारी): 'घ' मतांकन, अनुपयुक्त।
ज्योति शर्मा (बाल कल्याण अधिकारी): 'घ' मतांकन, अनुपयुक्त।
रजनीश गेंदले (परामर्शदाता): 'घ' मतांकन, अनुपयुक्त।
दुष्यंत कुमार निर्मलकर (स्टोरकीपर सह लेखापाल): 'ख' मतांकन, अनुपयुक्त। 7 लाख रुपये के गबन का भी आरोप।
अखिलेश कुमार डहरे (हाउस फादर): 'घ' मतांकन, अनुपयुक्त।
महेश्वरी दुबे (बहुउद्देशीय सहायक): 'ख' मतांकन, अनुपयुक्त।
जिला समिति की भूमिका
जिला स्तरीय समिति ने 27 अगस्त, 11 szeptember, और 23 सितंबर 2024 को बैठकों के बाद 18 नवंबर 2024 को अंतिम निर्णय लिया कि इन कर्मियों की सेवाएं समाप्त रहेंगी। हालांकि, निशा मिश्रा ने इस निर्णय को सक्षम प्राधिकारी (कलेक्टर) के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया, जिससे भ्रष्टाचार के आरोप और गंभीर हो गए।
दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग
यह सरकारी धन के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार का स्पष्ट मामला है। आरटीआई कार्यकर्ता आशीष देव सोनी ने उच्च अधिकारियों से इसकी जांच और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है। यह मामला न केवल प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है, बल्कि सरकारी तंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को भी उजागर करता है।्र
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