छत्तीसगढ़ में दिव्यांगों को शिक्षा के नाम पर धोखा दे रही सरकार, संगीत पाठ्यक्रम में एडमिशन दिला पर्यावरण सीखा रहे

छत्तीसगढ़ के शासकीय दिव्यांग कॉलेज में शिक्षा के नाम पर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। दिव्यांग छात्रों को संगीत के पाठ्यक्रम में एडमिशन दिया गया। लेकिन, उन्हें संगीत के बजाय पर्यावरण जैसे पाठ्यक्रम पढ़ाए जा रहे हैं।

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VINAY VERMA
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Photograph: (the sootr)

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RAIPUR. छत्तीसगढ़ में दिव्यांगों को शिक्षा देने के नाम पर घोटाला उजागर हुआ है। मामला शासकीय दिव्यांग कॉलेज रायपुर का है। सरकार ने दिव्यांगजनों को संगीत विषय में एडमिशन दिया। लेकिन संगीत की जगह उन्हें पर्यावरण जैसे विषय पढ़ाए जा रहे हैं। द सूत्र ने जब इसकी पड़ताल की तो पाया कि संगीत के लिए शिक्षकों की नियुक्ति ही नहीं की गई है। जबकि सालाना इस कॉलेज को लगभग 1 करोड़ रुपए का बजट जाता है। अब महिला एवं बाल विकास विभाग मंत्री इसकी जांच करवाने की बात कह रही हैं।

साल 2017 में शुरू हुआ था महाविद्यालय

दिव्यांग महाविद्यालय में 2017 में बीपीए और बीएफए (बैचलर ऑफ फाइन आर्ट) कोर्स शुरू किए गए थे। संगीत और चित्रकला सिखाने के लिए 31 टीचिंग स्टाफ के पद स्वीकृत किए गए थे। 130 छात्रों ने अलग-अलग वर्षों में एडमिशन लिया, लेकिन शिक्षक नियुक्त नहीं हुए। प्राचार्य छोड़ अन्य पदों पर नियुक्ति नहीं हुई, बाद में प्रक्रिया की गई। संगीत की जगह कुछ लोगों को हिंदी और पर्यावरण पढ़ाने के लिए नियुक्त किया गया।

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शासकीय दिव्यांग काॅलेज में शिक्षकों की नियुक्ति को ऐसे समझें 

घोटाला सामने आया: शासकीय दिव्यांग महाविद्यालय में संगीत की जगह पर्यावरण पढ़ाया जा रहा है, शिक्षक नियुक्त नहीं किए गए।

महाविद्यालय की शुरुआत: 2017 में बीपीए और बीएफए कोर्स शुरू किए गए थे, लेकिन शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई।

बजट में कमी: महाविद्यालय का सालाना बजट पहले 1 करोड़ था, जो अब घटकर 57 लाख हो गया है।

पिछली सरकार पर आरोप: समाज कल्याण मंत्री ने दोष सत्ता परिवर्तन को दिया, लेकिन पिछले दो वर्षों में कोई कदम नहीं उठाया।

एनजीओ से शिक्षा संचालित करने की योजना: विभाग ने एनजीओ से महाविद्यालय चलाने का विचार किया, लेकिन कोई उपयुक्त एनजीओ नहीं मिला।

सालाना करीब 1 करोड़ का बजट

द सूत्र ने पड़ताल में पाया कि 2017 में महाविद्यालय की स्थापना के समय सालाना खर्च 1 करोड़ था। बाद में सरकार ने दिव्यांगजनों के पढ़ाई के बजट में कटौती की। अब सालाना बजट घटकर 57 लाख रुपए रह गया है। 30 प्रतिशत राशि पेट्रोल-डीजल पर खर्च होती है। शेष बजट भोजन और अन्य व्यवस्था में खर्च होता है। समाज कल्याण विभाग छत्तीसगढ़ के मुताबिक, शिक्षकों की कमी से बजट में कमी आई है। भर्ती प्रक्रिया पूरी होते ही, बजट में कमी नहीं होने दी जाएगी।

पिछली सरकार में दोष देने का खेल

दरअसल साल 2017 में इस महाविद्यालय की नींव रखी गई। लेकिन 2018 में राज्य में सरकार बदल गई। लेकिन 2023 में छग में भाजपा की वापसी हुई। समाज कल्याण मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े सारी कमियों का दोष सत्ता परिवर्तन को दे रहीं हैं। लेकिन वह यह नहीं बता पाईं कि करीब 2 साल होने को है और उन्होंने इस विषय पर क्या किया है। हालांकि वे जल्द मामले की जानकारी लेकर कार्रवाई करने का आश्वासन दे रही हैं।

एनजीओ को देने पर विचार

शासकीय दिव्यांग महाविद्यालय में शिक्षक नहीं होने की जानकारी विभाग में सभी को है। लेकिन सफाई यह है कि शिक्षक हीं नहीं मिल रहे तो भरे कहां से...? ऐसे में विभागीय अधिकारियों का मानना है कि इसे किसी एनजीओ को देकर भी संचालित किया जा सकता है। लेकिन विभाग को अभी ऐसा कोई एनजीओ ही नहीं मिल है जो संगीत की शिक्षा पर काम कर रहा हो। 

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दिव्यांगों को लेकर संवेदहीनता नहीं होगी

समाज कल्याण विभाग कैबिनेट मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने कहा कि पिछली सरकार की लापरवाही से गड़बड़ी हुई है। लेकिन, दिव्यांगों को लेकर हम गंभीर हैं। संवेदनहीनता बर्दाश्त नहीं होगी। बजट की कमी नहीं है, जल्द पद भरे जाएंगे।

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