उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में पहली बार ‘जलीय बाग’ कहे जाने वाले यूरेशियन ओटर की मौजूदगी कैमरे में कैद हुई है। यह रिकार्डिंग जंगल की जैव विविधता के लिए किसी बड़ी जीत से कम नहीं है। जिस जीव को वर्षों तक सिर्फ किस्सों और संदिग्ध निशानों के सहारे खोजा जा रहा था, वो अब कैमरा ट्रैप में साफ-साफ नजर आ गया है। इस दुर्लभ क्षण को संभव बनाया है छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा की टीम ने, जो बीते तीन वर्षों से इस रहस्यमयी जीव की तलाश में जंगल-जंगल खाक छान रही थी।
ये खबर भी पढ़िए...राजधानी में अवैध प्लाटिंग पर बड़ी कार्रवाई... 26 एकड़ जमीन पर चला बुलडोजर
डीएफओ वरुण जैन के अनुसार, यूरेशियन ओटर की मौजूदगी जंगल की सेहत और फूड चेन की मजबूती का प्रमाण है। जहां यह जीव रहता है, वहां पानी और पर्यावरण का संतुलन बेहतर होता है। यह रिकार्डिंग न केवल छत्तीसगढ़ के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए जैव विविधता के लिहाज से ऐतिहासिक है।
ये खबर भी पढ़िए...शराब घोटाला मामले में बड़ी कार्रवाई...ACB-EOW की टीम ने 20 से ज्यादा जगहों पर मारा छापा
कैसे हुआ यह मिशन सफल
पीसीसीएफ सुधीर अग्रवाल की अनुमति, जैव विविधता बोर्ड के सेक्रेटरी राजेश चंदेले और पीसीसीएफ अरुण पांडेय के सहयोग से यह मिशन चला। वहीं, डीएफओ वरुण जैन और उनकी टीम एसीएफ जगदीश दर्रो, रेंजर ठाकुर, डिप्टी रेंजर नाग के मार्गदर्शन में जंगल में कैमरा ट्रैप लगाए गए।
ये खबर भी पढ़िए...तबादले का फर्जी आदेश लेकर जॉइन करने पहुंची दो शिक्षिकाएं... ऐसे खुला राज
वैज्ञानिक टीम की खोजी यात्रा
छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा की इस टीम में जूलॉजिस्ट निधि सिंह, बाटनिस्ट दिनेश कुमार, एनवायरनमेंट साइंटिस्ट डा. वाय.के. सोना, पक्षी विज्ञानी सर्वज्ञा सिंह, जनविज्ञानी विश्वास मेश्राम और प्राचार्य फ्रैंक अगस्टिन नंद जैसे विशेषज्ञ शामिल रहे। इनकी संयुक्त मेहनत ने इस ‘वाटर मिस्ट्री’ को उजागर कर दिया। अब योजना है ओटर के संरक्षण को लेकर बड़े स्तर पर जनजागरूकता फैलाने की। मरवाही और कोरबा के बाद अब गरियाबंद के जंगल भी ‘जलीय बाघ’ की नई पनाहगाह बन चुके हैं।
ये खबर भी पढ़िए...CM हुए सख्त... बोले - काम करो नहीं तो सस्पेंड के लिए तैयार रहो
उदंती टाइगर रिज़र्व | उदंती सीतानदी | उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व | Udanti Sitanadi Tiger Reserve | Udanti Sitanadi | CG News | cg news update | cg news today | छत्तीसगढ़