विस्फोटक पदार्थ की बिक्री में लापरवाही,28 साल पुराने मामले में हाईकोर्ट की सख्त चेतावनी

करीब तीन दशक पुराने इस केस में हाई कोर्ट ने लाइसेंसधारकों की जिम्मेदारियों पर जोर दिया और स्पष्ट किया कि विस्फोटक पदार्थों के मामले में कानून बेहद सख्त है।

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Harrison Masih
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छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने विस्फोटक पदार्थ की बिक्री से जुड़े एक 28 साल पुराने मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है। जस्टिस बीडी गुरु की सिंगल बेंच ने साफ किया कि विस्फोटक अधिनियम के तहत लाइसेंसधारकों की जिम्मेदारी है कि वे बिक्री और भंडारण में कड़ी सावधानी बरतें। कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोप तय करने के प्रारंभिक चरण में केवल अनुमान, कल्पना या दूरगामी कारणों के आधार पर हस्तक्षेप करना कानूनन गलत है और इससे मुकदमे की प्रक्रिया बाधित होती है।

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क्या है पूरा मामला

याचिकाकर्ता हुन्नैद हुसैन तैय्यब भाई बदरुद्दीन एक फर्म का साझेदार है, जिसके पास विस्फोटक रखने व बेचने का लाइसेंस था। फर्म ने लाइसेंसधारी ग्राहक किशुनलाल भक्त को 25 किलो स्पेशल जिलेटिन और 25 इलेक्ट्रिक डेटोनेटर बेचे, जिसका रिकॉर्ड रजिस्टर में दर्ज था।

पुलिस जांच में सामने आया कि ये विस्फोटक बिना लाइसेंस वाले सह-अभियुक्त दीपक कुमार और रामखिलावन के पास मिले, जिन्होंने स्वीकारा कि यह माल हुन्नैद हुसैन की फर्म से लाया गया था। ट्रायल कोर्ट ने रिकॉर्ड व चार्जशीट के आधार पर विस्फोटक पदार्थ अधिनियम 1908 की धारा 5 और विस्फोटक अधिनियम की धारा 9B के तहत आरोप तय किए।

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याचिका और हाई कोर्ट की सुनवाई

हुन्नैद हुसैन ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी, यह तर्क देते हुए कि अभियोजन पक्ष ने किशुनलाल से जब्त दस्तावेज़ और बयान जानबूझकर छिपाए। मामला वर्ष 1997 से लंबित था और उस समय हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।

हाई कोर्ट ने विस्फोटक अपराधों की गंभीरता पर जोर देते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया आरोप सही तरीके से तय हुए हैं और आरोप तय करने के चरण में विस्तृत साक्ष्य मूल्यांकन जरूरी नहीं है।

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कोर्ट की टिप्पणियां

आरोप तय करने के समय न्यायालय को केवल उपलब्ध सामग्री के आधार पर निर्णय लेना होता है, विस्तृत सबूतों का वजन नहीं करना चाहिए। हाई कोर्ट ने माना कि निचली अदालत का निर्णय विधि सम्मत है और हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं है।

कोर्ट ने लाइसेंसधारकों को चेतावनी दी कि विस्फोटक पदार्थों की बिक्री और वितरण में लापरवाही गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है।

कानूनी प्रावधान

  • विस्फोटक पदार्थ अधिनियम 1908, धारा 5 – बिना लाइसेंस विस्फोटक पदार्थ रखने या बेचने पर दंड।
  • विस्फोटक अधिनियम, धारा 9B – विस्फोटक पदार्थ के भंडारण और बिक्री से संबंधित लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन करने पर सजा।

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CG Explosives sale case 1997

विस्फोटक बिक्री मामले की 5 अहम बातें

28 साल पुराना केस – मामला 1997 में दर्ज हुआ था और तब से अदालत में लंबित था।

लाइसेंसधारी फर्म पर आरोप – फर्म पर बिना लाइसेंस वालों को जिलेटिन और डेटोनेटर बेचने का आरोप है।

पुलिस की बरामदगी – छापेमारी में सह-अभियुक्तों के पास से विस्फोटक बरामद हुए।

ट्रायल कोर्ट का फैसला सही – हाई कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा।

कड़ी चेतावनी – अदालत ने कहा, विस्फोटक पदार्थों की बिक्री में लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी।

विस्फोटक बिक्री केस 1997 CG High Court

यह फैसला न केवल पुराने मामलों में न्यायिक प्रक्रिया के महत्व को रेखांकित करता है, बल्कि विस्फोटक पदार्थों के लाइसेंसधारकों के लिए भी कड़ा संदेश है कि सुरक्षा और कानूनी प्रावधानों की अनदेखी गंभीर कानूनी परिणाम ला सकती है।

FAQ

हुन्नैद हुसैन का विस्फोटक मामला क्या है?
यह मामला एक लाइसेंसधारी फर्म से बिना लाइसेंस वालों को जिलेटिन और डेटोनेटर बेचे जाने से जुड़ा है, जो बाद में पुलिस द्वारा बरामद किए गए।
विस्फोटक बिक्री मामले पर हाईकोर्ट का फैसला क्या है?
हाई कोर्ट ने 28 साल पुराने विस्फोटक बिक्री मामले में ट्रायल कोर्ट का आदेश बरकरार रखा और लाइसेंसधारकों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की सख्त चेतावनी दी।
धारा 5 और 9B क्या है?
धारा 5 बिना लाइसेंस विस्फोटक पदार्थ रखने या बेचने पर सजा का प्रावधान करती है, जबकि धारा 9B लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन करने पर दंड निर्धारित करती है।

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